संकष्टी श्रीगणेश चतुर्थी

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श्रीगणेश- अर्चना से जीवन में आएगी सुख-समृद्धि
जीवन के संकटों का होगा शमन
चन्द्रोदय होगा रात्रि 9 बजकर 42 मिनट पर

भारतीय संस्कृति के सनातन धर्म में समस्त देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना एवं व्रत की काफी महिमा है। हिन्दू धर्मशास्त्रों में प्रथम पूज्य देव भगवान श्रीगणेशजी को सर्वोपरि माना जाता है। इनकी पूजा-आराधना से ही हर शुभ कार्यों की शुरुआत होती है। जीवन में खुशहाली एवं संकट निवारण के लिए संकष्टी श्रीगणेश चतुर्थी का व्रत रखने की धार्मिक परम्परा है। हर माह के कृष्णपक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन संकष्टी श्रीगणेश चतुर्थी व्रत रखने की मान्यता है। इस बार यह व्रत 8 अक्टूबर, रविवार को रखा जाएगा।

प्रख्यात ज्योतिषविद् श्री विमल जैन जी ने बताया कि चैत्र कृष्णपक्ष की चतुर्थी तिथि 23 मार्च, शनिवार को रात्रि 10 बजकर 33 मिनट पर लगेगी जो कि अगले दिन 24 मार्च, रविवार के दिन रात्रि 8 बजकर 52 मिनट तक रहेगी। चन्द्रोदय व्यापिनी चतुर्थी तिथि 24 मार्च, रविवार को पड़ रही है, जिसके फलस्वरुप संकष्टी श्रीगणेश चतुर्थी व्रत इसी दिन रखा जाएगा। चन्द्रोदय 24 मार्च, रविवार को रात्रि 9 बजकर 42 मिनट पर होगा। चन्द्र उदय होने के पश्चात विधि-विधान पूर्वक चन्द्रमा को अर्घ्य देकर उनकी पूजा-अर्चना की जाएगी।

कैसे करें पूजा – प्रख्यात ज्योतिषविद् श्री विमल जैन जी के अनुसार व्रत के दिन प्रातःकाल ब्रह्मामुहूर्त में उठकर समस्त दैनिक कार्यों से निवृत्त होकर अपने आराध्य देवी-देवता की पूजा अर्चना करके के पश्चात श्रीगणेश चतुर्थी के व्रत का संकल्प लेना चाहिए। सम्पूर्ण दिन निराहार रहते हुए व्रत के दिन सायंकाल पुनः स्नान करके श्रीगणेश जी की पंचोपचार या षोडशोपचार पूजा-अर्चना करनी चाहिए। श्रीगणेशजी को दूर्वा एवं मोदक अति प्रिय है, एतएव दूर्वा की माला, ऋतुफल, मेवे एवं मोदक अवश्य अर्पित करना चाहिए।

प्रख्यात ज्योतिषविद् श्री विमल जैन जी ने बताया कि श्रीगणेशजी की महिमा में श्रीगणेश स्तुति, संकटनाशन श्रीगणेश स्तोत्र, श्रीगणेश सहस्त्रनाम, श्रीगणेश चलीसा का पाठ करना चाहिए एवं श्रीगणेश जी से सम्बन्धित मंत्र-स्तोत्र आदि जो भी संभव हो अवश्य किया जाना चाहिए। ऐसी धार्मिक व पौराणिक मान्यता है कि श्रीगणेश अथर्वशीर्ष की प्रातःकाल पाठ करने से रात्रि के समस्त पापों का नाश होता है। व्रत के दिन व्रतकर्ता को दिन में शयन नहीं करना चाहिए। जिन व्यक्तियों की जन्मकुण्डली के अनुसार ग्रहों का शुभ लाभ नहीं मिल रहा हो उन्हें आज के दिन व्रत उपवास रखकर प्रथम पूज्यदेव श्रीगणेशजी की पूजा-अर्चना करनी चाहिए। जिन्हें जीवन में संकटों का समाना करना पड़ रहा हो, उन्हें भी आज विधि-विधानपूर्वक श्रीगणेश जी पूजा-अराधना करके लाभ उठाना चाहिए। संकष्टी श्रीगणेश चतुर्थी के व्रत से सुख-समृद्धि, खुशहाली मिलती है साथ ही सर्व संकटों का शमन भी होता है।

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