मिलकर करें आपदा से मुकाबला

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उत्तराखंड के चमोली में रविवार को हृदय विदारक वह आपदा जिसने लगभग पौने दो सौ लोगों को हताहत किया है। इसने यह सोचने पर मजबूर कर दिया कि प्राकृतिक आपदा के आगे सारी इंसानी शतियां फेल हो जाती हैं। यह हमारे जीवन में इस बात का संदेश देती हैं कि प्राकृति सर्वोपरि है। हमारा सामाजिक दायित्व है कि इन आपदाओं से हमें सीख लेकर पीडि़तों की मदद को आगे आना चाहिए और यह बताना चाहिए कि मानवता से ऊपर कोई धर्म नहीं होता। इस आपदा से हुए जानी-माली भारी नुकसान की भरपाई शायद बड़ी कठिनाई के साथ होगी। ऐसी आपदा से निपटने को जहां सरकार राहत कार्य कर रही है वहीं हमें भी मानवता का प्रदर्शन करते हुए अपनी ओर से हर प्रकार की मदद करने को अग्रसर रहना चाहिए। चमोली में ग्लेशियर टूटने से धौलीगंगा नदी का जल स्तर बढऩा उाराखंड ही नहीं बल्कि पश्चिमी उार प्रदेश के मैदानी क्षेत्रों को भी प्रभावित करेगा। इस दु:ख की घड़ी में हम सबको एकजुटता का परिचय देकर यह बताना चाहिए कि यह नुकसान पूरी मानव जाति का है हम मिलकर इससे निपटने का प्रयास करेंगे। मैदानी क्षेत्र में डेमो का टूटना कम नुकसान नहीं है।

इस नुकसान की भरपाई करना केंद्र व राज्य सरकार के लिए एक चुनौती होगी। इस विदारक घटना के बाद हम भारतीय का मानवीय कत्र्वय है कि हम एकजुट होकर हरसंभव मदद करने को तैयार रहें। पीडि़तों के जीवन पर लगे इन घावों को भरने में सहयोग करें। प्राकृतिक आपदा के आगे सारे मानवीय कृत्य फेल हो जाते हैं। ऐसी स्थिति में उन समस्याओं को दरकिनार कर दिया जाता है जो मनुष्य के द्वारा उत्पन्न की जाती हैं। ग्लेशियर का फटना मामूली आपदा नहीं है, इस भयावाह स्थिति का मुकाबला अकेले न तो सरकार कर सकती है, और न ही पीडि़त। इसलिए इसका मुकाबला हम सबको करना होगा। उत्तराखंड पुलिस का यह कहना कि श्रीनगर, ऋषिकेश और हरिद्वार में पानी का स्तर खतरे के निशान से ऊपर जा सकता है। इस बात की संभावना को बल दे रहा है कि ग्लेशियर के टूटने का प्रभाव उाराखंड तक ही सीमित नहीं रहेगा, इसका असर उार प्रदेश के मैदानी क्षेत्रों के अलावा श्रीनगर के क्षेत्रों पर भी पड़ेगा। यह आपदा ऐसे समय में आई जब हरिद्वार में कुंभ मेला चल रहा है। जो प्रभावित हो सकता है।

हालांकि यहां भी राज्य सरकार ने यहां भी हाईअलर्ट जारी कर दिया है। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत यह कहना कि कि नंदप्रयाग से आगे अलकनंदा नदी का बहाव सामान्य हो गया है। पीडि़तों को ढांढस बंधा देने वाला है। इस बात का प्रमाण है कि शीघ्र ही सरकार के प्रयास से इस आपदा पर नियंत्रण पाने का प्रयास किया जाएगा। दूसरी ओर उार प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का गंगा तट बसी बस्तियों को खाली कराना व जलस्तर पर नजर रखने की हिदायत करने से लग रहा है कि इसका असर उत्तर प्रदेश के मैदानी क्षेत्र में भी दिखाई दे सकता है। निश्चित ही यह दु:ख की घड़ी है, ऐसी स्थिति में सभी लोग पीडि़तों को बचाने के लिए राजनीति से ऊपर उठकर सहयोग करें जिससे पीडि़तों को राहत मिल सके। ऐसी विपत्ति के समय जब देश कोरोना वायरस के प्रभाव से जूझ रहा हो, जिससे लोगों को बचाने के लिए सरकारी खजाना प्रभावित हो गया हो। देश की आर्थिकी गिरी हुई हो तो ऐसे में देश के नागरिकों का फर्ज बनता है कि आपदा पीडि़तों की मदद अपने स्तर से भी करें और सुप्त होती जा रही मानवता का प्रदर्शन करें।

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