..जीवन में ना थकने वाली ऊर्जा भक्तियोग से आती है

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दुनिया के इस झमेले में बहुत कुछ ऐसा करना पड़ता है, जिसे करने की या तो इच्छा ही नहीं होती, या ऐसा करते हुए हम थक जाते हैं, परेशान हो जाते हैं। आजकल अगर व्यापारियों से पूछो तो कहते हैं दिक्कत व्यापार करने में नहीं है। परेशानी तब होती है, जब व्यापार के अलावा बहुत कुछ ऐसा करना पड़ता है, जिसे एक शब्द में कहें तो ‘भ्रष्टाचार’। नौकरी करने वाले कहते हैं बहुत कुछ ऐसा करना पड़ता है, जो करना नहीं चाहते। इसे चापलूसी कह सकते हैं। परिवार चलाने वाले कहते हैं बहुत कुछ ऐसा करना पड़ता है, जिसमें बड़ी ताकत लगती है। इसे कह सकते हैं सहनशीलता।

निजी जीवन में बहुत कुछ ऐसा दिख जाता है, जो दूसरे नहीं देख पाते। हमारा गंदा और गलत चिंतन हम ही देख पाते हैं, तो बड़ी परेशानी होती है। धीरे-धीरे हमारा व्यक्तित्व इन सबसे बचने के बहाने बनाता है और इस अदा से बनाता है कि बहाने भी आदत हो जाती है। फिर हम हर बार रोना रोने लगते हैं कि जिस भी क्षेत्र में जाओ, बड़ी परेशानी है। तो रोना रोने से अच्छा है कुछ ऊर्जा अतिरिक्त रूप से ऐसी बचाएं जो इन क्षेत्रों में ऐसे काम करते समय उपयोग में आ सके। यदि आपके पास अतिरिक्त ऊर्जा है, तो ऐसी स्थितियों से निपटने में थकेंगे नहीं और, ऐसी ऊर्जा आती है भक्तियोग से।

पं. विजयशंकर मेहता

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