इस बार चंद्र ग्रहण पर नहीं लगेगा सूतक काल, जाने वजह

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10 जनवरी को साल का पहला चंद्र ग्रहण लग रहा है, यह चंद्र ग्रहण भारत में भी दिखाई देगा। इस चंद्र ग्रहण की अवधी 4 घंटे से अधिक की रहेगी। रात्रि 10 बजकर 43 मिनट से 2 बजकर 40 मिनट तक यह चंद्र ग्रहण दिखाई देगा। आमतौर पर ग्रहण से 12 घंटे पहले चाहे वो सूर्य ग्रहण हो या चंद्र ग्रहण सूतक काल लग जाता है। सूतक काल में सभी मंदिरों के कपाट बंद कर दिए जाते हैं और ग्रहण के खत्म हो जाने के बाद ही मंदिरों के कपाट खोले जाते हैं। आइए, आज जानते हैं इस चंद्र ग्रहण में सूतक काल क्यों नहीं लगेगा…

ज्योतिषशास्त्र के अनुसार यह चंद्र ग्रहण नहीं है यह तो केवल उपछाया चंद्र ग्रहण है। भारतीय ज्योतिशास्त्ऱ और पंचांग के अनुसार उपछाया चंद्र ग्रहण को चंद्र ग्रहण की श्रेणी में नहीं रखा जाता है। यहीं कारण है कि शुक्रवार, 10 जनवरी को लगने वाले इस चंद्र ग्रहण में सूतक काल नहीं होगा। सूतक काल ग्रहण से 12 घंटे पहले लग जाता है और इस अवधी में सभी तरह के धार्मिक कार्यों की मनाही होती है, परंतु इस चंद्र ग्रहण में सूतक का कार्य भी संपन्न होंगे और मंदिरों के कपाट भी खुले रहेंगे।

क्या होता है यह उपछाया चंद्र ग्रहण…

चंद्र ग्रहण से पहले चंद्रमा पृथ्वी की उपछाया में प्रवेश करता है। चंद्र ग्रहण से पहले चंद्रमा पृथ्वी की उपछाया में प्रवेश करता है जिस चंद्र मालिन्य कहते हैं। इसके बाद चांद पृथ्वी की वास्तविक छाया भूभा में प्रवेश करता है। जब चांद पृथ्वी की वास्तविक छाया भूभा में प्रवेश करता है तब चंद्र ग्रहण लगता है। लेकिन इस बार की तरह ही कही बार चंद्रमा उपछाया में प्रवेश करने के बाद उपछाया संकु से ही बहार निकल जाता है और भूभा में प्रवेश नहीं करता है। इसलिए उपछाया के समय चंद्रमा का विंभ केवल धुंधला पड़ता है, काला नहीं होता है। इस धुंधलापन को सामान्य रूप से देखना भी काफी मुश्किल है। इसलिए चंद्र मालिन्य मात्र होने की वजह से इसे उपछाया चंद्र ग्रहण कहते हैं।

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