भक्ति और संयम का महीना है चैत्र

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पंचांग के मुताबिक हिन्दू कैलेंडर का पहला महीना यानी चैत्र मास 29 मार्च को शुरू हो गया है। जो कि 27 अप्रैल तक रहेगा। इस महीने के शुलपक्ष में ही हिंदू नववर्ष शुरू होता है। चैत्र महीने के आखिरी दिन यानी पूर्णिमा को चंद्रमा चित्रा नक्षत्र में होता है। इस कारण इसका नाम चैत्र है। इस महीने को भक्ति और संयम का महीना भी कहा जाता है। क्योंकि इन दिनों में कई व्रत और पर्व आते हैं। साथ ही ये महीना वसंत ऋतु के दौरान आता है। इसलिए इस महीने खान-पान में बदलाव करना चाहिए। इन दिनों प्रकृति में हर तरफ उत्साह का संचार भी होता है। पौराणिक मान्यता अनुसार ब्रह्माजी ने चैत्र शुल प्रतिपदा से ही सृष्टि की रचना शुरू की थी। इसी दिन भगवान विष्णु ने दशावतार में से पहला मत्स्य अवतार लेकर प्रलयकाल में जल में से मनु की नौका को सुरक्षित जगह पर पहुंचाया था। प्रलयकाल खत्म होने पर मनु से ही नई सृष्टि की शुरुआत हुई। आयुर्वेद और अध्यात्म के मुताबिक इस महीने में ठंडे जल से स्नान करना चाहिए।

गर्म पानी से नहीं नहाना चाहिए। क्योंकि, मौसम में बदलाव के कारण शरीर में गर्म पानी से नहाने के कारण कुछ कमजोरी या संक्रमण की आशंका होती है। महाभारत के मुताबिक इस महीने एक समय खाना-खाना चाहिए। नियमित रुप से भगवान विष्णु और सूर्य की पूजा करनी चाहिए और व्रत भी करने चाहिए। इस महीने सूर्योदय से पहले उठकर ध्यान और योग का विधान है। ऐसा करने से तनाव मुक्त और स्वस्थ्य रहते हैं। इस महीने में सूर्य और देवी की उपासना करना चाहिए। जिससे पद-प्रतिष्ठा के साथ ही शक्ति और ऊर्जा भी मिलती है। चैत्र महीने के दौरान नियम से पेड़-पौधों में जल डालना चाहिए और लाल फलों का दान करना चाहिए। सोने से पहले हाथ-मुंह धोने चाहिए और पतले कपड़े पहनने चाहिए। हल्के कपड़े पहनने चाहिए। संतुलित श्रंगार करना चाहिए। इस महीने भोजन में अनाज का उपयोग कम से कम और फलों का इस्तेमाल ज्यादा करना चाहिए। इस महीने से बासी भोजन, खाना बंद कर देना चाहिए।

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