घबराएं नहीं लड़ें, प्लेग भी कभी कोरोना का बाप था, कोरोना तो फिसड्डी है

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आप को बता दें, प्लेग नामक महामारी ने 14 वीं सदी में यूरोप की एक तिहाई आबादी मार दी, सदियों बाद आज भी विश्व में प्रतिवर्ष प्लेग की लगभग हजारों वारदातें सामने आती है, जान लें ये बीमारी क्या है, और कैसे फैलती है? प्लेग दो तरह के होते हैं। 1- न्यूमॉनिक, 2-ब्यूबॉनिक

ब्यूबॉनिक प्लेग चूहों के शरीर पर पलने वाले कीटाणुओं की वजह से होती है, जो मुख्यतया चूहों के शरीर पर पलने वाले पिस्सुओं के काटने की वजह से फैलती है, जो अत्यंत संक्रामक होती है, न्यूमॉनिक प्लेग की वारदातें अपेक्षाकृत कम होती हैं। लेकिन इस बीमारी में सांस लेने में कठिनाई पैदा होती है और खांसी आती है, दोनों में अन्तर की बात करें तो ब्यूबॉनिक प्लेग – केवल मरीज़ के संपर्क में आने से तो नहीं होता लेकिन मरीज़ की ग्रंथियों से निकले द्रव्यों के सीधे संपर्क में आने से हो सकता है, न्यूमॉनिक प्लेग – ज़्यादा संक्रामक है, ये बीमारी रोगी के सीध संपर्क में आने से उसकी सांसों या खांसी से निकले बैक्टीरिया के संक्रमण से हो सकती है, प्लेग की बीमारी पनपने में एक से सात दिन लग सकते हैं, प्लेग का स्ट्रेप्टोमाइसिन और टेट्रासायक्लाइन जैसी दवाइयों से प्रभावी ढंग से इलाज किया जा सकता है, लेकिन अगर समय रहते इलाज ना किया जाए तो बीमारी से पीड़ित लोगों की मृत्यु दर 90 प्रतिशत तक हो सकती है, जो कोरोना की तुलना में मृत्युदर के हिसाब से बहुत घातक है।

भारत में 1994 में ब्यूबॉनिक प्लेग फैला जिससे देश के पश्चिमी क्षेत्रों में 50 से ज़्यादा लोगों की मौत हो गई, उस दौरान पूरे सूरत में एक महीने के लिए कामकाज ठप पड़ गया इस महामारी के चलते देश को 18,00 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ 21 सितंबर 1994 का दिन था। उसी दिन शाम होते-होते सूचित किया गया कि सूरत के वेड रोड रिहाइशी इलाक़े में 10 मौतें हुई हैं और प्लेग के लक्षणों के साथ लगभग 50 और मरीज अस्पतालों में भर्ती हुए हैं, यह खबर आग की तरह फैल गई जिससे पूरा प्रशासन सकते में आ गया, जब तक सरकार कोई मेडिकल बुलेटिन जारी करवाती, कि अखबारों में ख़बरें तैर गईं कि महज 20 से 25 सितंबर के दरम्यान अस्पतालों में प्लेग के लगभग 460 केस आए, और लगभग 1061 मरीज़ इस महामारी से प्रभावित हुए। कुल मिलाकर, पूरे देश में प्लेग के 6334 संभावित मामले दर्ज़ हुए. इनमें 55 लोगों की मौत हुई प्लेग से बचने के लिए टीका विकसित करने के लिए शोधकार्य जारी हैं लेकिन अभी तक कोई टीका उपलब्ध नहीं हुआ।

लंदन के हीथ्रो एयरपोर्ट जा रहे एयर इंडिया के हवाई जहाज को ‘प्लेग प्लेन’ कहा गया. ब्रिटिश अखबार इंडिपेंडेंट ने इसे ‘मध्यकलीन श्राप’ की संज्ञा दी तो टाइम मैगज़ीन ने इसे ‘मध्यकालीन हॉरर शो’ कहा. मदर टेरेसा उन दिनों रोम की यात्रा पर गई हुई थीं. वहां एयरपोर्ट पर उनकी पूरी जांच के बाद ही उन्हें शहर में प्रवेश करने दिया गया। लोग रातों रात शहर छोड़कर भागे कुछ ही दिनों में सूरत की लगभग 25 फीसदी आबादी शहर छोड़ कर चली गई. जानकारों के मुताबिक़ आजादी के बाद यह लोगों का दूसरा बड़ा पलायन था।

वहीं कोरोना वायरस के चलते दुनिया भर में 33,000 से अधिक लोगों की मौत हुई है जिसमें अकेले यूरोप में 20,000 लोगों की मौत हुई है। वहीं विश्व में कुल 7 लाख से अधिक मामले सामने आए हैं। स्पेन और इटली में एक दिन में 800 से अधिक मौतें हुई हैं। इस वायरस के प्रसार को रोकने के लिए दुनिया की आबादी का लगभग एक तिहाई लॉकडाउन में है। बता दें कि अमेरिका इस वायरस के प्रकोप से सबसे अधिक प्रभावित है। अमेरिका में अबतक 142,000 से अधिक केस सामने आए हैं जबकि 2400 से ज्यादा मौतें हुई हैं। भारत की बात करें तो कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों की संख्या बढ़कर रविवार को 2000 के पार पहुंच गई और इस वायरस से मरने वालों का आंकड़ा 27 से बढ़कर 50 हो गया। बीबीसी के दिये गये आंकड़ों के मुताबिक यदि हम कोरोना संक्रमण से मृत्युदर के बारे में बात करें तो यह आंकड़ा 0.5 से 1 फीसदी तक है।

राघवेन्द्र मणि त्रिपाठी
(असि. प्रोड्यूसर सुभारती टीवी)

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