ट्रंप के बयान पर सियासत

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पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान से मुलाकात के बाद अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि कश्मीर विवाद सुलझाने में उन्हें खुशी होगी। उन्होंने कहा कि भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उनसे कश्मीर पर मध्यस्थता के लिए कहा था। दरअसल पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने ट्रंप से मुलाकात में कश्मीर का जिक्र किया था। पर ट्रंप के बयान पर वाशिंगटन से लेकर भारत के संसद तक मामला गरमाया रहा। सोमवार को ट्रंप ने मोदी का नान लिया था और जापान के ओसाका में हुई भेंट में कश्मीर विवाद पर मध्यस्था का जिक्र भारत की तरफ से किया गया था। हालांकि ओसाका में ट्रंप की बेटी इंवाका ने भारत-अमेरिका के शिखर पुरुषों के बीच बातचीत का पूरा ब्योरा दिया था। लेकिन उसमें कहीं भी कश्मीर पर मध्यस्था की पेशकश किए जाने का जिक्र नहीं था। शायद इलीलिए सोमवार को डोनाल्ड ट्रंप की प्रेस कांफ्रेंस के बाद व्हाइट हाउस की तरफ से जारी प्रेस नोट में भी कश्मीर शामिल नहीं था।

तो ट्रंप ने क्या किसी कूटनीति के तरह कश्मीर मसले में भारतीय प्रधानमंत्री मोदी का नाम उछाल दिया? वैसे ट्रंप के बयानों को खुद अमेरिका में भी गंभीरता से नहीं लिया जाता। फिर भी उनकी इस हरकत से भारतीय संसद में मंगलवार को तूफान खड़ा हो गया। कांग्रेस समेत सभी विरोधी दलों ने ट्रंप के बयान पर प्रधानमंत्री मोदी से सफाई तक मांग ली। हालांकि विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने खुद स्पष्ट कर दिया कि प्रधानमंत्री ने ट्रंप से कश्मीर पर कोई बात नहीं की थी। पर ट्रंप के बयान को लेकर सियासत होनी थी सो हुई। जहां तक कश्मीर का मसला है तो पहले से ही यह भारत का दृश्टिकोण है कि द्विपक्षीय मसला है, किसी और की मध्यस्थता स्वीकार्य नहीं है। जाहिर है, कश्मीर पर भारत का स्टैण्ड वही है, जो पूर्ववर्ती सरकारों का रहा है। जहां तक मोदी सरकार की बात है तो अब तक के रुख से साफ है कि जब तक पाक समर्थित आतंकवाद बंद नहीं होता तब तक उससे कश्मीर सहित अन्य लंबित मसले पर कोई बातचीत नहीं हो सकती। इन दिनों साख तौर पर देश के भीतर कश्मीर की यथास्थिति को दूर करने के लिए जिस तरह कड़े कदम उठाए जा रेह हैं।

उससे पाकिस्तान की परेशानी भी बढ़ गयी है। यही वजह है कि बार-बार उसकी तरफ से तीसरे देश की मध्यस्थता की मांग उठाई जाती रही है। स्वाभाविक है कि जिस देश की आतंकवादी नीति को पलीता लगा रहा है, उसकी सारी योजना को धक्का पहुंच रहा है उसके लिए कश्मीर मुद्दे को हर जगह उछालना जमबूरी बन गयी है। पर हैरत यह है कि ट्रंप के बयान पर भारत का विपक्षी दल ज्यादा विश्वास करता दिखाई देता है, शायद सियासत के लिए। वरना विदेश मंत्रालय की तरफ से खण्डन हो गया, खुद मोदी संसद में आकर बताएं कि उन्होंने ट्रंप से ऐसा नहीं कहा, यह बात विरक्ष की गहरी हताशा को देखांकित करता है। पर इन सबके बीच अच्छी बात है कि कांग्रेस सांसद शशि थरूर भी नहीं मानते कि भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ट्रंप से कश्मीर पर मध्यस्थता की बात कही होगी। उनकी बात प्रासंहिक और तार्किक लगती है कि शायद ट्रंप को अतंरर्राष्ट्रीय राजनीति की वह गहरी समझ नहीं है, इसलिए ऐसी बात कह गये। दुनिया जानती है भारत का नजरिया, इसलिए तीसरे पक्ष की मध्यस्था का सवाल ही नहीं उठता। ट्रंप के बयान पर मोदी को घेरकर विपक्ष हो सकता है राहत महसूस करे लेकिन अतंरराष्ट्रीय राजनीति पर ऐसे विवादों से दूसरों को ताकत मिलती है।

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