जिंदगी का मतलब जुनून

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‘मैं बहुत बुरा स्टूडेंट था इसीलिए मैं खेला। अगर मैं अच्छा स्टूडेंट होता तो मुझे लगता है मैं क्रिकेट नहीं खेल पाता। अगर मैं अपने माता-पिता की बातें ज्यादा ध्यान से सुनता तो आज आप लोगों से सामने यहां नहीं खड़ा होता। मैं इस बात में यकीन करता हूं कि मेरे लिए जिंदगी का मतलब जुनून है। चीजों को करने का जुनून। यह सिर्फ क्रिकेट तक सीमित नहीं है, जो भी आप करना चाहें जुनून बेहद जरूरी है। जब मैं स्कूल जाता था तो मेरा जुनून होता था कि मैं यहां से कैसे भागूं। यहीं से मैंने खुद को एक जुनूनी इंसान के रूप में तैयार किया।

इस दुनिया का सबसे बड़ा जुनून तब नजर आता है जब आप प्यार में होते हैं। मैं अपने साथियों से अक्सर कहा करता था कि मुझे मैदान में वो ही पैशन नजर आना चाहिए, जो आप अपनी ‘डेट’ पर दिखाते हो। ये ही पैशन अपनी जिंदगी में दिखाओ, क्लास में दिखाओ। जो भी आप करें, उसमें आपको कोई हरा नहीं पाए। लगभग आप सभी लोग उस दौर से गुजरे होंगे जब आपकी गर्लफ्रेंड रात के तीन बजे आपको कॉल करने का कहती थी तो आप बिना घड़ी के ठीक उसी समय उसे कॉल कर लिया करते थे।

ये होता है अल्टीमेट पैशन। ये ही एकमात्र चीज है जो आपके पैरेंट्स आपको नहीं सिखाते और आप इसमें एक्सपर्ट हो जाते हैं। ऐसा ही अल्टीमेट पैशन क्या आप अपनी जिंदगी में ला सकते हैं, मैंने अपने जीवन में यही किया। मैं हमेशा महसूस करता हूं कि आप जीवन में जो भी करें, जुनून के साथ करें। जैसे-जैसे आप इस दिशा में आगे बढ़ेंगे, आप सीखते जाएंगे। मैंने कई लोगों से सीखा।

मैं जब लोगों से मिलता हूं तो अभी भी यह कोशिश में रहता हूं कि उससे क्या सीख ले लूं। वैसे कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जिनका ध्यान दूसरों की गलतियों पर रहता है। मैं चाहता हूं आप अच्छाई पर ध्यान केंद्रित करें ताकि सकारात्मक इंसान बन पाएं।

मैं खेल के प्रति जुनूनी रहा। खेल का मतलब हर खेल… चंडीगढ़ में पांच मौसम में हम पांच खेल खेला करते थे। खेलने का यह जुनून जारी रहा और फिर धीरे-धीरे मुझे समझ आया कि अगर मैं क्रिकेट खेलता हूं तो ज्यादा समय तक स्कूल से दूर रह सकता हूं क्योंकि यह तीन से पांच दिन तक चलता है। हॉकी का मैच कुछ मिनट में खत्म हो जाता था तो मैं स्कूल मिस नहीं कर सकता था।

जब मैंने क्रिकेट खेलना शुरू किया तो किसी ने मुझे कहा था कि कपिल अगर तुम जीवन में सफल होना चाहते हो तो आंख और कान खुले रखना, सोते हुए भी। इस बात को समझने में वक्त लगा। जो भी आपके आस-पास घट रहा है उसे लेकर जागृत रहिए। इससे मुझे काफी फायदा हुआ और दुनिया के जिस भी कोने में मैं गया, वहां मेरी कोशिश होती थी ज्यादा से ज्यादा ज्ञान मैं बटोर लूं।

आपके पास कितना ज्ञान है, यही दूसरों में आप में फर्क पैदा करेगा। अगर आप एजुकेटेड हैं जो आपको हासिल हुए नंबर मायने नहीं रखते, मायने रखता है कि आप कितने ज्ञानवान हैं। यही मैंने अपने इस छोटे-से जीवन में किया है।’

कपिल देव
भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान हैं ये उनके निजी विचार हैं)

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