महंगाई नियंत्रित करे सरकार

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पेट्रोल व डीजल की ऊंची कीमतें चिंता पैदा करने वाली हैं। बेशक केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान तर्क दें कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में आए उछाल की वजह से देश में पेट्रोल की कीमतों बढ़ोारी हो रही है, लेकिन यह तर्क समस्या से आंख चुराने जैसा है। पेट्रोल व डीजल के दाम समूचे बाजार तंत्र को प्रभावित करते हैंए महंगाई से इसका सीधा संबंध है, लगातार इंधन की कीमतें बढऩे से ट्रांसपोर्टेशन खर्च भी बढ़ रहा है, इसका असर खाद्यान्न, फल, सजियों के दाम समेत कई और चीजों पर भी पड़ रहा है। इसलिए सरकार को इसके दाम को नियंत्रित रखना ही होगा। पाकिस्तान समेत कई मुल्कों से महंगे पेट्रोल व डीजल भारत में हैं, जबकि भारत की अर्थव्यवस्था की बुनियाद काफी मजबूत है। इस साल पेट्रोल और डीजल की कीमतों में बेतहाशा बढ़ोतरी हुई है, जबकि कटौती सिर्फ 4 बार हुई है। छह राज्यों एव केंद्र शासित प्रदेशों-राजस्थान, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और लदाख के 135 जिले में पेट्रोल का खुदरा मूल्य 100 रुपये लीटर से ऊपर पहुंच गया है।

स्थानीय करों और मूल्य वर्धित कर (वैट) की दरें अलग-अलग होने के कारण ईधन के दाम विभिन्न राज्यों में अलग-अलग होते हैं। सिर्फ इस साल की बात करें तो पेट्रोल की कीमतें अब तक करीब 14 प्रतिशत बढ़ चुकी हैं। चार मई के बाद यह 22 वां मौका है जब, ईंधन के दाम बढ़ाए गए हैं, अब तक पेट्रोल 5.45 रुपये लीटर व डीजल 6.02 रुपये लीटर महंगे हुए हैं। वर्ष 2014-15 से लेकर अब तक देश में पेट्रोल 30 रुपये और डीजल 36 रुपये प्रति लीटर महंगा हो चुका है। जिसका सीधा असर आम आदमी की जेब पर पड़ रहा है। तेल कंपनियां अंतरराष्ट्रीय बजार में मानक ईंधन के पिछले 15 दिन के औसत मूल्य और विदेशी मुद्रा विनिमय दर में होने वाली घट-बढ़ के आधार पर पेट्रोल और डीजल की कीमतों को रोजाना संशेधित करती हैं। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चा तेल 72 डॉलर प्रति बैरल है, जो कु छ महीने पहले के 63 डॉलर प्रति बैरल से जरूर ज्यादा है, पर 72 डॉलर इतना अधिक नहीं है कि पेट्रोपदार्थों के दाम को आग लगा दें। 100 डॉलर प्रति बैरल होने पर भी भाव नियंत्रण में रहे हैं। भारत में पेट्रोल व डीजल के महंगे होने का एक कारण इन पर भारी टैक्स भी है। पेट्रोलियम प्लानिंगएंड एनालिसिस सेल (पीपीएसी) के आंकड़ों के अनुसार, मई 2020 में ही केंद्र सरकार ने एक्साइज ड्यूटी बढ़ाई थी।

उस वक्त एक लीटर पेट्रोल पर एसाइज ड्यूटी 229 रुपये से 329 रुपये और डीजल पर 188 रुपये से 31.8 रुपये बढ़ाई गई थी। साल 2015-16 में केंद्र सरकार को एक्साइज ड्यूटी से 1.78 लाख करोड़ रुपये की कमाई हुई, जो 2020-21 (अप्रैल से दिसंबर तक) में बढ़कर 235 लाख करोड़ रुपये हो गई। देश की शीर्ष तीन तेल कंपनियों, इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन (आईओसी) हिंदुस्तान पेट्रोलियम और भारत पेट्रोलियम का मुनाफा भी बढ़ा है। मार्च 2021 को समाप्त तिमाही में इन्होंने क्रमश: 8781 करोड़ रुपये 3018 करोड़ रुपये और 11940 करोड़ रुपये कमाए हैं। जब देश का विदेशी मुद्रा भंडार यानी फॉरक्स रिजर्व रिकार्ड 600 अरब डॉलर से ज्यादा है। दुनियाभर में फॉरेक्स रिजर्व के लिहाज से भारत 5 वें स्थान पर है। रुपये की मजबूती और एक्सपोर्ट बढऩे से देश का फॉरेक्स रिजर्व बढ़ रहा है। 52.474 अंक के साथ सेंसेक्स ऑल टाइम हाई पर है। ये आंकड़े बताते हैं कि भारतीय अर्थव्यवस्था की बुनियाद व सौंटमेंट दोनों मजबूत हैं, इसलिए सरकार करों में रियायत देकर पेट्रोल व डीजल को सस्ता कर सकती है। सरकार को इस ओर गंभीरता से ध्यान देना चाहिए।

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