जीने के लिए सीखना जरूरी

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हम सबके चंद साझे शिक्षक हैं। इनकी कक्षा में जो ध्यान लगाकर पढ़ ले, उसके तजुर्बे दूसरों के लिए प्रेरणा बन जाते हैं। कभी समय रहते संभलने का सबक़ मिलता है तो कभी कुछ कर गुज़रने के बाद का अनुभव कोई नया पाठ पढ़ाता है। कभी अपनों का व्यवहार कोई सीख दे जाता है तो कभी परायों का बर्ताव हमारा सबक़ बनता है।

इन बातों और हालात को भी शिक्षक ही समझिए जो आपको बहुत कुछ सिखाते, समझाते और तराशते हैं। ताउम्र चलने वाली इस क्लास का हर पाठ, अनुभव और एहसासों की पोटली भरता जाता है।

ग़लतियों से लीजिए सीख
कहते हैं कि ख़ुद की ग़लतियां जीवन में सबसे बड़ी शिक्षक होती हैं। यूं भी ग़लतियां करना सीखने के सफ़र का ही एक हिस्सा है। अपनी भूल से मिला सबक़ अनुभव और संभलने की सीख साथ लाता है। आमतौर पर हम अपनी ग़लतियां स्वीकार नहीं कर पाते। लेकिन इस स्वीकार्यता के बिना कोई सीख भी नहीं मिल सकती।

जबकि कामयाब और सजग इंसान की पहचान यही है कि वो समय-समय पर अपनी ग़लतियों से शिक्षा ले और उन्हें आगे कभी न दुहराए, ताकि ऐसी ग़लतियां अनुभव बन सदा के लिए आपको सतर्क और समझदार बना दें।

प्रकृति की कक्षा में पढ़ाई
प्रकृति हर दिन एक परीक्षा देती है। हर मौसम को गले लगाती है। हर परिस्थिति से जूझने का पाठ पढ़ाती है। पतझड़ के बाद बहार में फिर खिल उठने का भाव ग़म और ख़ुशियों की स्वीकार्यता का भाव समझाता है।

प्रकृति सिखाती-समझाती है कि समय हरदम एक-सा नहीं रहता। लेकिन तकलीफ़ों के बाद बेहतर समय भी ज़रूर आता है, जब फिर आशा और उत्साह के कोंपल फूटते हैं। ज़रूरत है तो इतनी कि हम अपने जीवन को हौसले और सकारात्मकता से सींचते रहें।

दूसरों के अनुभव से सीखें
चार्ल्स काल्टन के अनुसार, ‘अनुभव को ख़रीदने की तुलना में उसे दूसरों से मांग लेना अधिक अच्छा है।’ वैसे भी हर बार ख़ुद ग़लती करके सीखने के लिए तो पूरी ज़िंदगी ही कम है। यानी स्वयं ग़लतियां करने से बचने के लिए हमें औरों के अनुभव से भी सीखना चाहिए।

इतना ही नहीं अगर ख़ुद को किसी तरह का नकारात्मक अनुभव हुआ हो तो उससे मिली सीख को भी सदा के लिए याद रखें। ‘ख़राब अनुभव एक ऐसा स्कूल है जहां सिर्फ़ मूर्ख वापस जाते रहते हैं।’

जागरूकता के पाठ
कहते हैं कि जो शिक्षित होता है वही जागरूक होता है। लेकिन सच यह भी है कि हमारा जागरूक रहना ही हमें कुछ सिखा सकता है।

जीवन से जुड़े हालात में सजग और सचेत रहना हर दिन, हर पल एक सीख देता है। कहने को तो ज़िंदगी ही एक क्लास रूम है। इसमें हरदम सतर्क रहना सीखिए ताकि अपने परिवेश और परेशानियों से कई पाठ पढ़ सकें, इनसे मिले सबक़ ज़िंदगी में काम ले सकें।

समय से सबक़ लें
वक़्त जीवन में सबसे बड़ा शिक्षक है। समय के साथ आने वाले उतार-चढ़ाव ज़िंदगी से जुड़े कई पहलुओं से रूबरू करवाते हैं। बुरा वक़्त जब कड़वी सच्चाइयों से सामना करवाता है तो कभी न भुलाई जाने वाली सीख दे जाता है।

रिश्तों-नातों से लेकर कामकाजी हिस्से तक, जीवन के हर पहलू को समझने के लिए समय-समय पर मिले सबक़ ज़िंदगी की दिशा बन जाते हैं। वक़्त एक कड़वी-मीठी दवाई जैसा है जो दिखाई नहीं देता पर एक बेहतरीन टीचर बन बहुत दिखा-समझा देता है।

डा. मोनिका शर्मा
(लेखिका डाक्टर हैं ये उनके निजी विचार हैं)

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