काल्पनिक फिनिशिंग लाइन के पार

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मुझे अभी भी याद है। मैंने सितंबर 2011 में खबर देखी कि न्यूयॉर्क में दो इमारतों पर हमला हुआ। तब मैंने पहली बार ये शब्द सुने- ओसामा, अल-कायदा। जब मुझे पता चला कि समंदर किनारों से आगे निकल आया है। तब पहली बार सुनामी शब्द सुना। इससे पहले मैंने कभी पैंडेमिक (महामारी) शब्द भी नहीं सुना था। कोरोना भी पहले कभी नहीं सुना था। कई बाद प्रकृति निर्मित, मानव निर्मित आपदाएं आई हैं। और इन्हें हम मुश्किल समय, चुनौतीपूर्ण समय, बुरा दौर आदि कहते हैं। इन्हें कोई भी विशेषण दें, लेकिन ये ‘फिल्टरिंग टाइम्स’ कहलाते हैं। यानी जहां विजेता बाकियों से फिल्टर (छन) हो जाते हैं। उदाहरण के लिए जब यह सब खत्म होगा, तब जिनमें खास क्षमताएं, योग्यताएं होंगी, उन्हें ही आगे भविष्य मिलेगा। और वे जो किसी और के भरोसे जी रहे हैं, वे हट जाएंगे, फिल्टर हो जाएंगे। बहुत से लोग ऐसे होते हैं जो सिर्फ प्रेजेन्टेशन बना पाते हैं, जो दिखावे के पीछे अपनी अयोग्यता छिपाते हैं, उनका भविष्य अंधकारमय हो सकता है। इसलिए इसे फिल्टरिंग टाइम्स कहते हैं। एक अच्छी अर्थव्यवस्था में सभी पैसा कमाते हैं, लेकिन फिल्टरिंग टाइम्स में वे ही कमाएंगे जिनमें निवेश और पैसे की समझ है। वे लोग जिनके पास अच्छे उत्पाद हैं, अच्छा बिजनेस मॉडल है, उन्हें मुश्किल बदलाव से गुजरना होगा, लेकिन भविष्य में वे और बेहतर बनकर उभरेंगे।

लेकिन जिनके पास अच्छा उत्पाद नहीं है, जो अपने मार्केटिंग कौशल के कारण ही चल रहे हैं, वे इस दौर में फिल्टर हो जाएंगे। इसलिए ये फिल्टरिंग टाइम्स कहलाते हैं। अब लॉकडाउन के बाद यह संभव नहीं है कि जिंदगी, हमारे बिजनेस पूरी तरह पहले जैसे हो जाएं। अब भी रोक-टोक रहेगी। जीवन पहले बच्चे की तरह रेंगना शुरू करेगा। फिर चलेगा और फिर कुछ समय बाद दौड़ेगा। फिर दौड़ में भाग ले पाएगा। और हम में जो भी इस काल्पनिक फिनिश लाइन के पार, इन फिल्टरिंग टाइम्स के पार जा पाएगा, उसे ही आने वाले कल का अपना हिस्सा, अपनी खुशी मिल पाएगी। और बाकी सभी फिल्टर हो जाएंगे। मैं उन सभी आंत्रप्रेन्योर्स की सराहना करना चाहूंगा, जिन्होंने बेहतरीन उत्पाद बनाए, अच्छी सेवाएं दीं, साबित बिजनेस मॉडल दिए, जो इस बुरे दौर का सामना कर पा रहे हैं। कई लोगों ने आगे आकर जरूरतमंदों की विाीय मदद की। इस दौर से पुष्टी हुई है कि अगर अच्छे इंसान के हाथों में अतिरिक्त पैसा हो तो वे दुनिया को बेहतर बना सकते हैं। बहुत से आंत्रप्रेन्योर्स ने बिना किसी शर्त के अपने पास मौजूद अतिरिक्त धन का इस्तेमाल कर दुनिया को अपना योगदान दिया है। लेकिन मैं आप सभी को यह भी बताना चाहता हूं कि किसी के केवल चेक लिख देने का यह मतलब नहीं है कि उसे परवाह है।

वे उद्यमी जिन्होंने मुश्किल समय में भी कर्मचारियों को वेतन दिया, जबकि कमाई कम क्या लगभग खत्म भी हो गई, क्योंकि उन्हें परवाह थी। कई पहले ही इतना कमा चुके हैं कि उन्हें एक दिन भी काम करने की और उनकी पीढिय़ों को कमाने की जरूरत नहीं है। लेकिन फिर भी उनकी रातों की नींद उड़ी रही। वे सोचते रहे कि जब यह सब ठीक हो जाएगा तब बिजनेस को कैसे आगे ले जाएंगे क्योंकि वे जानते हैं कि सैकड़ों-हजारों कर्मचारी और उनके परिवार इस बिजनेस पर निर्भर हैं। उनका दिल अब भी अपने कर्मचारियों के लिए धड़क रहा है, इसका मतलब है कि उन्हें परवाह है। इसी तरह परिवार में भी अगर आप मानसिक और भावनात्मक रूप से सबसे मजबूत हैं और आपकी इसी मजबूती के दम पर आपका परिवार भी मुसीबत का सामना कर पा रहा है, तो इसका मतलब है कि आप परवाह करते हैं। और इस दौर में आपमें से जो भी प्रार्थना कर रहा था, ध्यान कर रहा है, सिर्फ अपने हित के लिए नहीं, बल्कि दुनिया के लिए, तो आध्यात्मिक रूप से यह बताता है कि आप परवाह करते हैं। हम सभी अपने-अपने तरीके से परवाह करें। हम सभी सोचें कि इस फिल्टरिंग टाइम्स के बाद हम कैसे एक विजेता के रूप में उभर सकते हैं और अपनी तथा बाकी की दुनिया की बेहतरी के लिए काम करना जारी रख सकते हैं। इस काल्पनिक फिनिश लाइन के पार, फिल्टरिंग टाइम्स के पार, एक खूबसूरत दुनिया हमारा इंतजार कर रही है।

महात्रया रा
(लेखक आध्यात्मिक गुरु हैं,ये उनके निजी विचार हैं)

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