वायरस हुआ वैश्विक व लापारवाह भारत !

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हां, अब सिर्फ चीन में नहीं, बल्कि दुनिया के पचास देशों में कोरोना वायरस उर्फ कोविड-19 की कंपकंपाहट है। मंगलवार को विश्व स्वास्थ्य संगठन की घोषणा थी कि चीन के बाहर कोरोना वायरस अधिक तेज रफ्तार से फैल रहा है। 25 फरवरी की रात तक 50 देशों में वायरस पहुंच चुका था। कुल 2,715 लोगों की मौत और इनमें 45 चीन से बाहर। मंगलवार को चीन में कोरोना वायरस से प्रभावित नए मरीजों की संख्या 411 थी जबकि विश्व के 37 देशों से 427 नए मरीज रिपोर्ट हुए। संदेह नही कि अभी भी 80,980 घोषित मरीज में से 96.5 प्रतिशत चीन में हैं मगर चीन में नए मरीज और मरने वालों का आंकड़ा बढ़ते हुए कम है, जबकि दुनिया के अलग-अलग कोनों में कोरोना वायरस के पहुंचने की खबरें तेज रफ्तार हैं।

पहला यह कि चीन के हुबेई प्रांत, उसकी राजधानी वुहान और वुहान में भी उसके सीफूड, समुद्री मछली बाजार से शुरू वायरस कीटाणु की प्राणवायु के संपर्क में जो भी आया उससे दुनिया में वह फैल रहा है। 31 दिसंबर को वायरस कीटाणु बना और सात जनवरी से इससे बीमार होने की हकीकत मालूम हुई। तब से ले कर अब तक के 52 दिनों में चीन केंद्र है, जड़ है दुनिया में छुआछूत से फैले वायरस की।

दूसरा अर्थ है कि चीन में वुहान, हुबई से जो संपर्क या छूत की बीमारी ले कर आया वह यदि किसी एक देश जैसे दक्षिण कोरिया, इटली, इरान गया तो वहीं से उसके जरिए, अगल-बगल, पड़ोस, फिर वहां से दूसरे शहर, देश में वायरस प्रसारित हो रहा है। तभी न केवल दुनिया ने चीन से आवाजाही रूकवाई है, एयरलाइंस की उड़ानों का आना-जाना बंद है तो उन देशों से भी संपर्क-आवाजाही रोकना जरूरी हो रहा है, जो कोरोना वायरस से ज्यादा प्रभावित हैं। जैसे इराक ने चीन, ईरान, जापान, दक्षिण कोरिया, थाईलैंड, सिंगापुर, इटली, बहरीन और कुवैत से आवाजाही पर रोक लगा दी है।

जाहिर है तमाम देश अब अपने आपको उन देशों के संपर्क से बचा रहे हैं, जहां कोरोना वायरस फैलने की खबर है। इसलिए कारोबार- पर्यटन, धंधा और आर्थिकी में नए-नए अवरोध तेजी से बन रहे हैं। तभी कोरोना वायरस के असर में दुनिया भर के शेयर बाजार कंपकंपा रहे है, छींक मार रहे हैं, हांफ रहे हैं।

इस सबके बीच हम लोगों के लिए चिंता की बात है कि भारत राष्ट्र-राज्य सावधान-सतर्क नहीं है। अपने को मालूम नहीं हो रहा है कि चीन, दक्षिण कोरिया, ईरान और इटली जैसे वायरस प्रभावित देशों के संपर्क में, वहां से आए लोगों की भारत में निगरानी हो रही है या नहीं? यदि खाड़ी के देश, कुवैत, दुबई, कतर आदि ने ईरान से उड़ान रद्द की है, लोगों की आवाजाही पर रोक लगा दी है तो भारत क्यों नहीं रोक लगा रहा है? क्यों नहीं भारत कोरोना प्रभावित देशों की यात्रा पर पाबंदी लगाता है या वहां से आने वाले लोगों के भारत आने पर प्रतिबंध लगाता है?

निःसंदेह भारत कोरोना से बचा हुआ है। वजह कई हो सकती है। भारत के कारोबारी हुबेई और वुहान भले खूब गए हों लेकिन वे जीव-जंतु-कुत्ते-बंदर के खाद्य बाजार याकि चीन के ऐसे खाने के क्योंकि शौकीन नहीं थे तो वायरस उन्हें छुआ नहीं होगा। संभव है कि शाकाहारी भारतीयों का इम्युन सिस्टम सीफूड जनित वायरस के आगे प्रतिरोधक हो। मगर मसला अब आदमी से आदमी के संपर्क में आने का, हवा के जरिए वायरस के छुआछूत का है तो हुबेई, वुहान से लेकर चीन, हांगकांग, दक्षिण कोरिया, ईरान, इटली आदि उन तमाम देशों से भारत को अपने आपको बचाना है, जहां वायरस तेजी से फैल रहा है।

52 दिनों के अनुभव का मोटा सत्य है कि वायरस तभी नियंत्रित रहेगा जब घर में बंद हो कर, तालाबंद रह कर वक्त काटा जाए। चीन ने सवा करोड़ से ज्यादा आबादी के शहर को तालाबंदी में, कर्फ्यू से भी गंभीर स्थिति में बंद करके रखा। पूरा प्रांत और देश मानो घर में कैद। सोचें, मानव इतिहास में कब ऐसा हुआ होगा कि छह करोड़ लोगों का हुबेई, सवा करोड़ लोगों का वुहान शहर जैसे पचास दिनों से तालाबंदी में रहा हो। लोग घर से बाहर नहीं निकल सकते। जान लिया जाए कि इटली के कस्बे में कोरोना वायरस की खबर हुई, या दक्षिण कोरिया, ईरान में, जहां वायरस होने की खबर आई तो पूरा कस्बा, पूरा इलाका लॉकडाउन हुआ। मतलब वायरस की विपदा का सामना तभी संभव है जब कम से कम 14 दिन अकेले में रख इलाज हो, बाकी लोगों को बचाने के लिए अलग रखें।

इसलिए लाख टके की चिंता की बात है कि चीन तानाशाही व्यवस्था में आबादी को घर में कैद बना कर वायरस का फैलाव भले रूकवा दे लेकिन बाकी देश क्या ऐसा कर सकते हैं? जिन देशों का सिस्टम विकसित और पुख्ता है उसमें इटली, दक्षिण कोरिया, अमेरिका या यूरोपीय देश चाक-चौबंद प्रबंधों से वायरस को महामारी में बदलने से रोकने में समर्थ होंगे लेकिन ईरान, पाकिस्तान, फिलिपीन, अफ्रीकी देशों या भारत में कोरोना वायरस फैला तो क्या होगा?

हां, हकीकत जानें कि मध्य एशिया के देशों, रूस आदि ने चीन या कोरोना वायरस प्रभावित देशों से संपर्क तोड़ने के बहुत पहले, तत्काल कदम उठा लिए थे। रूस में हालात यह है कि पुतिन सरकार ने यह तक निगरानी रखी हुई है कि चीनी लोगों का मूवमेंट कहां-किधर है। अपने नागरिकों पर ऐसी नजर रखे जाने के खिलाफ चीन ने बाकायदा अधिकारिक तौर पर रूस सरकार से विरोध किया।

सो, 52 दिनों का अनुभव सख्ती, सर्तकता से जान बचाने का है। अमेरिका में एक मरीज निकला तो पूरा देश हिला हुआ है। राष्ट्रपति ट्रंप ने भारत से लौटते हुए अपने उप राष्ट्रपति को इस चुनौती से निपटने का प्रभारी बनाया। अमेरिकी सेना के अधिकारी कांग्रेस को बता रहे हैं कि उनकी क्या तैयारी है और खर्च की अतिरिक्त जरूरत होगी। अमेरिका ने भी कोरोन प्रभावित देशों, इलाकों से आने-जाने के मामले में निगरानी और चौकसी, पाबंदी बना दी है।

दरअसल, खतरा कोरोना वायरस के वैश्विक महामारी बनने का है। यों विश्व स्वास्थ्य संगठन ने महामारी का ऐलान नहीं किया है। मगर चीन से ज्यादा बाकी देशों से कोरोन प्रभावित मरीजों की संख्या की हकीकत ने अघोषित तौर पर बीमारी को वैश्विक चुनौती बना दिया है। पहली जरूरत सावधानी की है। ध्यान रहे कोरोना वायरस के 52 दिनों में मरीज के बीच मृत्यु दर चीन में एक प्रतिशत और बाकि जगह दो प्रतिशत है। आम तौर पर बूढ़े, 65 वर्ष से अधिक की उम्र के, कमजोर इम्युन सिस्टम वालों, अन्य बीमारी लिए लोगों को खतरा अधिक है लेकिन वायरस प्रभावित हर मरीज को इलाज में तो रहना होगा। सबसे बड़ा पेंच यह है कि वायरस बहुत तेजी से एकदम हजारों की संख्या में लोगों को चपेटे में ले लेता है। दक्षिण कोरिया में एकदम 35 हजार लोगों का चपेटे में आना इस बात का प्रमाण है कि कुछ लोग शिकार हुए नहीं कि पूरा इलाका, पूरी आबादी चपेटे में।

तभी दुनिया की भीड़ उर्फ भारत में क्या सुध है कि ईरान, इटली, दक्षिण कोरिया, चीन के साथ हमारी आवाजाही खत्म करना जरूरी है या नहीं? राष्ट्रपति ट्रंप ने एक केस पर अपने उप राष्ट्रपति को प्रबंधनों का प्रमुख बना डाला तो प्रधानमंत्री मोदी को क्या सुध है कि वे क्या करेंगे? अपने कोविंदजी को जिम्मा देंगे या अपने अमित शाहजी को या अजित डोवाल को प्रभावी बनाएंगे? लेकिन सोचना तो तब हो सकेगा जब पहले मौजपुर-जाफराबाद, हिंदू बनाम मुस्लिम से फुरसत मिले !

(लेखक हरिशंकर व्यास वरिष्ठ पत्रकार हैं ये उनके निजी विचार हैं)

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