कांग्रेस : आंतरिक चुनाव कब और कैसे ?

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कांग्रेस पार्टी के आंतरिक चुनावों की तैयारी चल रही है। हालांकि किसी को पता नहीं है कि चुनाव कब होंगे। लेकिन जब सोनिया गांधी ने चुनाव की हरी झंडी दे दी है और छह महीने की समय सीमा भी तो चुनाव होंगे ही। सोनिया गांधी की दी हुई समय सीमा फरवरी के अंत में खत्म हो रही है। उस समय तक चुनाव हो जाएंगे या ज्यादा से ज्यादा तीन महीने और टलेंगे। यानी मई में पांच राज्यों का चुनाव खत्म होने के साथ ही चुनाव हो जाएगा। उसके बाद कांग्रेस का महाधिवेशन भी होगा और चिंतन शिविर भी होगा। इसलिए बड़ा सवाल यह नहीं है कि चुनाव कब होंगे, बड़ा सवाल यह है कि चुनाव कैसे होंगे? कांग्रेस का चुनाव उसी तरह से होगा, जैसा उसके संविधान में लिखा हुआ है या 2017 में जिस तरह से हुआ था वैसे होगा? राहुल गांधी 2017 में अध्यक्ष चुने गए थे। तब चुनाव की औपचारिकता पूरी की गई थी। किसी दूसरे नेता ने नामांकन नहीं दाखिल किया था और राहुल निर्विरोध निर्वाचित घोषित हुए थे। उससे पहले सोनिया गांधी भी निर्विरोध ही निर्वाचित हुई थीं। कांग्रेस के संविधान में अध्यक्ष के चुनाव के साथ ही कांग्रेस कार्य समिति के आधे सदस्यों का चुनाव का भी प्रावधान किया गया है पर कार्य समिति का चुनाव हुए जमाना गुजर गया। पार्टी की ओर से कांग्रेस अध्यक्ष को अधिकृत कर दिया जाता है कि वे कार्य समिति के सभी सदस्यों को मनोनीत कर दें।

इस बार कांग्रेस के असंतुष्ट नेताओं ने कार्य समिति के सदस्यों के चुनाव की मांग की है। हालांकि पिछले साल अगस्त में उनके चिट्ठी लिखने के थोड़े दिन के बाद ही सोनिया गांधी ने कार्य समिति में फेरबदल करते हुए कई सदस्यों को मनोनीत किया। इस तरह कांग्रेस नेताओं को संदेश दिया गया कि सब कुछ पहले की तरह ही चलेगा। कांग्रेस के असंतुष्ट नेता एक बार फिर कार्य समिति के चुनाव की मांग कर रहे हैं। कांग्रेस अध्यक्ष को चिट्ठी लिखने वाले 23 में से कई नेता चाहते हैं कि कार्य समिति के आधे सदस्यों का चुनाव कराया जाए। गौरतलब है कि कांग्रेस नेताओं ने अध्यक्ष और कार्य समिति के साथ साथ पार्टी में हर पद और हर निकाय के लिए चुनाव की मांग की है। कांग्रेस संविधान के मुताबिक केंद्रीय चुनाव समिति के सदस्यों का भी चुनाव होता है। लेकिन बरसों से चुनाव समिति जस की तस है। किसी सदस्य को हटाया जाता है क्या निधन होता है तो उसकी जगह नया सदस्य नियुक्त हो जाता है। इस बार पार्टी के नेता चाहते हैं कि अध्यक्ष के साथ साथ कार्य समिति और केंद्रीय चुनाव समिति के सदस्यों का भी चुनाव हो। कांग्रेस के असंतुष्ट नेता पार्टी में संसदीय बोर्ड की बहाली की भी मांग कर रहे हैं। किसी जमाने में कांग्रेस पार्टी में भी संसदीय बोर्ड होता था, जैसा कि अभी भाजपा में है। पर काफी दिनों से बोर्ड का गठन नहीं हुआ है।

बहरहाल, कांग्रेस की चुनाव तैयारियों के बीच असंतुष्ट नेताओं की मांग की अनदेखी आसान नहीं होगी। असल में पार्टी के नेता और मशहूर वकील कपिल सिबल ने एक इंटरव्यू में यह सवाल उठाया है कि पता नहीं कांग्रेस पार्टी का आंतरिक चुनाव कब होगा? उनका कहना था कि एक महीने पहले पार्टी के नेता अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी से मिले थे। उस समय हालांकि सिबल उस मुलाकात में शामिल नहीं थे। इस बयान को लेकर कांग्रेस नेता उन पर टूट पड़े हैं। ऐसा लग रहा है कि इस बयान के बहाने कांग्रेस नेता उनसे पिछला बदला निकाल रहे हैं। असल में अगस्त में सोनिया गांधी को चिट्ठी लिखने वाले 23 नेताओं में तीन नेता सबसे ज्यादा मुखर थे। उनमें गुलाम नबी आजाद और आनंद शर्मा के अलावा तीसरे नेता कपिल सिबल थे। उस समय मीडिया में खबर आई थी कि राहुल गांधी ने चिट्ठी लिखने वालों को भाजपा का आदमी बताया है। इस खबर से सिबल इतने नाराज हुए थे कि उन्होंने अपना ट्विटर प्रोफाइल भी बदल लिया था। तब राहुल गांधी को निजी तौर पर उनसे बात करनी पड़ी थी और सफाई देनी पड़ी थी। उस समय सिबल मान तो गए थे पर तेवर बागियों वाले ही रहे। बाकी नेताओं की तरह उन्होंने सौ फीसदी सरेंडर नहीं किया। तभी ऐसा लग रहा है कि कांग्रेस के नेता उस घटना का बदला अब ले रहे हैं।

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