ऑक्सीजन की कमी के कारण नाशिक के अस्पताल में हुई 24 लोगों की मौत दिल दहलानेवाली खबर है। ऑक्सीजन की कमी की खबरें देश के कई शहरों से आ रही हैं। कई अस्पतालों में मरीज़ सिर्फ इसी की वजह से दम तोड़ रहे हैं। कोरोना से रोज हताहत होनेवालों की संया इतनी बढ़ गई है कि कई देशों के नेताओं ने अपनी भारत-यात्रा स्थगित कर दी है। कुछ देशों ने भारतीय यात्रियों के आने पर प्रतिबंध लगा दिया है। लाखों लोग डर के मारे अपने गांवों की तरफ दुबारा भाग रहे हैं। नेता लोग भी डर गए हैं। वे तालाबंदी और रात्रि-कर्फ्यू की घोषणाएं कर रहे हैं लेकिन बंगाल में उनका चुनाव अभियान पूरी बेशर्मी से जारी है। ममता बेनर्जी ने बयान दिया है कि ”कोविड तो मोदी ने पैदा किया है।” इससे बढ़कर गैर-जिम्मेदाराना बयान क्या हो सकता है ?
यदि मोदी चुनावी लापरवाही के लिए जिम्मेदार है तो उससे ज्यादा खुद ममता जिम्मेदार है। ममता यदि हिम्मत करतीं तो मुयमंत्री के नाते चुनावी रैलियों पर प्रतिबंध लगा सकती थीं। उन्हें कौन रोक सकता था? यह ठीक है कि बंगाल में कोरोना का प्रकोप वैसा प्रचंड नहीं है, जैसा कि वह मुंबई और दिल्ली में है लेकिन उसकी चुनाव-रैलियों ने सारे देश को यही संदेश दिया है कि भारत ने कोरोना पर विजय पा ली है। डरने की कोई बात नहीं है। जब हजारों- लाखों की भीड़ बिना मुखपट्टी और बिना शारीरिक दूरी के धमाचौकड़ी कर सकती है तो लोग बाजारों में क्यों नहीं घूम सकते हैं, कारखानों में काम यों नहीं कर सकते हैं, अपनी दुकाने यों नहीं चला सकते हैं और यात्राएं क्यों नहीं कर सकते हैं ? उन्हें भी बंगाली भीड़ की तरह बेपरवाह रहने का हक यों नहीं है ?
लोगों की यह लापरवाही ही अब वीभत्स रुप धारण करती जा रही है। इस जनता के जले पर वे लोग नमक छिड़क रहे हैं, जो रेमजेदेविर का इंजेशन 40 हजार रु. और आसीजन का सिलेंडर 30 हजार रु. में बेच रहे हैं। ऐसे कालाबाजारियों को सरकार ने पकड़ा जरुर है लेकिन वह इन्हें तत्काल फांसी पर क्यों नहीं लटकाती और टीवी चैनलों पर उसका जीवंत प्रसारण यों नहीं करवाती ताकि वह भावी नरपशुओं के लिए तुरंत सबक बने। जहां तक ऑक्सीजन की कमी का सवाल है, देश में पैदा होनेवाली कुल ऑक्सीजन का सिर्फ 10 प्रतिशत ही अस्पतालों में इस्तेमाल होता है। इसी तरह कोरोना के टीके यदि मुख्त या सस्ते और सुलभ हों तो इस महामारी को काबू करना कठिन नहीं है। यह भी जरुरी है कि नेतागण कोरोना को लेकर दंगल करना बंद करें।
डा. वेद प्रताप वैदिक
(लेखक भारतीय विदेश नीति परिषद के अध्यक्ष हैं ये उनके निजी विचार हैं)