🙏🏻 मस्त्यपुराण कहता है कि – मार्गशीर्ष मास शुक्ल पक्ष चतुर्दशी तिथि के दिन अगर कोई शिवजी का १७ नामों से पूजन करे या वो १७ मंत्र बोलकर उनको प्रणाम करे | जो शिव है वो गुरु है और जो गुरु है वो शिव है | अपने गुरुदेव का भी स्मरण करते करते करें , तो भी उन तक पहुँच जाता है | और ज्यादा किसी को समस्या है वो विशेष रूप से, १७ नाम मस्त्यपुराण में बताया है | उसी दिन खास महिमा है उसकी, मार्गशीर्ष मास के बारे में जानते होंगे, जो भगवत गीता पाठ करते हैं | तो भगवान ने गीता के १० वे अध्याय में कहाँ है – ‘मासा नाम मार्गशीर्षोंहम’ की जो मार्गशीर्ष मास में भगवान ने अपनी विभूति बताया और उसमे शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी |
👉🏻 १७ नाम इस प्रकार 👈🏻
🌷 १) ॐ शिवाय नम:
🌷 २) ॐ सर्वात्मने नम:
🌷 ३) ॐ त्रिनेत्राय नम:
🌷 ४) ॐ हराय नम:
🌷 ५) ॐ इन्द्र्मुखाय नम:
🌷 ६) ॐ श्रीकंठाय नम:
🌷 ७) ॐ सत्योजाताय नम:
🌷 ८) ॐ वामदेवाय नम:
🌷 ९) ॐ अघोरहृदयाय नम:
🌷 १०) ॐ तत्पुरुषाय नम:
🌷 ११) ॐ ईशानाय नम:
🌷 १२) ॐ अनंतधर्माय नम:
🌷 १३) ॐ ज्ञानभुताय नम:
🌷 १४) ॐ अनंतवैराग्यसिंघाय नम:
🌷 १५) ॐ प्रधानाय नम:
🌷 १६) ॐ व्योमात्मने नम:
🌷 १७) ॐ युक्तकेशात्मरूपाय नम:
🙏🏻 तो जिनको जीवन में कष्ट आदि हैं उनको दूर करने में मदद मिलती है | और दो नाम पार्वतीजी के बोलेंगे उसी दिन – ॐ पुष्ट्ये नम: , ॐ तुष्टये नम: माँ पार्वती को नमन करके ये दो मंत्र उस दिन बोले की मैं श्रद्धा और भक्ति से पुष्ट बनूँ क्योंकि पार्वतीजी ‘भवानी शंकरों वन्दे श्रद्धा विश्वास रुपिनों’ आप श्रद्धा की मूर्ति है माँ मैं श्रद्धा से पुष्ट बनूँ मैं गुरुदेव के प्रति विचार रूपी सात्विक श्रद्धा से पुष्ट बनूँ |
🌷 शिव गायत्री मंत्र – ॐ तत्पुरुषाय विद्महे | महादेवाय धीमहि, तन्नो रूद्र प्रचोदयात् ।।