गीता सार

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इन्द्रियों, मन और अहंकार का यह कार्य भी प्रकृति ही द्वारा किया जा रहा है। यदि इन्द्रियों, मन और अहंकार को सर्वथा शांत कर दिया जाए तो उस अवस्था में एक व्यक्ति को दूसरे व्यक्ति से अलग कर देख सकने का कोई आधार नहीं होगा।

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