अंधियारे के बीच आशा की किरणें

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कोविड की स्थिति में तो कोई सुधार नजर नहीं आ रहा और कलाकारों के लिए मुश्किल यह है कि वे खाली भी नहीं बैठ सकते। इसलिए चाहे लेखक हो या भावी लेखक या फिल्म निर्माता, वे शांति के साथ नए प्रोजेक्ट्स पर कार्य कर रहे हैं, भले ही यह सुनिश्चित न हो कि वे लॉन्च कब होंगे, होंगे भी कि नहीं। जिन्होंने अपनी कहानियों के शुरुआती ड्राफ्ट तैयार कर लिए हैं, वे जू़म मीटिंग्स के जरिए एक्टर्स के सामने उन्हें प्रस्तुत कर रहे हैं। जिन्होंने कास्टिंग पूरी कर ली है, वे वर्चुअल मुहूर्तों की घोषणा कर रहे हैं।

हाल ही में एकता कपूर ने अमिताभ बच्चन के साथ अपने बचपन की एक तस्वीर पोस्ट करते हुए कहा- ‘यहीं से मैंने एक सपना देखा था जो अब पूरा होने जा रहा है।’ उनकी बालाजी टेलीफिल्म्स के बैनर तले उनके पिता पहली बार कोई फिल्म ‘गुडबाय’ प्रोड्यूस करने जा रहे हैं। ‘गुडबाय’ में अमिताभ बच्चन लीड रोल में होंगे।

कुछ दिन पहले जितेंद्र का जन्मदिवस था। लगभग सभी रेडियो चैनलों पर उनका लोकप्रिय गीत ‘ढल गया दिन हो गई शाम’ (हमजोली) बज रहा था। इस गीत में जितेंद्र और लीना चंदावरकर को बैटमिंटन खेलते-खेलते गीत गाते और रोमांस करते हुए दिखाया गया है। हाल ही में बैटमिंटन खिलाड़ी साइना नेहवाल की बायोपिक ‘साइना’ को रिलीज करने के मौके पर भी इस गीत का संदर्भ आया था। इस गीत पर साइना नेहवाल की तीखी टिप्पणी भी आई थी। उन्होंने कहा था कि यह गेम (बैटमिंटन) इतना धीमा तो हो ही नहीं सकता, जितना कि उसे ‘हमजोली’ के इस गीत में फिल्माया गया। बल्कि शटल जिस गति से बैटमिंटन कोर्ट पर इधर से उधर छलांग लगाती है, वह तो किसी द्रुत गति से चलने वाली रेलगाड़ी की गति से भी अधिक होती है।

70 के दशक में रिलीज हुई ‘हमजोली’ का यह गीत सड़कों पर विचरने वाले रोमियोज के लिए एक तरह से एंथम बन गया था। इतने सालों के बाद भी मुझे यह सोचकर बड़ा अचरज होता है कि संगीतकार लक्ष्मीकांत प्यारेलाल ने गीत के बीच में शटल की आवाज को कैसे जोड़ा होगा कि उस समय देश के सारे नौजवान उस गीत के दीवाने-से हो गए थे।

कोविड की अनिश्चिचता के बावजूद साल 2021 में सबकुछ अंधकारमय नहीं है। निर्माता जयंतीलाल गडा जो पेन इंडिया लिमिटेड की वजह से ज्यादा जाने जाते हैं, संजय लीला भंसाली की ‘गंगूबाई काठियावाड़ी’ को प्रोड्यूस करने के कारण खबरों में हैं। गडा ने इस फिल्म का निर्माण करने के अलावा एसएस राजामौली की ‘आरआरआर’ के उत्तर भारतीय थिएटर, इलेक्ट्रॉनिक, सेटेलाइट और डिजिटल अधिकार खरीद लिए हैं। यह फिल्म एकसाथ तीन भाषाओं – हिंदी, तेलगु और तमिल में रिलीज होगी। अब ये तीन भाषायी वाला फॉर्मूला बॉक्स ऑफिस पर सफलता के लिए एक आजमाया हुआ मंत्र बन गया है।

देखा जाए तो मनोरंजन की दुनिया पर कोरोना वायरस का कुछ सकारात्मक असर भी हुआ है। इसकी वजह से अलग-अलग तरक के कई प्रोजेक्ट्स और प्लेटफॉर्ट के लिए जगह बनी है। अभिषेक बच्चन बीते लंबे अरसे से फिल्मों से बाहर रहे हैं। हमने उन्हें फुटबॉल, कबड्‌डी के मैदानों पर जरूर देखा, लेकिन फिल्मों में कम ही नजर आए। लेकिन अब फिर से उनके हाथ में भी कुछ अच्छे प्रोजेक्ट दिखाई दे रहे हैं। इनमें से एक है ‘बिग बुल’ जो हर्षद मेहता की जिंदगी की कहानी पर आधारित है। इसे पिछले साल ही रिलीज होना था। लेकिन हंसल मेहता की वेब सीरीज स्कैम 1992 की लोकप्रियता के कारण निर्माता अजय देवगन ने इसकी रिलीज को टाल दिया था।

यह दूसरा मौका है जब अभिषेक बच्चन एक गुजराती की भूमिका निभाएंगे। इससे पहले वे ‘गुरु’ में धीरूभाई अंबानी की भूमिका निभा चुके हैं। ऐसे में मुझे इस बात की दिलचस्पी है कि वे दूसरी बार एक गुजराती की भूमिका के साथ कितना न्याय कर पाते हैं। टीवी पर हाल ही में अक्षय कुमार की ‘लक्ष्मी’ का प्रीमियर हुआ। इसे भारत भर में करीब 6.3 करोड़ लोगों ने देखा। इससे यह बात फिर से सिद्ध हो गई कि फिल्म की खराब से खराब से समीक्षाएं भी दर्शकों को उनके सुपरस्टार को देखने से रोक नहीं सकती।

भावना सोमाया
(जानी-मानी फिल्म लेखिका, समीक्षक और इतिहासकार हैं ये उनके निजी विचार हैं)

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