राष्ट्रीय परिवाहक की भूमिका में रेलवे

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भारतीय परिवहन के क्षेत्र में रेलवे एक महत्वपूर्ण घटक है। युद्ध हो या आपदा इसमें रेलवे की जिम्मेदारी बढ़ जाती है। कोरोना महामारी जैसी आपदा काल में रेलवे अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। मालगाडिय़ों का संचालन करके भारत के किसी भी क्षेत्र में आपूर्ति श्रृंखला को बाधित नहीं होने दिया। विशेष श्रमिक रेलगाडिय़ों का संचालन करके लाखों की संख्या में मजदूरों को उनके घरों तक पहुंचा रही है। इस बीच महाराष्ट्र सरकार व रेलवे के बीच आरोप प्रत्यारोप की खबरें आई हैं। उधर मजदूर भी राष्ट्रीय परिवाहक रेलवे की सुविधाओं को लेकर बहुत संतुष्ट नहीं है। हजारों की तादात में रेल गाडिय़ां संचालित करने वाले रेलवे की विशेष श्रमिक रेलगाडिय़ा रास्ता भटक रही हैं। लगभग 40 टे्रनें ऐसी हैं जिन्हें जाना था कहीं, पहुंच गई कही। रेलवे की इस कार्यप्रणाली पर प्रश्नचिन्ह लगना तय है। ट्रेनें तय समय से अधिक समय ले रही हैं। ट्रेनों को रूट बदलकर लम्बे रास्ते से ले जाया जा रहा है। भीषण गर्मी में लम्बे रास्ते को लेकर कई जगह यात्रियों ने प्रदर्शन भी किया है। रेलगाडिय़ां 28 घंटे का सफर 4 दिन में पूरा कर रही हैं।

महाराष्ट्र के बसई से गोरखपुर के लिए चली ट्रेन बजाय गोरखपुर के उड़ीसा पहुंच गई। गन्तव्य स्थान पर पहुंचने में इस ट्रेन ने 4 दिन लगा दिए। मुंबई से पटना के लिए चली ट्रेन पटना के बजाय पुरूलिया पहुंच गई। हालांकि रेलवे ने दावा किया है कि ट्रेनों के रास्ते बदलने के कई तकनीकी कारण हैं। इसमें कोरोना के लिए नियत स्वास्थ्य जांच के प्रोटोकॉल का पालन, टे्रन रूट पर जाम लगने से लेकर कई कारण शामिल हैं। रेलवे ने दावा किया है कि राज्यों के साथ बैठक करके समस्या का हल प्राप्त कर लिया गया है। रेलवे को पहले ही स्थिति का आकलन करके कमियों का निराकरण करा लेना चाहिए था। अगर ऐसा पहले ही हो जाता तो श्रमिकों को कष्ट नहीं उठाना पड़ता। भीषण गर्मी में पीने के पानी की किल्लत की शिकायत सामने आ रही है। कई जगह तो यात्रियों ने प्यास से परेशान होकर स्टेशन पर रखी पानी की बोतलों को जबरन उठा लिया। गर्मी में कोचों के पंखे न चलने की शिकायत भी आम है। नागपुर से गोरखपुर जा रही विशेष श्रमिक रेलगाड़ी के यात्रियों ने चारबाग में पंखें न चलने को लेकर जमकर हंगामा किया। यात्रियों का आरोप था कि ट्रेन ने 975 किलोमीटर की यात्रा तय कर ली परन्तु पंखे रास्ते भर नहीं चले। संचालन संबंधी अव्यवस्थाओं के प्रकाश में आने के अलावा रेलवे व महाराष्ट्र सरकार में खींचातानी चल रही है।

रेलवे का आरोप है कि महाराष्ट्र सरकार रेल यात्रियों की सूचना उपलध नहीं करा रहा है। इसके चलते कई विशेष श्रमिक रेलगाडिय़ों का संचालन नहीं हो सका। रेलवे का कहना है कि 25 मई को महाराष्ट्र से 125 टे्रनें चलाने की योजना थी लेकिन महाराष्ट्र सरकार केवल 41 ट्रेनों के लिए यात्रियों के संबंध में सूचना मुहैया करा पाई। इसमें भी केवल 39 टे्रनें ही अपने गन्तव्य स्थान को रवाना हो पाई। क्योंकि महाराष्ट्र सरकार के स्थानीय अधिकारी केवल 39 ट्रेनों की क्षमता भर के यात्रियों को स्टेशन तक लेकर आ पाए। अत: 41 में से भी दो टे्रनों का संचालन निरस्त करना पड़ा। उधर महाराष्ट्र सरकार ने भी आरोप लगाया है कि रेलवे पर्याप्त टे्रन नहीं उपलध करा पा रहा है। आरोपों व संचालन संबंधी खामियों के बीच रेलवे न केवल सुगम संचालन संबंधी दायित्वों का पालन कर रहा है वरन् सामाजिक कर्तव्यों के निर्वहन में भी आगे हैं। लखनऊ के चारबाग में 26 टे्रनों से 7248 श्रमिक स्टेशन पर उतरे जिन्हें रेलकर्मियों ने फल, पानी व खाने का सामान उपलध कराया। कर्तव्यों के पालन को लेकर पूर्वोत्तर रेलवे की डीआरएम ने कर्मचारियों को सम्मानित करके उनका उत्साहवर्धन किया।

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