प्रभात हमेशा आपको आगे भी रखता है और सही खबर भी परोसता है। अटकलों व कयासबाजियों के आधार पर पत्रकारिता नहीं करता। तमाम उदाहरण पाठकों के सामने आ चुके हैं। गिनाने बैठेंगे तो महीनों का पूरा अखबार भर जाएगा। ताजा उदाहरण महाराष्ट्र के महानाटक का है। लगातार सारे अखबार इस पर रोजाना बड़ी-बड़ी खबरें परोस रहे थे, लेकिन प्रभात ने हर समय अपने पाठकों को सही खबर दी। 21 नवंबर के अंक में हमने खबर दी थी कि केंद्र में एनसीपी को तीन मंत्री पद और शरद पवार को राष्ट्रपति पद का आफर मिला है। उसी दिन ये तय हो गया था कि महाराष्ट्र में जो सामने है उसके उलट कुछ ऐसा होगा कि बाजपलटती हुई दिखाई देगी। नितिन गडकरी तो हिंट भी दे चुके थे कि राजनीति व खेल में कुछ भी संभव है। जीतने वाले हार भी जाते हैं और हारते दिखने वाले जीत जाते हैं।
लेकिन खुद को नंबर वन कहने वाला अखबार चाहे जागरण हो या फिर टाइस आफ इंडिया सभी अखबारों ने तह तक जाने की कोशिश ही नहीं की। लगातार वही हैडलाइन चलाते रहे जो नेताओं केस मुंह से निकलता रहा। लेकिन प्रभात का हमेशा से मानना है कि खबर केवल वो नहीं जो पढ़ाई और दिखाई जा रही है, असली खबर वो है जो छिपाई जा रही है। इसीलिए 75 साल का तजुर्बेकार आपके प्रिय प्रभात का नारा है कि हम छिपाएंगे नहीं, छापेंगे। लिहाजा इसी थीम पर हमनें महाराष्ट्र को लेकर भी सही खबर दी। बाकी का नतीजा सामने है। शनिवार की सुबह जब लोग नींद से जागे और अपने-अपने घरों में अखबार देखे तो उनमें शिवसेना नेता उद्धव ठाकरे को महाराष्ट्र का अगला मुख्यमंत्री बताया गया था। उद्धव के मुख्यमंत्री बनने की बड़ी खबरें ज्यादातर हिन्दी-अंग्रेजी अखबारों के पहले पन्ने की मेन खबर थी।
लेकिन प्रभात ने अपनी एक्सक्लूसिव रिपोर्ट दी-मेरठ की फिर लहर, गुलाबी गेंद का कहर। ठाकरे के नाम पर सहमति हमनें संक्षेप में दी। अपने आपको नंबर कहने वाले दैनिक जागरण और बाकी सभी अखबारों ने जहां इसे शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस के गठबंधन के फैसले के रूप में बताया, तो वहीं कई ने हेडिंग में सीधे तौर पर उद्धव के अगले सीएम होने की बात लिखी। लेकिन हाय री पत्रकारिता, अभी कई लोगों ने अखबार खोला भी नहीं था कि ये खबर बदल गई। सुबह जिन लोगों ने अखबार और टीवी एक साथ देखना शुरू किया, उन्हें अखबार की खबर टीवी से मैच होती नहीं दिखी।क्योंकि टीवी पर सुबह-सुबह बीजेपी नेता देवेंद्र फडणवीस दोबारा महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ले रहे थे। लोग हैरत में थे कि ये अखबार कैसी खबरें देते हैं? क्यों इन्हें जनता की पसंद बताया जाता है। इस उदाहरण से प्रभात ने अपनी विश्वसनीयता का फिर डंका बजाया। क्योंकि हम खबर की तह तक जाते हैं। बाकी केवल चलकर आने वाली खबरों को ही पाठकों को परोसते हैं तो एक बार हमारा पाठकों से पुराना सवाल क्या इसके बाद भी ये अखबार नंबर वन. कहलाने लायक हैं?
महोदय प्रभात हिंदी पेपर का पीडीएफ कहां से निकलेगा