एक्शन के पीछे पाक का नापाक खेल

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मसूद अजहर के खिलाफ वारंट जारी, अंतरराष्ट्रीय आतंकी हाफिज सईद सलाखों के पीछे और अब मुंबई हमले का मास्टरमाइंड जकीर उर रहमान लखवी की बारी। आतंक की पनहगाह पाकिस्तान इन दिनों अपने कुख्यात सरगनाओं के खिलाफ धड़ाधड़ एशन लेता नजर आ रहा है। आतंक के खिलाफ एक-एक कर इमरान सरकार की सक्रियता कई तरह की शंकाओं को बल दे रही है। आखिर इतना दिखावा यों कर रहा है पाकिस्तान? आतंकियों के खिलाफ एशन या फिर एफएटीएफ के लिए चल रहा है अलग ही प्लान। अपने आप को हमने बचाना है, एक बंदा है जो हमेशा वहां पर है, जहां आपको मूवमेंट नजर आता है बंदा कोई छत पर चल रहा है। आ जा रहा है फायर ठोको, उसे पता लगे यहां या हो रहा है। ये इंटरनेशनल आतंकी जकीर उर रहमान लखवी के शब्द हैं। वो मुंबई पर हमला करने वाले आतंकियों को बता रहा था कि मुंबई में कैसे हमला करना है। पकड़े जाने पर या कहना है और कैसे आतंक का खेल खेलना है। 26/11 हमले के इसी मास्टरमाइंड लश्कर-ए-तैयबा के कमांडर जकीर उर रहमान लखवी को पाकिस्तान की एक अदालत ने सजा सुनाई है। पाकिस्तान के हुमरानों का प्यारा और 26/11 का हत्यारा, आतंक का आका और 26/11 का मुंबई आतंकी हमले का सरगना जकीर उर रहमान लखवी को पाकिस्तान की अपराध विरोध कोर्ट ने तीन अलग-अलग मामलों में पांच-पांच साल की सजा सुनाई है। ये तीनों सजाएं एक साथ चलेंगी। यानी लखवी पांच साल ही जेल में रहेगा।

पाकिस्तान के अपराध विरोधक विभाग ने लखवी को गिरफ्तार किया था। हालांकि पाकिस्तान का ये कदम दिखावा ज्यादा लगता है क्योंकि अगले महीने एफएटीएफ की मीटिंग होने वाली है। पाकिस्तान लंबे वत से एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट में है। माना जा रहा है कि लखवी पर कार्रवाई इसी दवाब के चलते और एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट से बाहर आने के लिए की गई है। पंजाब के आतंकवाद निरोधक विभाग (सीटीडी) ने अतंकियों को धन मुहैया कराने के मामले में लखवी को गिरफ्तार किया है। लखवी पर दवाखाना चलाने के लिए जुटाए पैसे का उपयोग आतंकवाद के फलने फूलने मे किया। जिसके बाद लाहौर की आतंकवाद निरोधक अदालत में लखवी के खिलाफ मुकदमा चलाया गया। अदालत ने लखवी को तीन अलग-अलग मामलों में पांच साल की सजा सुनाई और साथ ही तीन लाख का जुर्माना भी लगाया। पाकिस्तान के पेशावर में हुए आतंकी हमले के दो दिन भी नहीं बीते थे कि 2015 में पाकिस्तान की कोर्ट ने सबूतों के आभाव में लखवी को पांच लाख के मुचलके पर जमानत दे दिया था। आतंकवादियों की लिस्ट में नाम आने के बाद लखवी की संपत्ति और बैंक खाते सीज कर दिए गए थे। पाकिस्तान की सरकार ने उसके खाते से मासिक भुगतान किए जाने का विचार करने का अनुरोध यूएनएससी से किया था। जिसपर सूएनएससी ने लखवी को हर महीने खर्च के लिए डेढ़ लाख रुपए देने पर अपनी सहमति दे दी थी।

इसमें खाने के 50 हजार, दवाइयों के 45 हजार, वकील की फीस 20 हजार, सार्वजनिक उपयोगिता शुल्क के लिए 20 हजार और आने-जाने के लिए 15 हजार रुपये शामिल थे। फाइनेंशियल एशन टास्क फोर्स यानी एफएटीएफ। यह विभिन्न देशों की एक अन्तरसरकारी संस्था है जो काले धन को वैध बनाने (मनी लांड्रिंग) को रोकने से सबन्धित नीतियां बनाने के लिए 1989 में हुई थी। साल 2001 में इसका कार्यक्षेत्र विस्तारित करते हुए आतंकवाद को धन मुहैया कराने के विरुद्ध नीतियां बनाने को भी समलित किया गया। एफएटीएफ में 39 सदस्य हैं और इसमें 37 देश और दो रीजनल ऑर्गेनाइजेशन हैं। भारत भी इसका सदस्य है। एफएटीएफ कई देशों पर मनी लांड्रिंग और टेरर फंडिंग पर नजर रख उसे लिए नियम बनाता है। इस लिस्ट में नाम करके एक तरह से इन देशों को चेतावनी दी जाती है कि वो समय रहते अपनी स्थिति को काबू कर लें। विदेश मंत्रालय के प्रवता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा कि ये कदम साफ दिखाते हैं कि इनका मकसद फरवरी 2021 में एफएटीएफ (वित्तीय कार्रवाई कार्य बल) की पूर्ण बैठक और एपीजेजी (एशिया प्रशांत संयुक्त समूह) की बैठक से पहले अनुपालन की भावना को दर्शाना है। बहरहाल, आतंक के आकाओं पर पाकिस्तान की कार्रवाई महज दिखावा है। पाकिस्तानी कोर्ट के सजा देने या गिरफ्तारी वारंट जारी करने का असर इन आतंकियों पर कितना पडऩे वाला है, ये तो आने वाला वत बताएगा। लेकिन पाकिस्तान के पुराने रवैये को देखकर तो इतना साफ ही है कि जल्द ही नजरबंदी वाले नाटक का खेल खत्म हो जाएगा और इनकी संपत्ति भी लौटा दी जाएगी।

अभिनय प्रकाश
(लेखक पत्रकार हैं ये उनके निजी विचार हैं)

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