विकास दुबे के बहाने कानपुर

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कानपुर से अपना बहुत पुराना व गहरा संबंध है। इसलिए जब वहां के कुख्यात अपराधी विकास दुबे द्वारा अपने घर पर दबिश देने आई पुलिस की सशस्त्र टुकड़ी पर हमला कर उसमें शामिल आठ लोगों को मारने की खबर पढ़ी तो तमाम पुरानी यादे ताजी हो गई। यह वह शहर है जहां मैंने अपना बचपन, किशोरवस्था व जवानी गुजारी है। यहां के लोगों की संस्कृति व उनकी हरकतो को बहुत गहराई से जानता हूं। राष्ट्रीय अपराध ब्यूरो के आंकड़ों के मुताबिक हत्या, बलात्कार व डकैत सरीखे जघन्य अपराधों के लिहाज से यह शहर पूरे देश में सबसे आगे है। गंगा नदी के किनारे बने इस शहर के पानी की कुछ ऐसी खासियत है कि यह अपराध व अपराधियों का पर्याय बन चुका है। अपराध तो मानों लोगों के खून में डीएन की तरह से शामिल हो चुका है। पढ़े-लिखे, मध्यमवर्ग के अच्छे परिवारों के लोग अपराध कर रहे है।

ब्राह्मण बाहुल्य इस शहर के तमाम अपराधी भी इसी वर्ग से है जो कि पूजा-पाठ के कारण सम्मानित नजरो से देखे जाते रहे है। अगर किसी परिवार का एक सदस्य पुलिस में है तो दूसरा जाना-माना अपराधी है। सच कहा जाए तो यह वह शहर है जहां अपराध व अपराधी को घृणा व शक की नजरो से नहीं बल्कि सम्मान की नजरो से देखा जाता है।कुछ पुरानी यादे सुनाकर मैं अपनी बात की पुष्टि करना चाहता हूं। तब मैं वहां सम्मानिक व प्रतिष्ठित क्रारस्ट चर्च कॉलेज में पढ़ता था व सरिता, मुक्ता पत्रिकाओं का कानपुर विश्वविद्यालय प्रतिनिधि होने के कारण वहां घटने वाली संस्कृति व कला संबंधी खबरो व खिलाडि़यो के बारे में पता रखता था। कलाकारों व खिलाडि़यों का इन पत्रिकाओं में छपने वाली उभरती प्रतिभाएं कालम के लिए इंटरव्यू करता था। एक बार कॉलेज की केंटीन में बैठा चाय पी रहा था कि बैरा मेरी सीट पर कुछ समोसें, रसगुल्ले लेकर आ गया। मैंने उससे कहा कि मैंने तो यह नहीं मंगवाया है तो वह कुछ दूर स्थित एक मेज पर बैठे लड़के की और इशारा करते हुए बोला कि वहां बैठे साहब ने भिजवाया है।

इससे पहले कि मैं कुछ कहता वहां बैठे एक लड़के ने इशारा कर मुझसे उन्हें खाने को कहा और बोला कि खा कर मेरे पास आ जाना। मैं अभी तय नहीं कर पाया था कि अनजान व्यक्ति द्वारा भेजी गई चीज को स्वीकार करू या न करूं कि तभी वे चारो लड़के मेरे पास आकर कुर्सिया खींचकर बैठ गए। उनमें से एक ने जोकि नेता किस्म का था उसने एक लंबे-चौड़े लड़के से मिलवाते हुए कहा कि यह अग्निहोत्रीजी है जिन्होंने पिछले महीने दिन-दिहाड़े यूनाइटेड बैंक लूटकर एक दिन में पांच लाख रुपए लूटने का रिकार्ड बनाया था।मैं इनसे मुलाकात करता रहता हूं। ऐसा करे कि इनकी इस उपलब्धि के लिए इनका फोटा व इंटरव्यू अपनी पत्रिका में उभरती प्रतिभा कॉलम में छाप दो। फिर हम मिलकर पार्टी करेंगे। तुम्हारी सैकड़ो प्रतियां तो इनके प्रशंसक ही खरीद ले जाएंगे। उस उभरती प्रतिभा को देखकर मैं दंग रह गया। मगर उसे जानने के बाद उसके भेजे समोसे व रसगुल्ले न खाकर उन्हें ठुकराने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा था।

मेरे अभिन्न मित्र राघवेंद्र छोटे के पड़ोस में एक शुक्ला परिवार रहता था। उनका बेटा लल्लू काफी सक्रिय था। मगर एक दिन उसने भांजे को हमारे सामने उसे डांटते हुए कहा कि यह तो पूरी तरह से अपने बाप के ऊपर गया है व लल्लू होकर रह गया है। भैया हमारा खानदान काफी चर्चित है मेरे भाई व लल्लू के मामा कोई ऐसी वैसी चीज नहीं। वे तो डकैत हैं डकैत। एक गांव में हाथ डालने जाते हैं तो चार गांव तक के लोग डर कर अपने घरों में कैद हो जाते हैं। यह था उनके द्वारा अपराधों का महिमा मंडन करना।वह मौहल्ले में रौब, दबाव जमाने के लिए किशोरावस्था से ही चाकू रखने लगा। पान वाले द्वारा बकाया चंद रुपए की राशि मांगने पर उसे चाकू या गोली मार देना इस शहर के एक वर्ग विशेष की खास आदत है। इनके लिए थाने तक ऐसा आते जाते रहना तो मानो एमए व डाक्टरेट करने जैसा है। जब मैं वहां पत्रकारिता करता था तब शहर के एक जाने माने प्रतिष्ठित डाक्टर ओएन सेठ के सिविल लाइंस स्थित बगले पर सत्तारूढ़ दल के एक नेता ने दिन-दिहाड़े ताले तोड़कर डाक्टर परिवार का सामान घर के बाहर फेंक दिया था। विकास दुबे ने जो किया वह तो हांडी के एक चावल की तरह का उदाहरण ही है।

लंबे अरसे से इस रामजन्म भूमि वाले राज्य में अपराधी, राजनीतिक दलों का व उनको पालते व संरक्षण देते आ रहे लोगों को बोलबाला रहा है। वे लोग मौका आने पर एक मसाला हिंदी फिल्म की तरह नई पटकथा उपलब्ध करवा देते हैं। इस हिस्ट्रीशीटर के 20 साल की गुंडागर्दी के दौरान उसके खिलाफ हत्या सरीखे 60 मामले दर्ज किए गए मगर वे थाने पहुंचता इससे पहले ही उसके नेता आकाओं के फोन पहुंच जाते थे व पुलिस उसके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करती। वह इतना दुस्साहसी था कि उसने 2001 में उत्तर प्रदेश के राज्यमंत्री संतोष शुक्ल की हत्या कर दी थी।उसने जेल में रहते हुए ही लोगों की हत्या की साजिश रची। संतोष शुक्ल तो सत्तारूढ़ भाजपा का नेता व मंत्री थे। यहां यह याद दिलाना जरूरी हो जाता है कि जब वीपी सिंह ने उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री रहते हुए डाकुओ के खिलाफ अभियान छेड़ा था तो उनके बड़े भाई व इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज चंद्रशेखर प्रसाद सिंह व उनके 15 वर्षीय बेटे अजीत प्रताप सिंह की डकैतो ने गोली मार कर हत्या कर दी थी। इससे वहां के अपराधियों के दुस्साहस का अनुमान लगाया जा सकता है।दुबे ने 1995 में बसपा को अपनाया था फिर वह जिला पंचायत का चुनाव जीता। उसकी पत्नी सपा के टिकट व सहयोग से पंचायत का चुनाव लड़ी। ब्राह्मण बाहुल्य इस इलाके में लगभग हर व्यक्ति को चुनाव में उसकी याद की जरूरत रहती है ताकि वह लोगों को डरा धमका कर उसके उम्मीदवार को जितवा सकें। मंत्री की हत्या करने के बाद वहां की पुलिस ने मानो उसके सामने अपने हथियार ही डाल दिए थे।

विवेक सक्सेना
( लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं ये उनके निजी विचार हैं )

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