क्रिकेट की राह आसान नहीं

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कोविड-19 महामारी ने खेल जगत को एकदम से थामकर रख दिया था। खेलों की वापसी के मामले में फुटबॉल बाजी मारने में सफल रहा है। बुंडेशलिगा के नाम से मशहूर जर्मन फुटबॉल लीग ने सबसे पहले शुरुआत की और बायर्न म्यूनिख इस सत्र की चैंपियन बन गई। इसके बाद इंग्लिश प्रीमियर लीग को भी लिवरपूल के रूप में चैंपियन मिल गया। इन सफल आयोजनों से उत्साहित इंग्लैंड और वेल्स क्रिकेट बोर्ड आठ जुलाई से अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट की शुरुआत करने जा रहा है। यह शुरुआत इंग्लैंड और वेस्ट इंडीज के बीच टेस्ट मैच से होगी। दोनों टीमें तमाम सावधानियां बरतती हुई साउथंपटन में पहला टेस्ट खेलने को तैयार हैं। यही नहीं, पाकिस्तान टीम भी अगस्त माह में इंग्लैंड के साथ तीन टेस्ट और तीन टी-20 मैचों की सीरीज खेलने के लिए इंग्लैंड पहुंच गई है। इस सबके बावजूद मौजूदा दौर में क्रिकेट की राह आसान नहीं लग रही है। अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट की शुरुआत जरूर होने जा रही है पर क्रिकेट खेलने के लिए स्थितियां बेहद मुश्किल हैं। अब पाकिस्तान टीम को ही लें। यह टीम जून आखिर में मैनचेस्टर पहुंचकर 14 दिन के क्वारंटीन में चली गई है।

दौरे पर रवाना होने से पहले की कवायद भी कम नहीं रही। पाक क्रिकेट बोर्ड ने 28 खिलाड़ियों और सपोर्ट स्टाफ का तीन बार कोविड टेस्ट कराया। इस दौरान 10 खिलाड़ियों का टेस्ट पॉजिटिव आने पर एक बार तो लगा कि टीम जा ही नहीं पाएगी पर बाद में इन खिलाड़ियों का टेस्ट नेगेटिव आ गया। यही नहीं, क्वारंटीन पूरा करने के बाद भी दौरे पर टीम को हर पांच दिन बाद इस टेस्ट से गुजरना पड़ेगा। यह दबाव उनके प्रदर्शन को प्रभावित कर सकता है। इंग्लैंड सबसे बुरी तरह इस महामारी की चपेट में आए देशों में रहा है। वह अपने यहां अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट शुरू कर इस मामले में अगुआई कर रहा है पर तमाम क्रिकेट खेलने वाले देश अभी खेल शुरू करने की स्थिति में नहीं आ सके हैं। ना ही इन देशों के क्रिकेटर खुद को अभी इसके लिए मानसिक रूप से तैयार कर पाए हैं। श्रीलंका को ही लें तो वहां कोविड-19 से हुई मौतों की संख्या मात्र 11 है। इसके बावजूद उनके यहां कोई भी टीम खेलने को तैयार नहीं है। पहले भारत को और फिर बांग्लादेश को उनके यहां जाकर खेलना था। दोनों ने ही खेलने से मना कर दिया है। न्यूजीलैंड सबसे पहले अपने को कोरोना मुक्त देश घोषित कर चुका है।

पर उसने भी अगस्त में होने वाले बांग्लादेश दौरे को स्थगित कर दिया है। इसी तरह ऑस्ट्रेलिया ने जिंबाब्वे टीम के दौरे को स्थगित कर दिया है। इतना जरूर है कि ज्यादातर देशों में क्रिकेट की ट्रेनिंग शुरू हो गई है। भारत इस मामले में थोड़ा पिछड़ा नजर आ रहा है। इसकी वजह देश में कोरोना का प्रकोप जोरों पर होना है। खिलाड़ियों को व्यक्तिगत रूप से मैदानों में अभ्यास करने की अनुमति मिल गई है लेकिन बीसीसीआई अभी टीम का शिविर लगाने लायक माहौल नहीं मान रही है। अगस्त में टीम का शिविर लगने की उम्मीद की जा रही है। पूर्व भारतीय कप्तान और राष्ट्रीय क्रिकेट अकादमी के मौजूदा प्रमुख राहुल द्रविड़ का भी मानना है कि देश में अभी क्रिकेट शुरू करने के हालात नहीं हैं। देश का घरेलू सीजन आम तौर पर अगस्त-सितंबर में शुरू होता है। द्रविड़ कहते हैं कि घरेलू सीजन अक्टूबर में शुरू किया जा सकता है और जरूरत पड़ने पर इसे छोटा भी किया जा सकता है। मौजूदा हालात में यात्रा करना जोखिम भरा है। इसलिए कार्यक्रम इस तरह बनाने की जरूरत है कि टीमों को ज्यादा लंबी यात्राएं न करनी पड़ें।

इसके लिए रणजी ट्रॉफी में पहले वाला जोनल फॉरमेट शुरू करने का सुझाव भी दिया गया है। क्रिकेट फिर से शुरू करने के लिए आईसीसी ने भी कई एहतियाती कदम उठाए हैं। गेंद पर लार के इस्तेमाल पर तो रोक लगाई ही गई है, टेस्ट के दौरान कोई खिलाड़ी कोरोना संक्रमण का शिकार हो जाता है तो उसकी जगह दूसरे खिलाड़ी को टीम में शामिल करने की भी इजाजत दे दी गई है। पर सवाल यह है कि मैच के दौरान किसी खिलाड़ी में कोरोना के लक्षण दिखते हैं तो क्या उसके संपर्क में रहने वाले खिलाड़ियों को क्वारंटीन नहीं किया जाना चाहिए? आईसीसी ने एक बड़ा बदलाव टेस्ट सीरीज में घरेलू अंपायर रखने का किया है। यह फैसला अंतरराष्ट्रीय यात्राओं में आ रही मुश्किलों के मद्देनजर किया गया है। फैसला घरेलू टेस्ट अंपायरों के लिए तो अच्छा है, पर कई देशों के पास अनुभवी अंपायर नहीं होने से टेस्ट मैचों में सही फैसलों को लेकर दिक्कत भी आ सकती है। इसे ध्यान में रखते हुए टेस्ट मैचों में दोनों टीमों को एक अतिरिक्त डीआरएस देने का फैसला किया गया है।

आईसीसी ने टेस्ट मैचों में तटस्थ अंपायर रखने का नियम 2002 में बनाया था, क्योंकि कई घरेलू अंपायरों पर अपनी टीम के पक्ष में फैसले देने का आरोप रहा है। सारे किंतु-परंतु के बावजूद इंग्लैंड और वेस्ट इंडीज के बीच होने जा रही सीरीज पर सभी की निगाहें लगी हुई हैं। इसकी सफलता से क्रिकेट के फिर शुरू होने पर मुहर लग जाएगी। हालांकि क्रिकेटरों और सपोर्ट स्टाफ को बेहद सख्त नियमों का पालन करना पड़ रहा है। वेस्ट इंडीज के मुख्य कोच फिल सिमंस पिछले दिनों अपने ससुर की अंत्येष्टि में गए तो उन्हें आइसोलेशन में रहने के बाद दो बार कोविड-19 टेस्ट कराने पड़े। इसके बाद ही उन्हें टीम से जुड़ने की अनुमति मिली। टीम मेंबर्स की सुरक्षा को देखते हुए यह सावधानी गलत भी नहीं है। क्रिकेट की सफल वापसी कई क्रिकेट बोर्डों की खस्ता आर्थिक हालत को सुधार सकती है। दर्शकविहीन स्टेडियमों में खेलने में क्रिकेटरों को भी मजा तो क्या ही आएगा पर मैच लाइव टेलिकास्ट होने से उनके महीनों से रुके हुए बैंक खाते जरूर चल पड़ेंगे।

मनोज चतुर्वेदी
( लेखक वरिष्ठ खेल पत्रकार हैं ये उनके निजी विचार हैं )

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