प्लास्टिक : हिमाचल में बैन-बाकी मटकते नैन

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साल 2009-2010 की बात है। रितिका दवे अहमदाबाद से पहली बार शिमला घूमने आई थीं। शिमला में बर्फ गिरी थी और वो मॉल रोड पर टलहते- टहलते कुछ ऊनी कपड़े खरीदने के लिए शहर की एक मशहूर दुकान में चली गईं। दिनेश सूद नाम के दुकानदार ने उन्हें मज़बूत क पड़े का थैला थमाया और कहा कि मैडम, ये रहा आपका पैकेट। शिमला में प्लास्टिक पर बैन है। रितिका ने मुस्कुराकर जवाब दिया किये तो अच्छी बात है। मैं अपने शहर में भी ये संदेश पहुंचाऊंगी। ये तब की बात है जब हिमाचल प्रदेश मे सिंगल यूज़ प्लास्टिक पर पाबंदी की शुरु आत थी। भारत सरकार ने अब देश में सिंगल यूज़ प्लास्टिक के इस्तेमाल को रोकने के लिए बैन नहीं बल्कि जागरूकता का सहारा लेगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महात्मा गांधी की 150वीं जयंती पर ये ऐलान किया। इसके उलट हिमाचल प्रदेश एक ऐसा राज्य है जहां पिछले तकरीबन 10 वर्षों से सिंगल यूज़ प्लास्टिक का इस्तेमाल नहीं हो रहा है और इस पाबंदी का ज़्यादा विरोध भी नहीं हुआ है।

दिनेश सूद क हते हैं कि हिमाचल प्रदेश में सिंगल यूज़ प्लास्टिक पर पाबंदी इसलिए सफ ल रही क्योंकि इसके विकल्प आसानी से उपलब्ध थे- कपड़े और कागज़़ के थैले। ये थैले हमें थोड़े महंगे पड़ते हैं। एक थैला लगभग 14-15 रुपये का होता है जो पॉलिथिन बैग से कहीं ज़्यादा है लेकिन इनके इस्तेमाल से हमारा राज्य और शहर साफ़ -सुथरा रहता है। इसके बाद से ही हिमाचल प्रदेश ने पीछे मुडक़र नहीं देखा है। इसके उलट बहुत सी राज्य सरकारें जैसे कि दिल्ली, जम्मू-कश्मीर, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और पंजाब पीछे हट गई हैं। ज़ाहिर है इन राज्य सरकारों में प्लास्टिक की महामारी से लडऩे की राजनीतिक इच्छाशक्ति में कहीं न कहीं कमी है। हिमाचल प्रदेश में साल 2009 से ही सरकारें प्लास्टिक के इस्तेमाल पर पूरी तरह रोक लगाने के लिए लगातार प्रयासरत रही हैं। यहां सिंगल यूज़ प्लास्टिक से पहाड़ों और राज्य के नाज़ुक इको सिस्टम पर गहरा ख़तरा मंडराने लगा था। पहाड़ी इलाकों में स्थित दुकानों, बाज़ार, आवासीय क्षेत्रों, नदियों, प्राकृतिक जल स्रोतों, खेतों और गांवों में प्लास्टिक का अंबार लग गया था और इसने लोगों की जि़ंदगी नरक बना दी थी।

राष्ट्री हरित प्राधिकरण में विशेषज्ञ और हिमाचल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के पूर्व सचिव डॉक्टर नगीन नंदा कहते हैं कि चूंकि हिमाचल प्रदेश हमेशा सैलानियों से भरा रहने वाला राज्य है इसलिए हमें प्लास्टिक से निबटने के लिए कई चुनौतियों का सामना भी करना पड़ा। प्लास्टिक पर बैन लगाने से पहले हमने डिमांड और सप्लाई के पूरे जाल को ठीक से समझा। इसके बाद हमने इससे निबटने के लिए बाक़ायदा एक ढांचा बनाया। डॉक्टर नंदा कहते हैं कि हिमाचल सरकार ने छोटे दुकानदारों को पॉलिथिन के ऐसे विकल्प दिए जो आसानी से उपलब्ध थे। जैसे कि दुकानदारों को बैन लागू होने से पहले प्लास्टिक के उस स्टॉक को इस्तेमाल करने की अनुमति भी दी गई जो उनके पास पहले से उपलब्ध था। राज्य में बैन के आर्थिक पक्ष को ध्यान में रखा गया और नियम तोडऩे वालों के लिए सख़्त जुर्माने का प्रावधान भी किया। हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल ने प्लास्टिक के खिलाफ अभियान में अहम राजनीतिक भूमिका निभाई थी। वो कहते हैं कि लोगों को इस बारे में विस्तार से जानकारी दी गई कि प्लास्टिक उनकी जि़ंदगी, पर्यावरण और जैव-विविधता के लिए कितना ख़तरनाक है।

मुझे लगता है कि इस जागरूकता से अभियान को सफल बनाने में काफ़ी मदद मिली। प्रभावी नियम और अच्छे विकल्पों का फ़ायदा तो हुआ ही, इस पहल के लिए हमें साल 2011 में राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिला। जून 2018 में हिमाचल सरकार ने सरकारी कार्यक्रमों में इस्तेमाल होने वाली थर्मोकोल की प्लेटें और एक बार इस्तेमाल होने वाली प्लास्टिक की छोटी बोतलों पर भी रोक लगा दी। इतना ही नहीं, मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने सरकारी दफ्तरों में प्लास्टिक फ़ाइलों के इस्तेमाल पर भी रोक लगा दी है। राज्य के मुख्य सचिव श्रीकांत बाल्दी ने बताया, हमने रिफ़ाइन्ड तेल, चिप्स, कुरकुरे और चॉक लेट जैसी चीज़ों के प्लास्टिक पाउच पर रोक लगाने की संभावनाओं का अध्ययन भी किया लेकि न सुप्रीम कोर्ट की वजह से ऐसा नहीं कर सके। हिमाचल प्रदेश ने प्लास्टिक के कचरे से निबटने की जो दो मुख्य तरकीबें निकाली हैं वो है इसे सडक़ बनाने और सीमेंट की भट्टियों में इस्तेमाल करना। राज्य के मुख्य सचिव (पीडब्ल्यूडी) जेसी शर्मा कहते हैं कि राज्य सरकार ने प्लास्टिक वेस्ट को सडक़ निर्माण में इस्तेमाल करने के लिए बाक़ायदा नीति बनाई और इसे लागू भी किया है। हमने प्लास्टिक के चरे से कुछ सडक़ें बना भी ली हैं। ये काफ़ी अच्छा विकल्प है। हमने इस साल शिमला के पास प्लास्टिक वेस्ट इस्तेमाल करते हुए 10 किलोमीटर लंबी सडक़ बनाने की योजना बनाई है।

अश्वनी शर्मा
(लेखक स्तंभकार हैं ये उनके निजी विचार हैं)

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