नंदा सप्तमी आज, जानें पूजा का विधान

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मार्गशीर्ष मास की शुक्ल पक्ष की सप्तमी नंदा सप्तमी कहलाती है । इस दिन भगवान सूर्य की पूजा का विधान है । पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन विधिपूर्वक सूर्य भगवान का पूजन व व्रत करने पर मनुष्य की सारी इच्छा पूरी हो जाती है ।

हिन्दू धर्म में मार्गशीर्ष मास को अत्यंत पवित्र महीना माना जाता है। इस मास में पड़ने वाले सभी व्रत और त्योहारों का विशेष महत्व है। बता दें कि मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि के दिन नंदा सप्तमी व्रत रखा जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार नंदा सप्तमी के दिन सूर्यदेव, भगवान श्री गणेश और नंदा देवी की पूजा करने से भक्तों को ज्ञान की प्राप्ति होती है। साथ ही भक्तों को देवी-देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त होता है। शास्त्रों में बताया गया है कि नंदा देवी माता पार्वती का ही अंश हैं। इसलिए इस दिन इनकी पूजा करने से भक्तों अपार तेज का भी वरदान मिलता है। आइए जानते हैं कब है नंदा सप्तमी, शुभ मुहूर्त और इस व्रत का महत्व।

इस दिन को लोटे में चावल, तिल, कुंमकुम, केसर डालकर सूर्यो नारायण को अर्घ्य दें । तिल के तेल का दीपक दिखाये । खाँड़ सहित दही और चावल थाली में लेकर सूर्य भगवान को भोग लगाये और प्रार्थना करे हमारे घर में आपके लिए ये प्रसाद तैयार किया है ये नैवेद्य आप सूर्य भगवान स्वीकार करें और हमारे घर में सब प्रकार से आनंद छाया रहें, सब निरोग रहें, दीर्घायु बनें । ऐसा करके उनको भोग लगाये और प्रसाद में थोड़ा-सा छ्त पर रख दें । घर के लोग भी प्रसाद में दही-चावल खुद भी खा लें ।

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