भारत में कोवीशील्ड और कोवैक्सिन को इमरजेंसी अप्रुवल मिलने से जल्द ही कोरोना वैक्सीनेशन शुरू होगा, सरकार के प्रयासों के परिणाम स्वरूप अब कोरोना की चैन तोडऩा सरल होगा। यह वैसीन व्यति की इच्छा पर निर्भर होगा। अगर सपा नेता अखिलेश यादव कह रहे हैं कि वे वैक्सीन नहीं लगवाएंगे, तो उनकी मर्जी होगी। सरकार ने जो योजना बनाई है, उसके अनुसार पहले ग्रुप में हेल्थ केयर और फ्रंटलाइन र्वस शामिल हैं। दूसरे समूह में 50 साल से ऊपर के लोग शामिल हैं। इसमें 50 वर्ष से नीचे के वे लोग भी हैं, जो पहले से गंभीर बीमार हैं। इस तरह पहले चरण में लगभग 30 करोड़ लोगों को इसका लाभ मिलेगा। सरकार की सलाह है कि जो भी वैक्सीन लें वे इसका पूरा कोर्स लें, ताकि उन्हें वायरस से पूरी सुरक्षा मिले। साथ ही उनसे संक्रमण फैलने की आशंका कम हो। सुरक्षा और असर पर नियामक संस्थाओं की स्वीकृति मिलने के बाद ही देश में किसी वैक्सीन की इजाजत दी जाएगी। वैसीन साइंटिस्ट डॉ. गगनदीप कंग का कहना है कि जल्दबाजी का यह मतलब नहीं है कि बिना जांच-पड़ताल के लिए रेगुलेटर ने इसकी मंजूरी दे दी है।
रेगुलेटर ने इन वैक्सीन के रिजल्ट्स को जांचा-परखा है। उसके बाद ही इसे इमरजेंसी अप्रुवल दिया है। डॉ. वीएम कटोच का कहना है कि वैसीन को अप्रुवल करने की पूरी प्रक्रिया का पालन किया गया है। जिन्हें वैक्सीन लगेगी, उनकी आगे भी निगरानी होगी। अगर कोई साइड-इफेट दिखता है तो उसका उपचार होगा। कुल मिलाकर यह समझ लीजिए कि यह सबकुछ प्रक्रिया का हिस्सा है। विशेषज्ञों के मुताबिक जिन्हें अभी कोरोना है क्या कोरोना होने की आशंका है, उन्हें लक्षण ठीक होने के 14 दिन बाद वैक्सीन लगेगी। अभी तो वे बाहर निकलेंगे तो संक्रमण फैलेगा। भारत बायोटेक की ज्वॉइंट एमडी सुचित्रा ऐल्ला के मुताबिक वैक्सीन का असर दिखने में 45 से 60 दिन भी लग सकते हैं। इसका मतलब है कि वैक्सीन लगने के बाद भी मास्क तो पहनना ही होगा। कोरोना से रिकवर हो चुके लोगों को भी वैक्सीन लेने की सलाह दी गई है। इससे उनका इयून सिस्टम और भी मजबूत होगा। उन्हें रीइंफेशन का खतरा कम होगा। अगर किसी व्यति में वायरल लोड कम रहा होगा तो उसमें एंटीबॉडी भी कम ही होगी। ऐसे में उसे रीइंफेट होने का खतरा बना रहता है।
यह इस बात पर निर्भर करेगा कि शरीर में एंटीबॉडी कितनी बनी है।कोवीशील्ड को ब्रिटिश कंपनी एस्ट्राजेनेका ने ऑसफोर्ड यूनिवर्सिटी के साथ मिलकर बनाई गई। यह वैसीन भारत में पुणे में अदार पूनावाला का सीरम इंस्टीट्यूट बना रहा है। ब्राजील और ब्रिटेन में इसके फेज-3 ट्रायल्स हुए थे और इसमें यह 90 प्रतिशत तक असरदार पाई गई है। जबकि कोवैक्सिन को भारतीय कंपनी भारत बायोटेक ने कई कंपनियों के साथ मिलकर बनाया है। सबसे अच्छी बात यह है कि यह पूरे वायरस के खिलाफ असरदार बताई गई है। इससे कोरोना के नए स्ट्रेन सामने आने के बाद भी इसके असर पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। भारत दुनिया के सबसे बड़े वैक्सीनेशन प्रोग्राम चला रहा है। भारत के पास स्टोर करने की पूरी क्षमता है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा कोरोना संक्रमित लोगों वैक्सीनेशन के लिए रजिस्ट्रेशन के बाद उनके मोबाइल पर संदेश भेजकर वैसीनेशन की तिथि, समय एंव स्थान से अवगत कराया जाएगा। रजिस्टे्रशन के लिए वोटरआईडी कार्ड के अलावा आधार कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, हेल्थ इंश्योरेंस स्मार्ट कार्ड, मनरेगा जॉब कार्ड, जनप्रतिनिधि द्वारा जारी आधिकारिक पहचान पत्र, पैन कार्ड, बैंक/पोस्टऑफिस पासबुक, पासपोर्ट, पेंशन डॉयूमेंट को आधार बनाया जाएगा।