मच्छरों का गुस्सा अधिकारियों पर

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प्राचीन काल में एक र्काव्यनिष्ठ राजा की पहचान प्रजा सुख से होती थी। वह उनकी सुख शांति के लिए अपने प्राणों की बलि तक देता था। शास्त्रों में लिखा है कि एक राजा अपना वैभवशाली जीवन नहीं जीता था बल्कि आमजन की तरह अपना जीवन व्यतीत करता था। यानी वह प्रजाहित में अपने निजी जीवन के वैभव का बलिदान करता था। उसका जीवन राजधर्म से प्रेरित होता था। स्वयं मर्यादा पुरुषोाम भगवान राम ने भी राजाधर्म का पालन करते हुए एक शूद्र के कटूवचन से आहत होते हुए जहां माता सीता को पुन: वनवास के कष्ट भोगने को विवश किया वहीं अपना जीवन भी एक साधारण मनुष्य की तरह भोगकर यह बताने का प्रयास किया कि साा की मर्यादा बचाने के लिए एक राजा को आम मानव की तरह जीवन व्यतीत करना चाहिए। परन्तु आज के राजनेता निजी स्वार्थ के चलते यह बताने का प्रयास करते हैं, कि सााभोगी हैं, उन्हें किसी प्रकार का कष्ट सहन नहीं है। वर्तमान के राजनेताओं की इसी प्रवृत्ति से राज धर्म की परिभाषा बदल रही है। इसकी बानगी मध्यप्रदेश में उस समय देखने को मिली, जब सीएम साहब को सीधी के सर्किट हाउस में मच्छरों के बीच पूरी रात जागकर गुजारनी पड़ी।

सीएम साहब बस हादसे में हताहत हुए लोगों के पीडि़त परिवार को सांत्वना देने आए थे, जहां उनको विश्राम करना था, वहां मच्छरों के प्रकोप से पूरी रात चैन से नहीं सो सके। इसी से झल्लाए सीएम साहब ने सर्किट हाउस के प्रभारी को तत्काल निलंबित कर दिया। साथ ही जिले के आला अधिकारी भी कार्रवाई की जद में हैं। उन पर भी गाज गिरने की आशंका है। उनका गु़स्सा जायज है, जब प्रदेश का मुख्यमंत्री दौरे पर हो तो मातहतों को सदैव तैयार रहना पड़ता है, अधिकारियों को लापरवाही की सजा तो मिलनी चाहिए, लेकिन सीएम को इस बात का आभास अवश्य हो गया होगा कि आम लोग इन मच्छरों से किस तरह पूरी रात संघर्ष करते हैं। इसे अधिकारियों की लापरवाही ही कही जाएगी कि पानी की टंकी भरने पर स्वयं सीएम साहब गए तो पता चला मोटर बंद करने का काम भी भगवान भरोसे ही है। यह घटना सरकार के उस दावे को कमजोर कर रही है जिसमें अधिकारी व साा पक्ष प्रदेश के विकास होने का दावा करते हैं। कमाल है कि जिस सर्किट हाउस में प्रदेश का सीएम ठहरा हो वहां से अधिकारी नदारद रहें, यदि ऐसे में सीएम साथ के कुछ अप्रिय हो जाता तो जवाबदही किसकी बनती।

एक तरफ मच्छरों का प्राकोप दूसरी ओर मौके पर अधिकारियों का न होना इस बात का प्रतीक है कि देश के सर्वविकसित प्रदेश में भी लापरवाही का बोलबाला है। जहां मच्छरों से बचने के लिए एक अदद मच्छरदानी का भी प्रबंध नहीं हो सका, जिससे पूरी रात सीएम साहब नहीं सो सके। सीएम साहब सीधी जिले आला अधिकारियों से उनकी लापरवाही को लेकर खफा हैं, उनका ये कहना कि यदि अधिकारी सतर्क होते तो यह बस हादसा नहीं होता। बहरहाल सीएम साहब ने सर्किट हाउस में एक रात गुजारकर इस बात का अनुभव कर लिया होगा कि एक आम आदमी मच्छरों से लड़कर पूरी रात कैसे गुजारता है? इस घटना को सकारात्मक रूप से देखने की जरूरत है। प्रदेश के मुख्यमंत्री लोकप्रिय नेता शिवराज सिंह चौहान मच्छरों के प्रकोप से आम जनता को बचाने के लिए प्रदेश में कीटनाशक दवाई छिड़कवाने का आदेश देंगे। साथ ही लापरवाह अधिकारियों को भी उनकी गलती का अहसास कराने के लिए उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। अधिकारियों को भी इस घटना से सबक लेते हुए साथ भविष्य में इस तरह की लापरवाही नहीं करनी चाहिए, जिससे सीएम साहब आराम करने की बजाए परेशान हो जाएं।

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