कम फजीहत नहीं हाथ के साथ

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कांग्रेस अध्यक्ष को चिट्ठी लिख कर नेतृत्व का मुद्दा उठाने वाले 23 लोगों में शामिल रहे कपिल सिबल ने एक बार फिर पार्टी नेतृत्व का मुद्दा उठाया है। उन्होंने कहा है कि कांग्रेस पार्टी जरूरी मुद्दे नहीं उठा रही है, न तो जनता के मुद्दे और न पार्टी के अंदर के मुद्दों पर विचार हो रहा है। उन्होंने कहा कि बिहार विधानसभा और देश के कई राज्यों में हुए उपचुनावों के नतीजों से पता चल रहा है कि लोग कांग्रेस को विकल्प के तौर पर नहीं देख रहे हैं। यह कांग्रेस के लिए चिंता की बात होनी चाहिए। कांग्रेस के 23 लोगों ने जो चिट्ठी लिखी थी उसमें भी यहीं सब बातें कही गई थीं। कांग्रेस नेताओं ने मांग की थी कि पार्टी का एक पूर्णकालिक अध्यक्ष बने, जो एटिव हो। इन नेताओं ने ऊपर से नीचे तक सारे पदों पर चुनाव कराने की मांग की थी। उस समय राहुल गांधी इतने नाराज हो गए थे कि उन्होंने कथित तौर पर कह दिया था कि इसके पीछे भाजपा की साजिश है। सिबल इस पर बहुत नाराज हुए थे और उन्होंने ट्विटर पर अपना प्रोफाइल बदल लिया था। बाद में खुद राहुल गांधी ने उनसे बात करके सफाई दी।

असल में चिट्ठी लिखने वाले कांग्रेस नेताओं में सिबल इकलौते नेता हैं, जो अपनी राज्यसभा सीट के लिए कांग्रेस पार्टी पर निर्भर नहीं रहते हैं। इसलिए वे खुल कर अपनी बात कहते हैं। कांग्रेस नेताओं की चिट्ठी के बाद कार्यसमिति की बैठक हुई थी, जिसमें छह महीने में अध्यक्ष के चुनाव की बात तय हुई थी। उसके तीन महीने हो गए हैं। माना जा रहा है कि सिबल के बयान के बाद अब अध्यक्ष के चुनाव की प्रक्रिया भी तेज होगी और नेतृत्व को लेकर पार्टी के अंदर मंथन भी तेज होगा। गड़बड़ एनडीए में भी कम नहीं है। मुख्यमंत्री के शपथग्रहण समारोह में पीएम नरेंद्र मोदी ने आना जरूरी नहीं समझा। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने चुनावी जीत पर बड़ा शो नहीं किया। उन्होंने शपथ समारोह भी बहुत छोटा रखा। उससे पहले भी कोई विजय रैली या जुलूस नहीं निकाला गया। लेकिन उससे उलट भाजपा ने दिल्ली में बड़ा समारोह किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पार्टी मुख्यालय में मेगा शो का नेतृत्व किया। मंगलवार को गिनती देर रात तक चली तो इसे अगले दिन के लिए टाला गया और बुधवार को पार्टी मुख्यालय में हजारों लोगों की मौजूदगी में प्रधानमंत्री मोदी ने लंबा भाषण किया।

बिहार की जीत का महत्व बताया और बिहार की जनता को धन्यवाद दिया। अब सवाल है कि बिहार में भाजपा को न अपने दम पर बहुमत आया है और न वह सबसे बड़ी पार्टी बन पाई है। इसके बावजूद प्रधानमंत्री ने इतना बड़ा शो यों किया? इसका पहला कारण तो यह था कि पिछले कई सालों से भाजपा राज्यों के चुनाव में लगातार खराब प्रदर्शन कर रही थी। पिछले तीन साल में एकाध अपवादों को छोड़ दें तो भाजपा हर जगह हारी। हरियाणा में जहां उसने सरकार बना ली वहां भी उसकी सीटें कम हुईं और उसे सहयोगी पार्टी के सहारे सरकार बनानी पड़ी। इसके अलावा महाराष्ट्र, दिल्ली, झारखंड सब जगह पार्टी हारी थी। सो, बिहार की जीत को बड़ा बना कर दिखाना था। दूसरा कारण यह है कि बिहार में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद खूब मेहनत की थी। पार्टी के मुख्य चुनाव रणनीतिकार अमित शाह इस बार बिहार चुनाव से बाहर थे। इसलिए सारी जिम्मेदारी नरेंद्र मोदी के कंधों पर थी। तभी उन्होंने बिहार चुनाव के नतीजों के बाद मेगा शो किया। उन्होंने इस शो के जरिए बिहार में भाजपा का समय आ जाने का ऐलान भी किया।

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