सर्वश्रेष्ठ बनने का जुनून ही सफल बनाएगा

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हर किसी में सर्वश्रेष्ठ बनने की चाह होना चाहिए। उदाहरण के लिए आप किसी कॉलेज में दाखिला लेना चाहते थे, क्योंकि आपको लगता था कि वह सबसे अच्छा, पहले नंबर का कॉलेज है। लेकिन आपको वहां दाखिला नहीं मिलता। कोई बात नहीं। यह आपके हाथ में नहीं था। लेकिन अब आप किसी कॉलेज में जा रहे हैं।

वहां देखिए कि सर्वश्रेष्ठ बनने की शुरुआत कैसे कर सकते हैं। फिर कुछ भी करें। वहां किसी गैंग के लीडर बनना हो, या पढ़ाई हो, खेल-कूद हो या अन्य सांस्कृतिक गतिविधियां, जो भी करें उसमें पहले नंबर पर रहें, सर्वश्रेष्ठ बनने का प्रयास करें। जो भी करें, आपके अंदर कहीं न कहीं यह उत्कंठा होनी चाहिए कि मैं यहां भीड़ का एक और चेहरा नहीं बनने नहीं आया हूं। मैं सर्वश्रेष्ठ बन सकता हूं। मैं नबंर एक बन सकता हूं। यह ऐसा गुण है, जो मैंने उन सभी लोगों में देखा है, जिन्होंने अपने जीवन में सफलता पाई है। ऐसे लोगों में किसी काम में सर्वश्रेष्ठ बनने का जुनून था। वह कुछ भी हो सकता है, लेकिन उनके अंदर जुनून था। यह वह काम होना जरूरी नहीं है, जिसमें सारी दुनिया चाहती है कि आप सर्वश्रेष्ठ बनें। लेकिन कहीं न कहीं, मेरे जीवन के किसी न किसी आयाम में, जीवन के किसी न किसी पहलू में मुझे सर्वश्रेष्ठ होना ही होगा। और यही जुनून है। यह बाहर से नहीं आ सकता।

आपमें जुनून माता-पिता के कहने से नहीं आ सकता। मेरे कहने से भी नहीं आ सकता। यह आपके ही अंदर कहीं न कहीं होता है। आपके अंदर, गहराई में यह जुनून होना ही चाहिए। बस एक जुनून कि मुझे किसी चीज में, किसी न किसी काम में सर्वश्रेष्ठ होना है। माइकल एंजेलो ने कहा था, ‘अगर मैं एक सफाईकर्मी होता, तो यह सुनिश्चित करता है कि मैं दुनिया का सर्वश्रेष्ठ सफाईकर्मी बनूं। यह अलग बात है कि मैं अब एक कलाकार हूं लेकिन मेरी मां ने मुझे सिखाया था कि तुम चित्रकार बनना चाहते हो, चित्रकार बनो, सफाईकर्मी बनना चाहते हो, सफाईकर्मी बनो।

मुझे इससे फर्क नहीं पड़ता। लेकिन जो भी करो, उसमें सर्वश्रेष्ठ बनने की कोशिश करना।’ वास्तव में यह जुनून अंदर से ही आता है, इसका हुनर से कोई संबंध नहीं है। इसे आप खुद ही खोज लेंगे। आप में जुनून है तो आप वह हुनर तलाश लेंगे, जिसमें आप सर्वश्रेष्ठ बन सकते हैं। मैं चाहता हूं कि आप अपने अंदर वह जुनून जगाएं। कोई भी भीड़ में खोना नहीं चाहता। सभी किसी न किसी आयाम में सर्वश्रेष्ठ बन सकते हैं। सभी अपने-अपने तरीकों से यह पता कर लेंगे कि आप किसमें श्रेष्ठ बनना चाहते हैं क्योंकि हम सभी की दौड़ अलग-अलग है। अकादमिक व्यवस्था शायद आपको यह महसूस करवा सकती है कि सभी एक ही दौड़ में शामिल हैं।

सभी स्कूल में फर्स्ट आना, 98% अंक लाना चाहते हैं। आपको ऐसा महसूस हो सकता है। लेकिन वास्तव में हम सभी अपनी-अपनी रेस में दौड़ रहे हैं। आपकी जीत मुझे नहीं रोकेगी, मेरी जीत आपको नहीं रोकेगी। सभी जिंदगी में अपनी-अपनी जगह हैं। लेकिन अंदर, कहीं न कहीं एक जुनून होना चाहिए। आपको 20 वर्ष की उम्र तक यह भावना अपने अंदर पैदा करनी ही चाहिए या अपने बच्चों को ऐसा करने के लिए प्रेरित करना चाहिए। इसका मतलब अच्छा व्यवहार और सौम्य व्यवहार नहीं है। इसका मतलब यह नहीं है कि सभी आपको पसंद करें। आपके अंदर कहीं न कहीं, बहुत थोड़ी-सी, चुटकी भर आक्रामकता होनी ही चाहिए। एक ऐसा जुनून, जो आप से कहे कि मुझे किसी न किसी चीज में सर्वश्रेष्ठ बनना है।

एक बार आपमें यह गुण आ जाए तो फिर जिंदगी की प्रतिक्रिया देखिए, आपको मिलने वाले अवसर देखिए, जिंदगी में आने वाले बदलाव देखिए। कोई पूछे कि जीवन में क्या करना चाहते हो, तो आपका जवाब यह न हो कि ‘मुझे नहीं पता मैं जीवन में क्या करना चाहता हूं।’ अगर आप नहीं जानते कि क्या करना चाहते हैं, तब भी आपका जवाब यह होना चाहिए, ‘मुझे नहीं पता मैं जीवन में क्या करना चाहता हूं, लेकिन मैं किसी न किसी चीज में सर्वश्रेष्ठ बनूंगा।’ किसमें? यह हमें पता चल ही जाएगा।

महात्रया रा
(लेखक आध्यात्मिक गुरु हैं ये उनके निजी विचार हैं)

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