कोरोना ने बढ़ाई मुश्किल

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कोरोना वायरस ने दिल्ली में दस्तक दे दी है। तेलंगाना में भी एक व्यक्ति संक्रमित मिला है। दिल्ली के जिस व्यक्ति के संक्रमित होने की पुष्टि हुई है। उसने हाल में इटली की यात्रा की थी। दूसरा व्यक्ति दुबई से लौटा था। इस नये वायरस को लेकर त्रासदी यह है कि अभी तक इसके लिए कोई दवा ईजाद नहीं हुई है। वैसे, डाक्टरों की मानें तो यह वायरस 78 घंटे जीवित रहता है लेकिन इस बीच सांस लेने में तकलीफ और तपेदिक के लक्षण पैदा हाने से शरीर के कई महत्वपूर्ण अंगों के फेलर होने की स्थिति में संक्रमित व्यक्ति की मौत हो जाती है। यह स्थिति बड़ी चिंताजनक है। बचाव ही एकमात्र फौरी विकल्प है। इस वायस के बढ़ते प्रकोप से चीन की हालत पतली हो गई है। जबकि उनके यहां स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करने वाला तंत्र काफी मजबूत है लेकिन त्रासदी बढ़ती जा रही है। उत्पादन के क्षेत्र में एक बड़ी भूमिका निभा रहे चीन में कई देशों के क्षेत्र में सुस्ती बरतने से ज्यादातर लोग स्वदेश लौट रहे हैं। यही संकट की वजह भी बना जा रहा है।

अब तक बेफिक्र रहा अमेरिका भी अपने एक नागरिक की कोरोना वायरस से हुई मौत की पुष्टि के बाद सतर्क हो गया है। कई देशों के लोगों के अमेरिका आने पर पाबंदी लगा दी गई है। भारत में जहां स्वास्थ्य सेवाएं अपेक्षाकृत बेहतर नहीं है, यह संक्रमण बढ़ता है तब परिणाम का अंदाजा लगाया जा सकता है। राहत की बात है कि इस वायरस का अभी यहां इतना फैलाव इसलिए भी नहीं हो पाया है कि बाहर से आने वालों की सघन निगरानी की जा रही है। फिर भी कुछ की सूचनाएं प्रशासन तक नहीं पहुंचती और ऐसे ही लोगों से संक्रमण फैलाने की चुनौती बड़ी है। इसमें बेहतर स्थिति यही है विदेश से लौटने पर स्थानीय प्रशासन को सूचना दी जाए और डॉक्टरों की निगरानी में रहकर ही आश्वस्त हुआ जाए। इस वायरस ने दुनिया की अर्थव्यवस्था में भी हलचल मचा दी है। विशेष रूप से चीन पर कच्चे माल के लिए अधिकतम निर्भरता के चलते भारत जैसे देश की अर्थव्यवस्था की मुश्किलें और बढ़ गई हैं। हालांकि इससे एक सीख भी मिल रही है कि सामानों की आपूर्ति के लिए किसी एक देश पर निर्भर नहीं रहना चाहिए।

अबसे इसमें तदीली हो ताकि संकट की स्थिति में कम से कम संकट का सामना करना पड़े रेटिंग एजेंसिया लगातार देश की जीडीपी को लेकर नये.नये क्रांतिकारी जीएसटी को लेकर सरकार की चुनौती बढ़ गई है। इसका अंदाजा इससे लगा सकते हैं कि लक्ष्य के हिसाब से टैक्स वसूली ना हो पाने के कारण सरकार को जीएसटी के लिए ग्राहकों को प्रोत्साहित करने के लिए पहली अप्रैल से लाटरी योजना लानी पड़ रही है ताकि रसीद पर सामान लें जिससे सरकार की आय बढ़ सके। यह सही है कि कोई भी स्थिति लंबे समय तक नहीं रहती लेकिन यह भी स्वाभाविक है इसमें कोटे तौर पर गरीब तबका ही पिसता है। यही हो रहा है। सरकार की आय घटने का नतीजा है कि कल्याणकारी कार्यक्रमों की रफ्तार धीमी करनी पड़ रही है। बस सरकार के आर्थिक सलाहकार के शब्दों में अगले वित्तीय वर्ष से गाड़ी पटरी पर आ जायेगी। पहले से चली आ रही चुनौतियों के बीच कोरोना वायरस ने संकट को कई गुना बढ़ा दिया है।

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