.. शायद थोड़ी बदसूरती रह जाए

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पिछले हफ्ते मेरी जो बाइडेन से बात हुई। उनके पास कहने को बहुत कुछ था। कैसे वे कैबिनेट के नॉमिनी पाने के लिए सीनेट में बहुमत के नेता मिच मैक्कॉनेल और उनके रिपब्लिकन साथियों से बात करने वाले हैं। कैसे वे अमेरिका-चीन रणनीति को आकार देंगे और क्यों वे ईरान परमाणु समझौते पर लौटने और ईरान पर लगे प्रतिबंधों को हटाने को तैयार हैं।

मैंने एक निजी सवाल भी पूछा कि ऐसे माहौल में चुनाव जीतना कैसा लगा, जहां एक तरफ महामारी है तो दूसरी तरफ ट्रम्प द्वारा फैलाई जा रही गलत जानकारियों की महामारी है? बाइडेन ने जवाब दिया, ‘मुझे लगता है कि मैंने यह सुनिश्चित कर देश के लिए कुछ अच्छा किया है कि डोनाल्ड ट्रम्प चार वर्षों के लिए राष्ट्रपति नहीं होंगे। अभी बहुत काम बाकी है।’ वे कहते हैं कि कितना कुछ कर पाएंगे, यह दो चीजों पर निर्भर करेगा।

पहला, ट्रम्प के सत्ता से पूरी तरह बाहर जाने पर सीनेट में रिपब्लिकन्स कैसा बर्ताव करेंगे। और दूसरा, मैक्कॉनेल अगर सीनेट को नियंत्रित करना जारी रखेंगे, तो वे कैसा व्यवहार करेंगे। बाइडेन की शीर्ष प्राथमिकता कांग्रेस के जरिए उदार राहत पैकेज देना होगी। बड़ी संख्या में रिपब्लिकन सीनेटर यह तय कर सकते हैं कि ट्रम्प के अनियंत्रित खर्चों के चार साल के बाद वे बाइडेन के अधीन फिर से वित्तीय घाटा कम करना चाहते हैं या नहीं।

बाइडेन सहयोग की संभावनाएं खुली रखना चाहते हैं। लेकिन उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि उन्हें रिपब्लिकन्स से ज्यादा अमेरिकी लोगों की परवाह है। उन्हें उम्मीद है कि रिपब्लिकन सहयोग करेंगे और टैक्स सुधार, वैक्सीन को ग्रामीण इलाकों तक पहुंचाने, सुरक्षित ढंग से स्कूल खोलने व रोजगार बढ़ाने के तरीके जैसे मुद्दों पर उनका साथ देंगे।

विदेश नीति पर बाइडेन ने दो जरूरी बिंदू रखे। पहला, ईरान परमाणु समझौते पर उन्होंने कहा कि यह मुश्किल काम होगा लेकिन वे करेंगे। बाइडेन और उनके राष्ट्रीय सुरक्षा दल का इसपर यह मत है कि एक बार समझौता दोनों तरफ से यथावत हो जाए, तो बाद में एक दौर बातचीत का रखना चाहिए, ताकि ईरान पर बम निर्माण से जुड़ी सामग्री बनाने के प्रतिबंधों को बढ़ा सकें, साथ ही ईरान की लेबनान, इराक, सीरिया और यमन के जरिए की जा रही नुकसानदेह गतिविधियों पर भी बात हो सके।

आदर्श रूप से बाइडेन समझौते पर हस्ताक्षकर्ताओं में अब ईरान के अरब पड़ोसियों को भी शामिल करना चाहेंगे। बाइडेन कहते हैं कि अगर ईरान को परमाणु बम मिल जाता है जो इससे सऊदियों, तुर्की, मिस्र और अन्य पर परमाणु हथियार पाने का दबाव आएगा। दुनिया को ऐसी स्थिति की जरूरत नहीं है।

चीन पर बाइडेन का कहना है कि वे ट्रम्प द्वारा चीन के लगभग आधे निर्यातों पर लगाए गए 25% टैरिफ को हटाने पर या फिर ट्रम्प द्वारा तैयार किए गए उस फेज 1 समझौते पर तुरंत काम नहीं करेंगे, जिसके तहत चीन को अमेरिका से 200 बिलियन डॉलर का सामान खरीदना जरूरी होगा। बाइडेन पहले चीन के साथ मौजूदा समझौते की पूरी समीक्षा करना चाहते हैं और इसपर एशिया तथा यूरोप के पारंपरिक सहयोगियों से मशविरा करना चाहते हैं।

बाइडेन की रणनीति चीन के लिए अच्छी खबर नहीं होगी। बाइडेन कहते हैं कि चीन को संभालने में सारा मामला ‘लाभ की स्थिति’ का है और अमेरिका अभी इस स्थिति में नहीं है। यह स्थिति पाने के लिए डेमोक्रेटिक्स और रिपब्लिकन्स, दोनों ने विधेयक बनाए हैं, ताकि अमेरिका में औद्योगिक नीतियां बेहतर हो सकें और दुनिया पहले अमेरिका में निवेश करना पसंद करे।

बाइडेन जोर देते हैं कि इस बार ग्रामीण अमेरिका पीछे नहीं छूटेगा। ऐसा नहीं हो सकता है कि डेमोक्रेट्स चार साल सरकार चलाएं और अमेरिका के हर ग्रामीण इलाके में हार जाएं। बाइडेन कहते हैं, ‘हमें ग्रामीण स्वास्थ्य देखभाल का संकट ओबामाकेयर के जरिए खत्म करना होगा। इसके अलावा ग्रामीण अस्पतालों तक टेलिमेडीसिन का लाभ पहुंचाने के लिए ब्रॉडबैंड सेवाएं बढ़ानी होंगी।’

बात खत्म करने से पहले मैंने अगले राष्ट्रपति बाइडेन से पूछा कि रिपब्लिकन सांसदों की उस धमकी पर उनकी क्या प्रतिक्रिया है, जिसमें उन्होंने कहा है कि वे नीरा टंडन को मैनेजमेंट व बजट का निदेशक नहीं बनने देंगे क्योंकि उन्होंने रिपब्लिकन्स के बारे में बुरे ट्वीट किए थे। क्या आज भी ट्वीट के आधार पर किसी को अयोग्य बताना सही है? बाइडेन ने हंसते हुए जवाब दिया, ‘इस हिसाब से तो हर रिपब्लिकन सांसद और 90% प्रशासन अयोग्य घोषित हो जाएगा। लेकिन नीरा बहुत होशियार हैं।’

बाइडेन ने अंत में बीते चार सालों की बदसूरती पर बात की। उन्होंने कहा, ‘7.2 करोड़ लोगों ने ट्रम्प को वोट दिया। शायद ट्रम्प के पूरी तरह हटने पर भी थोड़ी बदसूरती रह जाए। लेकिन हमें रिपब्लिकन्स के साथ काम करने का रास्ता निकालना होगा, वरना हम बड़ी मुसीबत में फंस जाएंगे।’

थॉमस एल. फ्रीडमैन
(लेखक ‘द न्यूयॉर्क टाइम्स’ में नियमित स्तंभकार हैं ये उनके निजी विचार हैं)

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