गीता सार

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क्यों व्यर्थ चिंता करते हो ?
किसलिए दुखी होते हो ?
जो हुआ, अच्छा हुआ जो हो रहा है, अच्छा हो रहा है,
जो होगा, वह भी अच्छा ही होगा

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