25 मार्च बुधवार को हिंदू नववर्ष की शुरूआत हो रही है। इस साल 2077 में प्रमादी नाम का विक्रम संवत रहेगा। इस संवत में सूर्य, चंद्र, बुध, बृहस्पति और शनि ये 5 ग्रह प्रभावशाली रहेंगे। इनके प्रभाव से देश की आर्थिक स्थिति में सुधार होगा। न्याय व्यवस्था में मजबूती आएगी और अन्य मामलों में भी देश की तरक्की होगी। इस नए संवतसर का राजा बुध और मंत्री चंद्रमा रहेगा। इनके प्रभाव से अनाज उत्पादन बढ़ेगा और कृषि के क्षेत्र में भी विकास होगा। नव विक्रम संवत 25 मार्च से शुरू होगा। 2077 का नव संवत्सर प्रमादी नाम से पुकारा जाएगा। इस नवसंवत्सर के राजा बुध और मंत्री चंद्रमा होंगे। प्रमादी नामक संवत के प्रभाव से कृषि के क्षेत्र में विकास देखने को मिलेगा और अनाज का अच्छा उत्पादन होगा। काशी हिंदू विश्वविद्यालय के ज्योतिषाचार्य पं. गणेश मिश्रा के अनुसार नए संवतसर का स्थान वैश्य के घर में होने से व्यापारियों को लाभ मिलेगा। देश की आर्थिक स्थिति में सुधार होगा। बुध और चंद्रमा के बीच मित्रता की कमी होने से सरकार कुछ नए और कड़े कानून भी ला सकती है। इसके साथ ही भाद्रपद माह में ज्यादा बारीश होने की संभावना है। ज्योतिषाचार्य पं. मिश्रा के अनुसार इस साल बृहस्पति के प्रभाव से धर्म मजबूत होगा। धार्मिक कार्य पूजा-पाठ और दान बढ़ेगा। धर्मों से जुड़े महत्वपूर्ण फैसले हो सकते हैं। बृहस्पति के प्रभाव से ही देश में अतिवृष्टि भी हो सकती है। धान और अन्न बढ़ेगा। बृहस्पति के प्रभाव से कृषि और पशुपालन बढ़ेगा। इसके साथ ही बड़े पदों पर स्थित धार्माचार्यों के लिए समय खास रहेगा। सोना, चांदी, तांबा और अन्य धातुओं के प्रति लोगों का झुकाव बढ़ सकता है। इस संवत के मंत्री चंद्रमा के कारण भौतिक सुख-सुविधाओं की ओर लोगों का ध्यान अधिक रहेगा। बारीश भी ज्यादा हो सकती है। दूध और सफेद वस्तुओं का उत्पादन भी बढ़ सकता है। बाजार के मूल्यों में उतार-चढ़ाव की कोई भी स्थिति लंबे समय तक नहीं रह पाएगी और लोगों को महंगाई से राहत मिल सकती है।
बुध का असर: सरकार के कोष का स्वामी बुध है। बुध के धनेश होने से देश का व्यापार बढ़ सकता है। बिजनेस करने वालों को फायदा हो सकता है। सरकारी खजाने भी बढऩे की संभावना है। जिससे देश में विकास होगा। धार्मिक कामों के साथ आर्थिक मामलों के लिए भी समय शुभ रहेगा। बुध के प्रभाव से शुभ एवं मांगलिक कार्यों का आयोजन बना रहेगा। मनोरंजन के क्षेत्र में लोगों का झुकाव अधिक रहने वाला है. धन-धान्य और सुख-सुविधाओं के प्रति भी अधिक इच्छाएं होंगी। कला और संगीत के क्षेत्र में अधिक विकास होगा।
शनि का प्रभाव: इस साल रसों का स्वामी शनि होने से जलस्तर घटने और वर्षा के जल का संचय नहीं हो पाने के संकेत मिल रहे हैं। इसके साथ ही अन्य द्रव्य का संचय नहीं हो पाने से लोग परेशान हो सकते हैं। मौसमें प्रतिकूल बदलाव भी हो सकते हैं।
सूर्य का प्रभाव : इस साल सूर्य के प्रभाव से गेहूं, जौ, चने, बाजरा दूध, गुड़ के उत्पादन में वृद्धि होगी। फल और फूलों की पैदावार में बढ़ोतरी होगी। खाने की चीजों में बढ़ोत्तरी होगी। सूर्य के प्रभाव से प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा कृषि और खाने की चीजों को लेकर अच्छा काम होगा।