सुरक्षित नहीं आधी आबादी

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दिल्ली में संदिग्ध परिस्थितियों में एक नौ साल की बच्ची का शव मिला है। पूर्वी दिल्ली के शकरपुर क्षेत्र में अपने परिवार के साथ एक पेइंग गेस्ट (पीजी) में रहती थी। पीड़िता की पूर्वी दिल्ली के एक अस्पताल में मौत हो गई। वहीं दूसरी ओर उत्तर प्रदेश में कथित तौर पर भीड़ ने एक दलित व्यक्ति (28) को चोर समझकर पहले उसके कपड़े उतार दिए और उसे बांधकर पीटा, फिर आग के हवाले कर दिया। बाद में पुलिस ने पीड़ित सुजीत कुमार को लखनऊ के एक अस्पताल में भर्ती कराया। वह 30 प्रतिशत तक जल चुका था। यह युवक रघुपुरवा गांव में कुत्तों के झुंड से बचने के लिए एक घर के बाहर छप्पर में शरण ले ली। स्थानीय निवासी श्रवण कुमार, उमेश, राम लखन और दो और लोगों ने जब उसे घर के पास छिपे देखा तो उसे पकड़ लिया और पीटना शुरू कर दिया जब तक वह अधमरा नहीं हुआ उसे पीटते रहे और बाद में उसके ऊपर तेल छिड़क कर आग लगा दी।

वहीं तीसरी घटना मध्य प्रदेश में ग्रामीणों ने मोर की चोरी के आरोप में शख्स की जमकर पिटाई की, इलाज के दौरान हुई मौत हो गई। मध्य प्रदेश के नीमच से एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है। यहां ग्रामीणों ने चोरी के आरोप में एक शख्स की जमकर पिटाई कर दी, जिसकी इलााज के दौरान मौत हो गई। वहीं दूसरी ओर आरोपी ओर उसके 3 साथियों पर भी वन्य प्राणी संरक्षण अधिनियम का मामला दर्ज किया गया है। अभी आरोपियों पर आईपीसी की धारा 307 के तहत मामला दर्ज किया गया है। इसमें हीरालाल की मौत के बाद 302 बढ़ाई जाएगी। ऐसी अनगिनत घटनाएं आज आम हो रही हैं। यह अच्छे समाज की पहचान नहीं हो सकती। आज के परिवेश में लगता है समाज सभ्य नहीं रह गया है। तभी तो आजकल भू्रणहत्या आम हो गई हैं। आपको समाचार पत्रों में ऐसी खबरें पढ़ने को मिल ही जायेंगी।

कभी कभी तो दिल दहलाने वाली खबर आती है कि किसी ने नवजात बच्ची को कूड़े के ढेर पर मरने के लिए फैंक दिया। जब उस बच्ची को मारना ही था तो ऐसी नोबत क्यों आई। उसे धरती पर आने से पहले ही क्यों मार दिया जाता है। यह उस समाज में हो रहा है जब हम डिजिटल बन गये। यह सब ऐसे सभ्य परिवार वाले ही अधिक करते हैं जो डिजिटल हो गये हैं। बेचारा गरीब तो लोकलाज के चलते ऐसे घिनौने कार्यों से बचता है। क्योंकि वह ईश्वर से डरता है। चैथी सोनभद्र में जमीन को लेकर हुए नरसंहार हुआ। जिसमें एक ही परिवार के 10 लोगों को मौत के घाट उतार दिया। ऐसा बताया गया है कि यह घटना जमीनी रंजिश को लेकर हुई है। गौरतलब है कि सोनभद्र के घोरावाल इलाके में ग्राम प्रधान और गोंड आदिवासियों के बीच जमीन के एक टुकड़े को लेकर हुए संघर्ष में 10 लोगों की हत्या हो गई थी जबकि 18 अन्य घायल हो गए थे। दत्त परिवार दबंगों में गिना जाता है।

इसके समर्थकों ने कथित रूप से आदिवासियों पर फायरिंग की थी। अब जिस प्रकार से हमारे राजनेता पीड़ितों को न्याय तो मिले या न मिले परंतु अपनी-अपनी रोटियां सेंकनी शुरू कर दी है। यह घटनाएं इस बात की
कांग्रेस महासचिव और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के प्रभारी ज्योतिरादित्य सिंधिया ने प्रियंका गांधी को सोनभद्र जाने से रोकने पर योगी आदित्यनाथ सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि यह कार्रवाई लोकतंत्र का “खुलेआम अपमान” है। इस घटनाक्रम पर उप मुख्यमंत्री दिनेश शर्मा ने कहा, “सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों की ही जिम्मेदारी है कि किसी भी दुखद घटना के बाद वहां उत्तेजना ना फैलने दें। विपक्ष को लोगों में बंधुत्व बढ़ाने में सरकार की मदद करनी चाहिए।” वहीं पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख ममता बनर्जी ने सोनभद्र नरसंहार को लेकर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) पर हमला बोला है।

उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार ने कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा को कानून व्यवस्था का हवाला देते हुए सोनभद्र जाने की अनुमति नहीं दी लेकिन बीजेपी पार्टी के प्रतिनिधिमंडल ने पश्चिम बंगाल के भाटपारा क्षेत्र का दौरा उस समय किया था जब वहां कफ्र्यू लगा हुआ था। ममता बनर्जी ने पत्रकारों से कहा कि सोनभद्र में दलितों पर अत्याचार होने की घटनाएं हुई हैं और अगर कोई इसके खिलाफ आवाज उठा रहा है, तो उन्हें ऐसा करने की अनुमति दी जानी चाहिए। दूसरी ओर बहुजन समाज पार्टी (बसपा) सुप्रीमो मायावती ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार अपनी विफलता को छिपाने के लिए धारा 144 का सहारा लेकर किसी को सोनभद्र नहीं जाने दे रही है। मायावती ने इस संबंध में ट्वीट किया है। मायावती ने लिखाः “यूपी सरकार जान-माल की सुरक्षा व जनहित के मामले में अपनी विफलता को छिपाने के लिए धारा 144 का सहारा लेकर किसी को सोनभद्र जाने नहीं दे रही है।

‘उन्होंने कहा’ “फिर भी उचित समय पर वहां जाकर पीड़ितों की यथासंभव मदद कराने का बसपा विधानमण्डल दल को निर्देश दिया गया है। इस नरसंहार का मुख्य कारण सरकारी लापरवाही है।” वहीं दूसरी ओर चाउमीन खिलाने का लालच देकर एक युवक ने साहिबाबाद मंडी में ले जाकर दो बच्चियों से रेप करने की घटना घटित हुई है। ये दोनों बच्चियां 9 से 10 साल की बताई गई हैं। ये तो वे घटनाएं हैं जो सामने आ जाती है। परंतु इन सबके पीछे ऐसे भी मामले हैं जो पीड़ित लोक-लाज के चलते कानूनी लपड़ों में नहीं पड़ते या यूं कहें कि उनसे कानून कोसों दूर हैं। फिर भी जहां हर सरकार ऐसी घटनाओं की पुनार्रावृत्ति न हो इन पर प्रतिबंध लगे ठोस कानून तो हैं उसका सही प्रकार से पालन किया जाये। यदि समय रहते ऐसे अपराधियों पर अंकुश न लगाया जाये तो वह दिन दूर नहीं जब जनता सड़क पर उतरने को मजबूर होगी और हमारे रहनुमाओं या देश के शुभचिंतकों से हिसाब मांगेगी। यह सभ्य समाज की पहचान नहीं हो सकती। क्या मानव समाज की संवेदनाएं इतनी मर चुकी हैं। क्या ऐसे ही हमारा देश डिजिटल इंडिया बनेगा। क्या ऐसे ही होगी हमारी इक्कसवी सदी। क्या ऐसे ही हम वीटो पॉवर के हकदार होंगे।

– सुदेश वर्मा।
ये लेखक के निजी विचार हैं…

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