धनतेरस पर बरसेगा धन, भगवती लक्ष्मी जी होंगी मेहरबान

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धनलक्ष्मी के आगमन का पर्व है धनतेरस भगवान धन्वन्तरि जी की पूजा से मिलेगा आरोग्य सुख

दीपावली के दो दिन पूर्व धनतेरस का पावन पर्व काफी हर्ष व उल्लास के साथ मनाने की पौराणिक परम्परा है। धनतेरस से ही दीपावली पर्व का शुभारम्भ हो जाता है। इस बार 2 नवम्बर, मंगलवार को कार्तिक कृष्णपक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन धनतेरस का पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया जाएगा। ज्योतिषविद् श्री विमल जैन ने बताया कि कार्तिक कृष्णपक्ष की त्रयोदशी तिथि 2 नवम्बर, मंगलवार को प्रात: 11 बजकर 31 मिनट पर लगेगी जो कि 3 नवम्बर, बुधवार को प्रात: 9 बजकर 02 मिनट तक रहेगी। धनतेरस के दिन आरोग्य के देवता आयुर्वेद शास्त्र के जनक श्री धन्वन्तरि जी का जन्म महोत्सव भी धूम-धाम से मनाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि समुद्र मन्थन के समय धन्वन्तरि जी अमृत का कलश लेकर अवतरित हुए थे। भगवान धन्वन्तरिजी को आयुर्वेद के प्रवर्तक के रूप में तथा श्रीविष्णु भगवान के अवतार के रूप में धार्मिक मान्यता प्राप्त है। आज के दिन इनकी पूजा-अर्चना से आरोग्य-सुख तथा उत्तम स्वास्थ्य बना रहता है। कलश की अवधारणा को लेकर नये बर्तन खरीदना शुभकर माना जाता है । बर्तन के अतिरिक्त नवीन वस्त्र, रजत व स्वर्ण के आभूषण व सोने-चाँदी के सिक्के एवं अन्य मांगलिक वस्तुएँ खरीदना शुभ फलदायी माना गया है। लोहे का कोई भी सामान नहीं खरीदना चाहिए।

आज के दिन बर्तन खरीदने से अधिक लाभ एवं लक्ष्मी का स्थायी निवास मिलता है। व्यापारिक वर्ग आज के दिन शुभ मुहूर्त में बही-खाता एवं प्रयोग में आनेवाली अन्य वस्तुएँ भी शुभ मुहूर्त में खरीदते हैं। प्रदोषकाल एवं शुभ मुहूर्त में श्रीगणेश जी एवं श्रीलक्ष्मीजी तथा धन के देवता श्रीकबेर जी की भक्तिभाव के साथ पूजा-अर्चना करने का विधान है। आज के दिन खरीदे गए नवीन बर्तन में उत्तम मिष्ठान्न, फल एवं मेवे आदि माँ भगवती लक्ष्मीजी को अर्पित करने चाहिए। देशी घी का दीपक प्रज्वलित करना चाहिए। अखण्ड ज्योति जलाने की भी मान्यता है। भगवती लक्ष्मीजी की पूजा कमल के फूल से करनी चाहिए तथा कमलगट्टा के माला से श्रीलक्ष्मीजी के मन्त्र का जप अधिकतम संख्या में करना लाभकारी रहता है। ज्योतिषविद् श्री विमल जैन ने बताया कि धनतेरस से दीपावली या भैयादूज तक सायंकाल प्रदोषकाल में घर के प्रवेश द्वार के बाहर दोनों ओर यम के निमित्त एक पात्र में अन्न रखकर उसके ऊपर दीप दान करने से यमराज भी प्रसन्न होते हैं, इसको यमदीप कहा जाता है। दीपक की चावल, फूल, धूप, सुगन्ध आदि से पूजा-अर्चना करने से जीवन में अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता। ज्योतिषविद् श्री विमल जैन ने बताया कि धन-सम्पत्ति के लिए धनाधिपति श्रीकुबेर देवता की भी पूजा करनी चाहिए। देवकक्ष में पूजा स्थल पर दीपक अवश्य प्रज्वलित करना चाहिए।

पूजा का सर्वोत्तम समय रात्रि 7 बजकर 08 मिनट से रात्रि 8 बजकर 14 मिनट तक रहेगा। धनतेरस के दिन शुरू किए हुए शुभकार्यों में अच्छी सफलता व स्थायी लाभ की प्राप्ति होती है। घर एवं कार्यस्थल को आलोकित (प्रकाशमय) रखना चाहिए। धनतेरस के पर्व पर विधि-विधानपूर्वक अपने आराध्य देवी-देवता के साथ श्रीगणेश-श्रीलक्ष्मी एवं श्रीकबेर जी की पूजा-अर्चना विशेष लाभदायी रहती है। धनतेरस का पर्व अपने पारम्परिक परम्परा के साथ अवश्य मनाना चाहिए। जन्म तिथि के अनुसार रंग-राशियों के मुताबिक करें खरीददारी जन्म तारीख के अनुसार-जिनकी जन्मतिथि किसी भी माह की 1, 10, 19 व 28 हो, उनके लिए लाल, गुलाबी, केसरिया। 2, 11. 20 व 29 वालों के लिए सफेद व क्रीम। 3. 12. 21 व 30 के लिए सभी प्रकार के पीला व सुनहरा पीला। 4, 13, 22 व 31 के लिए सभी प्रकार के चमकीले, चटकीले मिले-जुले व साथ ही हल्का स्लेटी रंग। 5, 14 व 23 के लिए हरा, धानी व फिरोजी रंग। 6, 15 व 24 के लिए सफेद व चमकीला सफेद अथवा आसमानी नीला। 7, 16 व 25 के लिए चमकीला, स्लेटी व ग्रे रंग। 8, 17 व 26 के लिए काला, ग्रे व नीला रंग। जबकि 9, 18 व 27 के लिए लाल, गुलाबी व नारंगी रंग। अपनी राशि के अनुसार करें रंगों का चयन-मेष-लाल, गुलाबी एवं नारंगी। वृषभ-सफेद एवं क्रीम। मिथुन-हरा व फिरोजी। कर्क-सफेद व क्रीम। सिंह-केसरिया, लाल व गुलाबी। कन्या-हरा व फिरोजी। तुला-सफेद व हल्का नीला। वृश्चिक-नारंगी, लाल व गुलाबी। धनु-पीला व सुनहरा। मकर व कुम्भ-भूरा, स्लेटी व ग्रे। मीन-पीला व सुनहरा।

ज्योतिर्विद् श्री विमल जैन

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