कोरोना महामारी में लगाई गई विभिन्न पाबंदियों के कारण कई परिवार बच्चों के बढ़ते वजन को लेकर चिंतित हैं, हालांकि इसका अर्थ यह नहीं है कि बच्चों से डाइटिंग कराई जाए। ऐसा करने से बड़े होने पर उनमें ईटिंग डिसऑर्डर का खतरा बढ़ता है। बच्चों के शरीर में बदलाव होना सामान्य प्रक्रिया है। फिर चाहे महामारी हो या फिर न हो। जब तक उनमें हाइट नहीं बढ़ती शरीर गोल-मटोल होता है। बच्चों के बढ़ते वजन की चिंता करने के बजाय माता-पिता को चाहिए के वे उनकी भावनात्मक और शारीरिक दोनों तरह से देखभाल पर फोकस करें। ऐसा पाया गया है कि जब हम बच्चे को किसी चीज को खाने से रोकते हैं तो वह उसे और अधिक खाने लगता है। बच्चों को ज्यादा टोकने से बेहतर है कि खाने-पीने और रोजमर्रा की दूसरी आदतों जैसे खेल-कूद, डिजिटल एक्सपोजर के बेहतर शेड्यूल को फॉलो करें। सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंसन (सीडीसी) के अनुसार 3 से 5 साल तक के बच्चों को दिन भर एक्टिव रहना चाहिए, जबकि 6 से 17 वर्ष तक के बच्चों को हर दिन 60 मिनट शारीरिक गतिविधि करनी चाहिए। एरोबिकट एक्टिविटी के अलावा हड्डियों को मजबूत करने वाली दौड़, कूद और मांसपेशियों को मजबूत करने वाली गतिविधियां जरूर शामिल हों।
6 से 12 साल के बच्चों को 1600 से 2200 कैलोरी की जरूरत होती है। महामारी के दौर में घर में रहकर बार-बार खाने से कैलोरी इंटेक बढ़ गया है। ऐसे में जब वे कुछ खाने के लिए मांगे तो उन्हें एक गाजर, सेब या केला, थोड़े अंगूर दे सकते हैं। इनमें 100 से भी कम कैलोरी होती है। हार्वर्ड रिसर्च के अनुसार दो घंटे से अधिक स्क्रीन के सामने बिताना नुकसानदायक है, लेकिन कोरोना के दौरान बच्चों का स्क्रीन टाइम ऑनलाइन क्लासेज की वजह से बढ़ गया है। एक शोध के अनुसार टीवी देखते समय बच्चे जरूरत से अधिक खाते हैं। इससे मोटापा बढ़ता है। इस खतरे से बचने के दो उपाय हैं। भोजन के समय बच्चों को टीवी न देखने दें और सोने के दो घंटे पहले स्क्रीन संबंधी गतिविधयां बंद करा दें। सीडीसी के अनुसार 3 से 5 साल के बच्चों को 10-13 घंटे (झपकी भी शामिल है), 6-12 साल, 9-12 घंटे और 13-18 वर्ष के किशोरों को 24 घंटे में 8-10 घंटे की नींद जरूरी है। दरअसल अपर्याप्त नींद अधिक खाने और शारीरिक रूप से निष्क्रिय रहने के लिए प्रेरित करती है।
डॉ. गार्गी पटेल
(लेखिका प्रोफेसर पीडियाट्रिस बीजेएमसी, अहमदाबाद नेशनल वाइस प्रेसिडेंट, आईएमए हैं ये उनके निजी विचार हैं)