कम्युनिस्ट चीन में मुस्लिम गुलाम क्यों हैं?

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पूरी दुनिया में जहां जहां मुस्लिम राज ह वहां कम्युनिस्ट पार्टी को कोई घुसने नहीं देता। पाकिस्तान में तो कम्युनिस्ट नेताओं पर देशद्रोह के आरोप में उम्र कैद तक हुई। उनमें से एक ने तो बाद में किसी तरह माफी मांग कर भारत में आ कर पनाह ली थी। इसी तरह जहां जहां कम्यूनिस्ट राज ह वहां वहां मुसलमानों को धार्मिक आज़ादी नहीं है। पर भारत में कम्युनिस्ट मुसलमानों को उन का सब से बड़ा हितैषी बताने में कामयाब हैं। उन्हीं की छत्रछाया में अलगाववादी जेएनयू में कश्मीर की आज़ादी और भारत के टुकड़े करने के नारे लगाने में कामयाब हो जाते हैं।

जेएनयू के छुटके कम्युनिस्ट कंहैया और शाहला रशीद से ले कर अजय भवन की पूरी कम्युनिस्ट पार्टी कश्मीर से कन्याकुमारी तक भारतीय मुसलमानों के पैरवीकार बने घूम रहे हैं। वे तीन तलाक का भी समर्थन करते हैं और 370 खत्म हो तो उसे भी मुसलमानों से विश्वासघात बताते हैं। पर भारतीय कम्यूनिस्टों के अब्बा हुजूर चीन ने लाखों मुसलमानों को शिन जियांग जिले में कैंपों में नजर बंद कर रखा है। दो सौ से ज्यादा मुस्लिम व्यापारियों की पत्नियां गायब हैं। उनको शैक्षणिक कैंप ले जाया गया है।

चीन में लगभग 2 करोड़ 30 लाख मुस्लिम रहते हैं। पेइचिंग में सभी हलाल रेस्तराओं में मुस्लिम प्रतीकों पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। मुसलमानों की सभी दुकानों पर से आधा चांद के निशान हटवा दिए गए हैं। चीन सरकार मुसलमानों को कम्युनिस्ट पार्टी की विचारधारा के समकक्ष लाने के लिए अभियान चला रही है। चीनी संस्कृति पर ही केंद्रित होने का दबाव पूरे मुस्लिम समाज पर है। मुसलमानो की मजहबी कट्टरता खत्म करने के लिए चल रहे चीन के सुधार कैंपों में मानसिक और शारीरिक यातनाओं का दौर जारी है।

मुसलमानो के बच्चो को अनाथालय भेजा जा चुका है ताकि वे कट्टरवाद का शिकार न हों। मुस्लिम आबादी ना बढ़े इसलिए महिलाओं पर खास नजर है , जबरन गर्भपात कराया जा रहा है। मुस्लिम लड़कियों की शादी वहां चीन सरकार की ओर से बसाए गए हान मुसलमानो के साथ करवाई जा रही है। कुरान पढ़ने, बच्चो के मदरसों में जाने, नवजात बच्चों के इस्लामी नाम रखने, रमजान में मुस्लिम कर्मचारियों के रोजा रखने, दाढ़ी बढ़ाने पर पाबंदी अलग है।

कई मस्जिदों को चीन सरकार तोड़ चुकी है, पर भारत में कम्युनिस्ट पार्टी मुसलमानों के लिए खुदा बनी हुई है। भारत में न तो मुसलमानों की कम्यूनिस्टों से पूछने की हिम्मत पड़ रही है, न ही कम्युनिस्ट अपने अब्बा से पूछने का साहस कर पा रहे हैं कि चीन में मुसलमानो के मानवाधिकारों का हनन क्यों हो रहा है।

इस्लाम के नाम पर भारत को कोसने वाले पाकिस्तान की भी चीन में मुस्लिमों पर हो रहे अत्याचार के खिलाफ बोलने की हिम्मत नहीं पड़ रही , जो कि आज कल पाकिस्तान का जिगरी दोस्त बना हुआ है। कारण चीन पैसे देने बंद कर देगा, मदद रोक देगा। साथ ही पाकिस्तान को बर्बाद भी कर देगा। यह है पाकिस्तान का मुस्लिम प्रेम का असली चेहरा जबकि मुस्लिम आधार पर ही वह कश्मीर पर दावा पेश करता है और इन दिनों तो पाकिस्तान के प्रधानमंत्री कश्मीर को लेकर बार बार इस्लाम की दुहाई दे रहे हैं| कश्मीर पर 370 हटाने के बाद पाकिस्तान बिलबिला रहा है , जबकि चीन में हो रहे मुसलमानों के मानवाधिकार हनन पर चुप्पी साधे है।

इसके विपरित भारत में सभी धर्मों को पूरी आजादी है। इसके बावजूद 370 पर भारत को मानवाधिकार की दुहाई देने वाले वामपंथी और सेक्युलर भी चीन के बारे में बोलने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे। इस्लाम को देश से ऊपर मानने वाले भारत के मुसलमान भी भारतीय कम्यूनिस्ट नेताओं से यह नहीं पूछते कि जहां जहां कम्युनिस्टों की सरकारें हैं वहां वहां मुसलमानों को धार्मिक आज़ादी क्यों नहीं है और उन के मानवाधिकारों का हनन क्यों हो रहा है।

अजय सेतिया
लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं, ये उनके निजी विचार हैं

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