बिहार कोरोना की दूसरी लहर धीमी पडऩे के बाद लॉकडाउन में ढील के चलते अर्थव्यवस्था धीरे-धीरे पटरी पर लौटती दिख रही है। कुछ महीनों से लगातार जीएसटी का रिकार्ड कलेशन (मई का छोड़कर) प्रत्यक्ष कर संग्रह में भी इजाफा, विदेश मुद्रा भंडार का 600 अरब डॉलर के उच्च स्तर पर पहुंचना, भारतीय शेयर बाजार का लगातार उच्च स्तर पर बने रहना, जून में नेशनल हाईवे पर ट्रैफिक का 35 फीसदी बढऩा, टोल कलेशन का भी 24 प्रतिशत बढऩा आदि संकेत हैं कि देश की अर्थव्यवस्था सुधार की राह पर है। यह और बात है कि खाने-पीने की महंगाई और पेट्रोल-डीजल के भाव आसमान पर हैं। हालांकि ग्रोथ हासिल करने के लिए किसी भी इकोनॉमी को महंगाई को बर्दाश्त करना पड़ता है। आम बजट के बाद केंद्र सरकार ने कोरोना की दूसरी लहर से प्रभावित सेटरों के लिए करीब 6.29 लाख करोड़ रुपये के आर्थिक पैकेज का ऐलान कर अर्थव्यवस्था की कमजोर कड़ी को मजबूत करने की कोशिश की है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अर्थव्यवस्था में तेजी लाने के लिए जो आर्थिक घोषणाएं की हैं, उसमें कुछ नाई योजनाएं शामिल हैं, तो कुछ पुरानी योजनाओं का विस्तार किया गया है। नए आर्थिक पैकेज में कोविड़ से प्रभावित सेटरों के लिए नई घोषणाएं की गई हैं। कोविड प्रभावित सेटरों के लिए 1.1 लाख करोड़ रुपये की गारंटीड स्कीम लांच की गई है और आत्मनिर्भर भारत रोजगार योजना की अवधि भी बढ़ाई गई है। यह राहत ऐसे समय में दी गई है जब प्रभावित क्षेत्र को इसकी सख्त जरूरत थी। तीसरी लहर आने की आशंका से पहले आर्थिक पैकेज निश्चित रूप से अर्थव्यवस्था के लिए मरहम का काम करेगा। 1.1 लाख करोड़ रुपये की लोन गारंटी स्कीम में हेल्थ सेटर के लिए 50 हजार करोड़ रुपये व अन्य सेटरों के लिए 60 हजार करोड़ रुपये दिए गए है। छोटे कारोबारियों के लिए क्रेडिट गारंटी स्कीम शुरू होगी, जिसमें वे इंडिविजुअल, एनबीएफसी, माइक्रो फाइनेंस इंस्टीट्यूट से 1.25 लाख तक का लोन ले सकेंगे। इस लोन की अवधि 3 साल होगी और सरकार गारंटी देगी। टूरिज्म सेटर को बूस्टर डोज दिया गया है। 5 लाख विदेशी टूरिस्ट वीजा मुफ्त जारी किए जाएंगे, यह स्कीम 31 मार्च 2022 तक लागू रहेगी। पिछले साल अटूबर में लांच आत्मनिर्भर भारत रोजगार योजना को बढ़ाकर 31 मार्च 2022 तक किया गया है। बच्चों से जुड़ी स्वास्थ्य सेवाओं पर 23.220 करोड़ रुपये खर्च किया जाएगा।
तीसरी लहर के मद्देनजर यह अहम ऐलान है। निर्यात क्षेत्र को कई रियायतें दी गई हैं। पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप प्रोजेटस और असेट मॉनेटाइजेशन के लिए नई पॉलिसी लाई जाएगी। नई घोषणाओं से कोरोना से प्रभावित छोटे उद्योगों, गरीबों और नौकरी पेशा लोगों को राहत मिलेगी। इससे बाजार में तरलता बढ़ेगीए और इसका फायदा जीडीपी ग्रोथ के रूप में दिखेगा। यूं तो रिजर्व बैंक ने कोरोना की दूसरी लहर को देखते हुए चालू विा वर्ष के लिए ग्रोथ अनुमान 10.5 फीसदी से घटा कर 9.5 फीसदी कर दिया है। बजट के बाद इस पैकेज से अगर 9.5 फीसदी का अनुमान भी देश पूरा कर ले तो वह भी बड़ी बात होगी। देश को अगर तेज ग्रोथ चाहिए तो रिजर्व बैंक को महंगाई को चार फीसदी के दायरे में रखने के मोह से बाहर आना होगा। उसे 5 फीसदी के दायरे में रखने का साहस दिखाना होगा। अर्थव्यवस्था केवल बजट व पैकेज के ऐलान से रफ्तार नहीं पकड़ेगीए बल्कि इसे लाभार्थियों तक पहुंचाना भी सुनिश्चित करना होगा और राजकोषीय घाटा की परवाह किए बगैर पब्लिक खर्च भी बढ़ाना होगा।