..मेरी बेटियां मुझे टोकने लगी थीं

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राजनीति में आने के प्रस्ताव मुझे बहुत पहले से मिलने लगे थे। 1991 में तो बाकायदा चुनाव लड़ने का ऑफर मिला। उस समय मैं राजनीति से भागती थी। 2005 में मेरे शादी से पहले सेक्स वाले बयान को लेकर जगह-जगह केस किए गए। सुप्रीम कोर्ट से उन मुकदमों में बरी होने के बाद मैंने करुणानिधि जी के कहने पर द्रमुक ज्वाइन की।

द्रमुक छोड़ने की सबसे बड़ी वजह क्या रही, यह राज ताजिंदगी सिर्फ मेरे और डॉ. कलाईगनार (करुणानिधि) के बीच ही रहेगा। वह सब जानते थे। मेरे इस्तीफे के बाद उन्होंने पार्टी के लोगों के आगे मेरा इस्तीफा रखते हुए कहा था कि ‘ये लड़की अब पार्टी में नहीं रही, अब तो तुम सब खुश हो। जाओ ऐश करो।’

नहीं। 2011 में मेरे घर पर हमला हुआ था। इसके बाद भी मैं 4 साल द्रमुक में रही। राजनीति में महिला होने के कारण बहुत कुछ सहना पड़ता है। मैंने द्रमुक और कांग्रेस दोनों में ही पार्टियों के पुरुष नेताओं में असुरक्षा की भावना देखी। वे यह सहन नहीं कर सकते कि एक खूबसूरत, बुद्धिमान औरत आगे बढ़े।

नहीं, मुझे ऐसा नहीं लगता। उसके लिए तो मुझ पर 44 मुकदमे हुए। 22 यहां जीते, 22 सुप्रीम कोर्ट में। रही बात सेक्स एजुकेशन के मुद्दे की तो मैं आज भी अपने बयान पर कायम हूं। खुद दो बेटियों की मां हूं। जब आप बच्चों को स्त्री-पुरुष शरीर की एनाटॉमी पढ़ाते हैं, तब उम्र के हिसाब से सेक्स एजुकेशन देने में क्या बुराई है? इन मुद्दों पर बात करने में हम लोग इतना घबराते क्यों हैं?

कांग्रेस छोड़ने का कारण सिर्फ मेल ईगो था। मैं पार्टी प्रवक्ता थी। दिल्ली से आदेश आता कि इस मुद्दे पर प्रेस कॉन्फ्रेंस करो। लेकिन, तमिलनाडु के स्थानीय नेता मुझे कार्यालय में जगह देने से भी मना कर देते थे। सोनिया जी को कई बार अपनी पीड़ा भेजी, लेकिन उनका जवाब नहीं आया।

पी चिदंबरम जी की याददाश्त बहुत कमजोर हो गई है। वह भूल रहे हैं कि मैं कांग्रेस में 4 नहीं 6 साल रही। वे थोड़ा सोच समझ कर बोलें तो बेहतर होगा।

पुश अप लगाने से बाजुओं में भले ही ताकत आ सकती है, लेकिन, असली ताकत तो ( दिमाग की ओर इशारा कर) यहां होनी चाहिए। उनके कांग्रेस अध्यक्ष बनने की बारी आई तो वे डर कर पीछे हट गए। पिछले 52 साल से तमिलनाडु के कांग्रेसी मंत्री-सांसद दिल्ली जाकर सिर्फ अपनी कुर्सी बचाने में लगे रहे। न तमिलनाडु के लिए कुछ किया, न कांग्रेस के लिए। पार्टी का पूरा कैडर खत्म हो चुका है।

कांग्रेस में हम रोज सुबह किसी मुद्दे पर सोशल मीडिया के लिए एक हैश टैग तय करते थे। बात चाहे सही हो या गलत हमारा एजेंडा सिर्फ विरोध का ही होता था। मैं और मेरी लैंग्वेज बहुत निगेटिव होती जा रही थी। मेरी बेटियों ने मुझे कई बार टोका कि, ‘मां क्या ये शब्द आपके हैं’। कांग्रेस में मेरी भूमिका नहीं बदल रही थी तो मैंने पार्टी छोड़ने का फैसला कर लिया। तीन तलाक, एजुकेशन पॉलिसी जैसे मुद्दों पर भाजपा की राय मुझे ठीक लगी तो मैं भाजपा में आ गई।

आपने, बिल्कुल सही कहा। मैं बहुत निगेटिव हो गई थी। अब हैरानी होती है कि मैंने मोदीजी, अमित शाह, निर्मला सीतारमणजी के बारे में कैसी-कैसी भाषा इस्तेमाल की। अभी जब निर्मला जी तमिलनाडु आई थीं तो मैंने एयरपोर्ट पर उनसे माफी मांगी कि मैंने आपको सोशल मीडिया पर बहुत परेशान किया।

यह गलत प्रोपेगेंडा है। अगर भाजपा अल्पसंख्यकों के खिलाफ होती तो तीन तलाक कानून नहीं लाती। ये कोई अल्लाह का बनाया कानून थोड़े ही था, हटना ही चाहिए था। कोई इस बारे में बात भी नहीं करता था। भाजपा सरकार में जो भी योजनाएं हैं; उसका फायदा सभी को मिलता है, जो वोट देते हैं और उन्हें भी जो नहीं देते। कांग्रेस तो और नीचे जाकर जाति के आधार पर बात करती है, वह ज्यादा खतरनाक है।

टिकट का निर्णय तो पार्टी करेगी। मैं स्टालिन को चुनौती देती रही हूं। अभी भी कहती हूं द्रमुक के पार्टी प्रमुख हैं, मेरे खिलाफ चुनाव लड़ने की चुनौती स्वीकार करें। रजनी सर, विजयकांत, कमल हासन जैसे सितारे पहले से ही चुनाव में एक्टिव हैं या पर्दे के पीछे से काम कर रहे हैं।

रजनी सर, किसी के दबाव में आने वालों में से नहीं है। यदि दबाव काम करता तो हम उन्हें भाजपा में शामिल नहीं करा लेते। रजनी सर की सेहत हम सबके लिए ज्यादा महत्वपूर्ण है।

बिल्कुल नहीं। मैं कमल हासन के लिए एक शब्द नहीं कह सकती, बल्कि उनके लिए यही दुआ करूंगी कि उनकी पार्टी बहुमत हासिल करे। वह मेरे 30 साल पुराने दोस्त हैं। मेरे सुख-दुख के साथी। मुझे पता है कि पार्टी कमल हासन के खिलाफ प्रचार करने के लिए कभी कहेगी भी नहीं।

खुशबू
(लेखिका फिल्म अभिनेत्री के साथ-साथ अब राजनीति में हैं ये उनके निजी विचार हैं)

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