Uncategorized गीता का सार By admin - December 8, 2020 0 321 Share Facebook Twitter Google+ Pinterest WhatsApp क्रोध से भ्रम पैदा होता है। भ्रम से बुध्दि व्यग्र होती है। जब बुध्दि व्यग्र होती है तो तर्क नस्ट होता है। तब व्यक्ति का पतन हो जाता है। मनुष्य को क्रोध का परित्याग करना चाहिए