सीबीआई के छापे

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मंगलवार को यूपी-दिल्ली समते 19 राज्यों में 110 ठिकानों पर सीबीआई छापे पड़े। यह सिलसिला बुधवार को भी जारी रहा। यूपी में बुलंदशहर, मुरादाबाद और आजमगढ़ में अफसरों के यहां छापे पड़े। बुलंदशहर के डीएम अभय सिंह के आवास से इतनी बड़ी मात्रा में कैश बरामद हुआ कि उसकी गिनती के लिए मशीन मंगवानी पड़ी। अवैध खनन के मामलों को लेकर पहले आईएएस बी. चन्द्रकला के लखनऊ और नोएडा स्थित आवासों पर सीबीआई का छापा पड़ा था। इस घोटाले के तार तत्कालीन सपा सरकार के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से जुड़े बताए जाते हैं। नियम के विपरीत एक ही दिन में 13 खनन पट्टे आवंटित किए गए थे। इस सिलसिले में सीबीआई ने हमीरपुर की डीएम रही बी. चन्द्रकला से पूछताछ की थी। अब इसी कड़ी में कई तरह के मामलों को लेकर सीबीआई ने छापे की बड़ी कार्रवाई की है। मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में भ्रष्टाचार के खिलाफ यह बड़ी कार्रवाई है। इन मामलों के तार यूपी चीनी मिल घोटाले, हरियाणा में जमीन घोटाले और बैंक घोटालों से जुड़े हुए हैं।

संबंधित दस्तावेज बरामद हुए हैं। जहां तक यूपी के चीनी मिल बिक्री घोटाले का मामला है तो 11 जगहों पर सीबीआई ने कार्रवाई की है। बसपा नेत्री मायावती के समय में नियमों को ताक पर रखकर चीनी मिलों की बिक्री हुई थी। इसी सिलसिले में तत्कालीन अफसर एवं मायावती के करीबी रहे नेतराम के लखनऊ आवास पर मंगलवार को छापे पड़े थे। नेतराम बसपा के शासनकाल में खासे प्रभावशाली थे और प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री के पद पर थे। इस छापेमारी की ताकत का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि पांच सौ अधिकारियों की टीम ने एक साथ कार्रवाई की। जिस तरह कुछ लोगों के आवास से भारी मात्रा में कैश बरामद हुए है, उससे यह स्पष्ट हो गया है कि देश को कुछ अपने ही लोग खोखला करने की कोशिश करते रहे हैं। सत्ता का बेजा इस्तेमाल करते हुए किस तरह अफसर-नेता देश की संपदा लूट रहे हैं, किसी से छिपा नहीं है।

ऐसे में सख्त कार्रवाई होनी ही चाहिए। साथ ही ऐसे मामलों को उसके अंजाम तक पहुंचाया जाना भी उतना ही अहम है ताकि सिर्फ सनसनी बनकर ना रह जाए। जिस तरह व्यवस्थित ढंग से कालेधन का कारोबार चलाया जाता है, उससे यह भी स्पष्ट है कि जब तक अफसर- नेता और बिचौलियों की तिकड़ी पर प्रहार नहीं होगा तब तक सही अर्थों में लक्ष्य को नहीं पाया जा सकता। यही सबसे बड़ी चुनौती है। वैसे अफसरों के लिए व्यवस्था है कि वे अपनी संपत्ति का प्रतिवर्ष ऐलान करें पर स्थिति यह है कि केन्द्र सरकार के भी ज्यादातर अफसरों ने अपनी आय का ब्यौरा नहीं दिया है। नेताओं का भी यही हाल है। सत्ता के संरक्षण में उन्हें भी अपने आय को छिपाने की छूट मिल जाती है। इसी वजह से कालेधन पर वास्तविक कार्रवाई नहीं हो पाती। जरूरत है, इस दिशा में ईमानदार कोशिश की। उम्मीद की जानी चाहिए, इस तरह के छापों से भ्रष्टाचार पर रोक लगेगी।

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