जब दुनिया भर में कोरोना का कहर जारी है तो एक ऐसी रिपोर्ट सामने आई है जिसने मोटापे से ग्रस्त लोगों को विशेष चिंता में डाल दिया है। इस रिपोर्ट के मुताबिक मोटे लोगों को कोरोना संक्रमण का ज्यादा खतरा रहता है। फ्रांस के महामारी विशेषज्ञों का कहना है कि यहां के 25 फीसदी लोग उम्र, स्वास्थ्य संबंधी अन्य समस्याओं या मोटापे के कारण वायरस के खतरे में हैं। अमेरिका में महामारी पर सरकार को सलाह देने वाली वैज्ञानिक परिषद के प्रमुख प्रोफेसर जीन डेल्फ्रेसी ने कहा कि मोटापे के बढ़ते स्तर के कारण अमेरिकियों को कोरोना से विशेष रूप से खतरा है। वहां 42.4 फीसदी वयस्क आबादी मोटापे का शिकार है। अमेरिका कोरोना से सबसे बुरी तरह प्रभावित देशों में है। विशेषज्ञों के अनुसार मोटापा अमेरिका को 1918 के स्पेनिश फ्लू जैसी महामारी के खतरे में डाल सकता है। मिशिगन स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के एक हालिया अध्ययन में पाया गया कि फ्लू से संक्रमित मोटे लोगों को न सिर्फ कई तरह की गंभीर समस्याओं से गुजरना पड़ता है बल्कि वे लंबे समय तक संक्रामक बने रहते हैं।
यूरोप की नैशनल हेल्थ सर्विस के अनुसार शरीर में ज्यादा चर्बी एक तरह से कोरोना को आमंत्रण है। इस एजेंसी के अनुसार यूरोप में कोरोना से संक्रमित 40 फीसदी लोग 60 साल से नीचे हैं और यह सभी लोग मोटापे से ग्रस्त हैं। अकेले इंग्लैंड में कोरोना के 63 फीसद मरीज ऐसे हैं जो मोटे हैं।
पहले भी कई सार अध्ययनों में यह साफ हो चुका है कि मोटे लोग तरह-तरह के संक्रमणों के सबसे अधिक शिकार होते हैं। साथ ही इन्हें फेफड़े से संबंधित बीमारियों की आशंका भी ज्यादा रहती है। असल में फिट या दुबले लोगों की तुलना में मोटे लोगों के शरीर की प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है। उनकी सांस जल्दी फूलने लगती है। इसलिए भी उनके शरीर के अंगों तक ऑक्सीजन की भरपूर मात्रा नहीं पहुंच पाती और इन्फेक्शन का खतरा बढ़ जाता है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने मोटापे को स्वास्थ्य के 10 मुख्य जोखिमों में से एक बताया है। मोटापा इसलिए भी बड़ी समस्या है, क्योंकि यह डायबिटीज और कैंसर जैसी कई अन्य बीमारियों का भी कारण बनता है। पिछले दिनों लैंसेट पब्लिक हेल्थ में प्रकाशित एक शोध के अनुसार वैज्ञानिकों ने 1995 से 2014 के दौरान 30 तरह के कैंसर पर अध्ययन किया जिनमें 12 प्रकार के कैंसर ऐसे थे, जो मोटापे के कारण होते हैं। शोध में 25 से 84 साल की उम्र के लोगों को शामिल किया गया था और 1.46 करोड़ मामलों का अध्ययन हुआ। वैज्ञानिकों ने पाया कि मोटापे के कारण होने वाले 12 में से छह प्रकार के कैंसर 25 से 49 साल की उम्र के लोगों में ज्यादा तेजी से बढ़ रहे हैं।
भारतीयों में भी मोटापा तेजी से अपने पांव पसार रहा है। आंकड़े बताते हैं कि देश की 5 फीसदी आबादी ज्यादा वजन की शिकार है। आज देश में मोटे लोगों की संख्या चीन और अमेरिका को पीछे छोड़ चुकी है। आंकड़ों के अनुसार बच्चों में बढ़ते मोटापे के हिसाब से भारत विश्व में दूसरे नंबर पर है। चीन जहां 1.53 करोड़ मोटापे से जूझ रहे बच्चों के साथ दुनिया में नंबर एक है वहीं भारत 1.44 करोड़ संख्या के साथ आसपास ही है। 1980 और 2015 के बीच भारत में बच्चों में मोटापा बढ़कर दोगुना और वयस्कों में तीन गुना हो गया। यही नहीं देश में 2025 तक 26 लाख और बच्चे मोटापे से ग्रस्त हो जाएंगे।
खराब पोषण, कम व्यायाम और सस्ते में मिलने वाला वसा से भरा खाना मोटापे की समस्या का मुख्य कारण है। इसके अलावा लगातार तनाव में रहना, नींद की कमी और आनुवंशिक कारणों की भी मोटापा बढ़ाने में भूमिका होती है। आने वाले समय में वर्क फ्रॉम होम कल्चर जोर पकड़ने से समस्या और गहरा सकती है। लोग ज्यादा से ज्यादा समय अपने घरों में ही रहेंगे। ऐसे में शारीरिक श्रम या गतिविधि न होने से भी लोगों का वजन तेजी से बढ़ेगा। पूरी दुनिया में छाए कोरोना संकट के बीच मोटापे से बचने की बड़ी जरूरत है क्योंकि इससे कोरोना संक्रमण अधिक तेजी से फैलने की आशंका है।
शशांक द्विवेदी
(लेखक पत्रकार हैं ये उनके निजी विचार हैं)