पारदर्शी व ईमानदान परीक्षा व्यवस्था कब आएगी?

0
313

सभी धर्मों और जातियों के आर्थिक रूप से कमजोर तबके लोगों को 10 प्रतिशत आरक्षण को लेकर संसदीय राजनीति में कोई खास विरोध नहीं हुआ। अब आते हैं विरोध के उन पहलुओं पर जो रोज़ देश के कि सी न कि सी हिस्से में हो रहा होता है मगर उनके लिए कोई भी दल सामने नहीं आता है। सभी प्रकार की सरकारों से आज तक ये न हुआ कि एक पारदर्शी और ईमानदार परीक्षा व्यवस्था दे सके जिस पर सबका भरोसा हो। बुनियादी समस्या का समाधान छोड़ क र हर समय एक बड़े और आसान मुद्दे की तलाश ने लाखों की संगया में नौजवानों को तोड़ दिया है। आसान इसलिए क हा कि आरक्षण को लेकर लोक सभा या राज्य सभा में कुछ खास विरोध नहीं हुआण् आरक्षण के विरोधियों को आरक्षण मिला है यह अच्छी बात है लेकि न आरक्षण का लाभ मिले इसके लिए सिस्टम क ब ठीक होगा।

यह सवाल क्यों नहीं प्रमुख बन सका कि नौक री में बहाली की प्रकिया भ्रष्ट क्यों है। ये कब ठीक होगी। 20 मार्च 2017 को एआईडीएमके के सांसद एलूमलाई वेल्लाईगौण्डर ने प्रकाश जावड़ेकर से सवाल किया था कि सेंट्रल यूनिवर्सिटी में छात्र और शिक्षकों के अनुपात को बेहतर करने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं, खाली पदों को भरने के लिए क्या किए जा रहे हैं। जिसके जवाब में मानव संसाधन मंत्री ने क हा था कि यह लगातार चलने वाली नीति है। हम एक साल के भीतर दिल्ली विश्विद्यालय में पढ़ा रहे सभी 9000 एडहॉक शिक्षकों को परमानेंट कर देंगे। बल्कि यह भी क हा कि हमने इस समस्या का समाधान क र लिया है। प्रकाश जावड़ेक र ही बता सक ते हैं कि सारे 9000 पद भरे गए हैं या नहीं। भरे गए होते तो गेस्ट टीचर और एडहॉक शिक्षक धरना नहीं देते।

इनके लिए धरना देना भी आसान नहीं है। वेतन क ट जाता है। प्रिंसिपल धमक। देते हैं नौकरी का डर दिखाकर। तब भी ये अपना क्लास लेने के बाद इस धरने में शामिल हो रहे हैं। प्रकाश झावड़े र ने साफ साफ क हा था कि कि पार्ट टाइम रोजग़ार केंदीय विश्वविद्यालयों की नीति नहीं हैं। मार्च 2017 का बयान है। अब आपको 11अक्तूबर 2017 का बयान दिखाते हैं जो हमारे चैनल पर चला था। 6 महीने बीत जाने के बाद भी मंत्री जी वही बात क र रहे हैं कि 9000 पद भर दिए जाएंगे। 6 महीने बाद भी प्रकाश जावड़ेकर एक साल की बात कर रहे हैं। मार्च 2017 में प्रकाश जावड़ेकर ने यह भी कहा था कि एक साल के भीतर केंद्रीय विद्यालयों में दस हज़ार वेकेंसी भरने की भी बात क ही थी जिसके बारे में मुझे अपडेट नहीं है कि वो दस हज़ार पद एक साल के भीतर भरे गए या नहीं।

प्रकाश जावड़ेकर ने उस वक्त सिर्फ दिल्ली विश्वविद्यालय की ही बात नहीं क ही थी बल्कि क हा था कि सभी सेंट्रल यूनिवर्सिटी में खाली पद परमानेंट कर दिए जाएंगे। सेंट्रल यूनिवर्सिटी में 20 प्रतिशत पद खाली थे। प्रतिशत में यह संगया छोटी लगती है लेकि न जब हज़ार में देखेंगे तो क ई हज़ार हो जाएगी। मंत्री जी ने कहा था कि इनका हर 15 दिन में रिव्यू होगा और वेबसाइट पर जानकारी दी जाएगी। ऐसी कोई जानकारी यूजीसी की वेबसाइट पर नहीं मिलती है। जनवरी 2019 आ गई। आरक्षण को कामयाबी बताई जा रही है। नौकरियों की बहाली की प्रक्रिया को ईमानदार और चुस्त बनाए बग़ैर इसका लाभ किसी को नहीं मिलेगा और किसी को नहीं मिल रहा है। किसी भी पार्टी की सरकार को। मध्य प्रदेश से रोज़ सैकड़ों लडक़े लड़कियां मेसेज करते हैं कि 25 साल बाद मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग ने असिस्टेंट प्रोफेसर की परीक्षा ली।

हाईकोर्ट का आर्डर था कि 2018-19 का सेशन शुरू होने से पहले इनकी नियुक्ति कर दी जाए। इसके तहत परीक्षा हुई और अगस्त 2018 में रिजल्ट आ गया। इन सबका वेरिफिकेशन भी हो गया मगर पोस्टिंग नहीं हुई है सोचिए क्या होता है। कॉलेजो में शिक्षक नहीं है। तो आपके बच्चे बर्बाद होते होंगे। मार्च 2017 से जनवरी 2019 आ गई। परमानेंट नौकरी का पता नहीं, क ई राजनीतिक दल, तमाम शिक्षक संगठनों के समर्थन के बाद भी इनकी समस्या का हल नहीं है। इनकी मांग है कि 10 साल 15 साल से पढ़ाने वाले एडहाक शिक्षकों को परमानेंट करने के लिए एक अध्यादेश लाया जाए। ह्वयोंकि ये योग्यता की शर्तों को पूरा क रते हुए दस-दस साल से पढ़ा रहे हैं। यही नहीं हर चार महीने में विश्वविद्यालय इन एडहॉक शिक्षकों को सर्टिफिके ट देता है कि आपकी सेवा संतोषजनक है। जो शिक्षक दस साल से पढ़ा रहे हैं उनके पास कालेज और यूनिवर्सिटी से 30 सर्टिफिकेट जमा हो चुके हैं कि आप अच्छा पढ़ाते हैं। इसलिए आपकी सेवाओं का विस्तार किया जाता है।

     रवीश कुमार
लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here