विनम्र शुभकामना का एक दिन

0
272

हम नेहरू जी और मोदी जी की तरह अठारह-बीस घंटे काम नहीं कर सकते। पहले भी हम इतना ही काम कर सकते थे कि नौकरी चलती रहे। यदि बड़े लोगों जितना असाधारण दम होता तो छह घंटे मास्टरी करते और बारह घंटे ट्यूशन करते और आज छोटे-मोटे अंबानी बन गए होते। अब सतत्तर पार की इस उम्र में हम सुबह साढ़े चार बजे उठते हैं। ग्यारह बजे तक हमारी बैटरी डाउन हो जाती है। भले ही वैद्य कहते हों कि शीत और वर्षा ऋतु में दिन में नहीं सोना चाहिए लेकिन उन्हें हमारी हालत का क्या पता। खैर, दिन का कोई डेढ़ बजा होगा कि जय श्रीराम और भारत माता की जय एक ज़ोरदार उल्लासपूर्ण ध्वनि ने हमें चौंका दिया। जगा दिया और दिल में सनसनी भर दी। हमें इन दोनों नारों से कोई ऐतराज नहीं हैं लेकिन इन दिनों इन दोनों नारों के एक साथ होने से थोड़ा अजीब लगता है क्योंकि एक राम-रावण युद्ध में वानर सेना का नारा है और दूसरा सभी धर्मों और विश्वासों के लोगों का एक राष्ट्रीय नारा है।

वैसे हम बचपन से ही प्राय: हर हिन्दू बच्चे की तरह हनुमान के भक्त रहे हैं क्योंकि इस देश के बच्चों को और कुछ सिखाया जाता हो या नहीं लेक न भूत-पिशाच से उन्हें जरूर डराया जाता है और उनसे बचाने वाले एक मात्र देवता हनुमान ही हैं। किसी अन्य धर्म में इस बीमारी के सुपर स्पेशिलिस्ट उपलब्ध नहीं है। है। एक प्रकार से राम और हनुमान में से किसी एक की भक्ति भी दोनों की भक्तियों का काम कर देती है और भला राम से किसे ऐतराज हो सकता है। इकबाल ने भी उन्हें पैगम्बर-ए-हिन्द कहा है। बाहर निक लकर देखा तो तोताराम एक झंडी लिए नारे लगा रहा है। हमने कहा-क्या बात है़? बोला- बात क्या है? दूसरी आज़ादी आ गई है। हमने कहा- इस देश में हर आदमी की अपनी-अपनी आजादी है। मोदी जी ने रात को बारह बजे लागू करते हुए जीएसटी को भी दूसरी आजादी कहा था। कोई मंत्री पद का ललचाई किसी सत्ताधारी दल में घुसने के अपने गद्दारी भरे फैसले को भी दूसरी आजादी कह सकता।

कोई अपनी बीवी को छोडक़र भागने को दूसरी आजादी कह सकता है। बोला- यह इतनी छोटी बात नहीं है। आज जम्मू-कश्मीर जिसमें लद्दाख भी शामिल है स्वतंत्र हो गए हैं, शेष राज्यों की तरह भारत के अविभाज्य अंग बन गए हैं। हमने कहा कि ऐसा तो पहले भी था। हमने उसे हमेशा अपने से बढक़र माना है। सबसे अधिक सहायता उसे दी है। बोला-यही तो गड़बड़ हुई। उस पैकेज के चक्कर में परोपजीवी पनपने लगे जिन्होंने केंद्र सरकार को अलगाव का भय दिखा-दिखा कर पैकेज पर ऐश करना शुरू कर दिया। अब वह सब बंद। समस्त देश की तरह इस इलाके का भी विकास होगा। लेह-लद्दाख को एक अलग केंद्र शासित राज्य बना दिया गया है क्योंकि वहां की स्थिति-परिस्थिति और मन:स्थिति नितांत अलग है। हमने कहा-तोताराम, हम इस बात को मानते हैं कि अब 1947 के इतिहास का आज की पीढ़ी के लिए केवल ऐतिहासिक महत्व ही रह गया है। आवश्यकता होने पर उसे युगानुरूप बदला जा सकता है। कोई न बदले तो भी बातें खुद-बी-खुद भी बदलती हैं। अगर अमरीका में जन्मा कीनिया मूल के मुसलमान और श्वेत अमरीकी मां का बेटा अमरीका का राष्ट्रपति बन सकता है तो क्यों कश्मीर में पचासों साल पहले बसेए बसाए गए या जन्मे लोगों को वहां की नागरिकता और सामान्य अधिकार क्यों नहीं मिलने चाहिए। कब तक एक ही देश में दो निशान, दो विधान और दो प्रधान चलते रहेंगे।

रमेश जोशी
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं, ये उनके निजी विचार हैं ।)

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here