देवी के इन नौ स्वरूपों की होगी आराधना
13 अप्रैल : प्रतिपदा- मां शैलपुत्री की पूजा और घटस्थापना
14 अप्रैल : द्वितीया- मां ब्रह्मचारिणी पूजा
15 अप्रैल : तृतीया- मां चंद्रघंटा पूजा
16 अप्रैल : चतुर्थी- मां कुष्मांडा पूजा
17 अप्रैल : पंचमी- मां स्कंदमाता पूजा
18 अप्रैल : षष्ठी- मां कात्यायनी पूजा
19 अप्रैल : सप्तमी- मां कालरात्रि पूजा
20 अप्रैल : अष्टमी- मां महागौरी
21 अप्रैल : रामनवमी- मां सिद्धिदात्री
22 अप्रैल : दशमी- नवरात्रि पारण।
चैत्र नवरात्र 13 अप्रैल से हैं। ये 21 अप्रैल रामनवमी तक चलेंगे। इस बार भारती, हर्ष, सर्वार्थसिद्धि और अमृतसिद्धि योग में नवरात्र की शुरुआत हो रही है। इन शुभ योगों में शक्ति पर्व शुरू होने से देवी पूजा आराधना से मिलने वाला शुभ फल और बढ़ जाएगा। 13 अप्रैल मंगलवार को स्वयं सिद्ध मुहूर्त रहेगा। जब नवरात्र शुरू होंगेतब इसी दिन से हिंदुओं का नया साल यानि नवसंवत्सर 2078 शुरू होगा जिसका नाम आनंद है। पंचांग के मुताबिक ये हिंदू नववर्ष का पहला दिन रहेगा। नवरात्रि पर देवी दुर्गा पृथ्वी पर आती हैं। यहां वे नौ दिनों तक वास करते हुए भक्तों की साधना से प्रसन्न होकर आशीर्वाद देती हैं।
नवरात्रि पर देवी दुर्गा की साधना और पूजा-पाठ करने से आम दिनों के मुकाबले पूजा का कई गुना ज्यादा फल की प्राप्ति होती है। मान्यता है कि भगवान राम ने भी लंका पर चढ़ाई करने से पहले रावण से युद्ध में विजय प्राप्ति के लिए देवी की साधना की थी। पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र का कहना है कि इस बार चैत्र नवरात्रि मंगलवार को शुरू होगी, जिसकी वजह से मां घोड़े पर सवार होकर आएंगी। इससे पहले शारदीय नवरात्रि पर भी मां घोड़े पर सवार होकर आई थीं। देवी मां जब भी घोड़े पर आती हैं, तो युद्ध की आशंका बढ़ जाती है। साथ ही शासन सााधारी एवं शासकों के लिए उथल-पुथल की स्थिति और परिवर्तन के योग कारक होंगे।
प्रतिपदा तिथि पर कलश स्थापना के साथ ही नवरात्रि पर्व की शुरुआत होगी। घट स्थापना करते हुए भगवान गणेश की वंदना के साथ माता शैल पुत्री की पूजा, आरती की जाती है। पंचांग के मुताबिक ये हिंदू नववर्ष का पहला दिन रहेगा। नवरात्र का समापन 21 अप्रैल को रामनवमी के अबूझ शुभ मुहूर्त के साथ ही होगा। बता दें कि साल में कुल चार बार नवरात्र मनाए जाते हैं। जिनमें चैत्र और शारदीय नवरात्र मुय माने जाते हैं। वहीं, माघ और आषाढ़ में गुप्त नवरात्र होते हैं। नवरात्र के पहले दिन कलश स्थापना भी की जाती है और इन दिनों में मां दुर्गा के नौ रूपों की आराधना की जाती है।