अगर सुबह सूर्य के दर्शन न हो तो पूर्व दिशा की ओर मुंह करके जल चढ़ाकर बोलें सूर्य मंत्र

0
1891

अभी पौष मास चल रहा है और इस माह में सूर्य देव की विशेष पूजा करने की परंपरा है। शास्त्रों में पंचदेव बताए गए हैं, इनकी पूजा हर काम की शुरुआत में की जाती है। ये पंचदेव हैं, श्रीगणेश, शिवजी, विष्णुजी, देवी दुर्गा और सूर्य देव। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार सूर्य देव एक मात्रा प्रत्यक्ष दिखने वाले देवता हैं। सूर्य देव की कृपा पाने के लिए रोज सुबह सूर्योद्य के समय अर्घ्य अर्पित करना। पं शर्मा के अनुसार अगर सुबह बादलों की वजह से सूर्य के दर्शन नहीं हो पाते हैं तो सूर्योदय की पूर्व दिशा में मुंह करके जल चढ़ाना चाहिए। सूर्य मंत्र का जाप करना चाहिए। ऊँ आदित्याय नमः ऊँ भास्कराय नमः आदि। घर में रखी सूर्य प्रतिमा या तस्वीर के दर्शन करना चाहिए।

ब्राह्मपर्व के सौरधर्म में सदाचरण अध्याय के अनुसार जो लोग सूर्य देव को जल चढ़ाते हैं, उन्हें सूर्योदय से पहले बिस्तर छोड़ देना चाहिए। घर से बाहर कहीं जाते समय जब भी सूर्य मंदिर दिखाई दे तो सूर्यदेव को प्रणाम जरूर करें। रोज सुबह सूर्य का जाप करना चाहिए। सूर्य को जल चढ़ाने के लिए तांबे के लोटे का उपयोग करना चाहिए। सूर्य के लिए रविवार को गुड़ का दान करना चाहिए। जल चढ़ाते समय सूर्य को सीधे नहीं देखना चाहिए। गिरते जल की धारा में सूर्यदेव के दर्शन करना चाहिए। विद्यार्थियों को सूर्यदेव को गुरु मानकर उनकी पूजी रोज करें। सूर्य हनुमानजी के गुरु हैं। जो लोग सूर्य को गुरु मानकर पूजा करते हैं, उन्हें विद्या ग्रहण करने में परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ता है। आप तांबे से बनी सूर्य की प्रतिमा घर में रख सकते हैं और रोज उसके दर्शन करना चाहिए।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here