चीन की दबंगई पर सरकार की चुप्पी

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देश की आजादी के बाद से चीन की निगाह हमारे देश की भूमि पर कब्जा करने को टिकी है, धीरे-धीरे वह अपनी रणनीति को अमलीजामा पहनाने में सफल भी हो रहा है। चीन ने अपनी दबंगई के चलते अरुणांचल प्रदेश की सीमा के लगभग साढ़े चार किलोमीटर अंदर ऊपरी सुबनसिरी जिले में अपने गांव बसाने शुरू कर दिए हैं, यही नहीं, चीन ने इन गांवों को फस्र्ट लाइन का नाम देकर वहां सड़कें आवास तैयार करके वहां अपने लोग बसाने शुरू कर दिए हैं। इन लोगों की चीन आर्थिक मदद भी कर रहा है। हमारी सरकार चाहकर भी कोई ठोस कदम उठाने की स्थिति में नहीं है, बल्कि उसने चुप्पी साध रखी है। सैटेलाइट तस्वीरों में दिख रहा है कि चीनी गांव में चौड़ी सड़कें और बहुमंजिला इमारतें बनाई गई हैं। इसमें करीब 101 घर बनाए गए हैं। इन घरों में चीनी लोगों को बसाया गया है। घरों के ऊपर चीनी झंडा भी लगाया गया है। ड्रैगन की इस नई चाल के पीछे चीनी राष्ट्रपति की एक कुटिल योजना सामने आ रही है। चीन ने अपना यह गांव भारत के त्सारी चू नदी के किनारे बसाया है। रक्षा सूत्रों के मुताबिक इस इलाके पर चीन का वर्ष 1959 से कब्जा है।

सुना तो यहां जा रहा है कि चीनी सेना ने डोकलाम की घटना के बाद अब इस इलाके में अपनी गतिविधियों को बढ़ा दिया है। यही नहीं चीनी धीरे-धीरे लगातार इस विवादित इलाके पर अपनी पकड़ मजबूत कर रहा है। तिब्बती संगठनों का कहना है कि चीनी राष्ट्रपति का गांव बसाने का मकसद तिब्बत और बाकी दुनिया के बीच एक ऐसा सुरक्षा बैरियर बनाना था जो अभेद्य हो। माना जा रहा है कि अरुणाचल प्रदेश में बसाया गया गांव भी चीनी राष्ट्रपति के अजेंडे का हिस्सा है। सूचना के बावजूद मोदी सरकार ने अब तक कोई एक्शन नहीं लिया है। चीन की इस कार्रवाई को स्वीकार करने वाले हमारे विदेश मंत्रालय का कहना है कि चीन ने सीमाई इलाकों में पिछले कुछ वर्षों से इस तरह के ढांचे तैयार किए हैं। हालांकि उसने अरुणाचल प्रदेश के अंदर इस तरह का कंस्ट्रक्शन होने की पुष्टि नहीं की है। विदेश मंत्रालय का यह कहना कि सरकार देश की सुरक्षा पर असर डालने वाली हर घटना पर लगातार निगरानी कर रही है। भाजपा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी का यह कहना कि लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश में हमारी जमीन पर चीन के कब्जे की बात न मानना सरकार की बहुत बड़ी भूल है। इस बात का संकेत है कि सरकार को चीन की इस हरकत का संज्ञान है लेकिन वह कोई कार्रवाई करने में विवश है।

दोनों राज्यों से चुने गए भाजपा के सांसद इसकी पुष्टि कर रहे हैं, लेकिन सरकार की ओर से कार्रवाई नहीं हो पा रही है। लद्दाख की गलवान घाटी में पिछले साल 15 जून को चीनी हमले के दौरान भारत के 20 जवान शहीद हो गए थे। चीन के 40 से ज्यादा सैनिक मारे गए थे। गलवाल हमले ने देश को हिलाकर रख दिया था। हमले के बाद से देश की जनता चाहती थी कि भारत सरकार चीन को इस कार्रवाई के लिए सबक सिखाए लेकिन हमारी सरकार ने सीधे हमला न करके चीनी उत्पाद पर पाबंदी लगाने का ऐलान किया था। इस पाबंदी से सरकार का मकसद चीन को आर्थिक क्षति पहुंचाना था। चीन की प्रवृति ऐसी नहीं है कि आर्थिक क्षति पर कोई मलाल करे। वह भारत द्वारा इस उपेक्षा को दरकिनार करते हुए अपने मकसद में क्रियांवित है। सरकार को चाहिए कि अरुणांचल प्रदेश व लद्दाख में चीन की हर हरकत पर नजर रखे और जरूरत के मुताबिक उसको जवाब भी दे। यदि वह इतना करने की भी स्थिति में नहीं है तो चीन को वह अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में ले जाए तभी उसकी हरकतों पर अंकुश लग सकेगा।

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