श्रीलंका में भुखमरी : तमिलनाडु के रास्ते भारत से राहत की चाहत

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विचलित करने वाली खबर है कि श्रीलंका में अनाज की कमी के कारण लोग भूख से त्रस्त हैं। ज्ञातव्य है कि श्रीलंका की आय का सबसे बड़ा स्रोत पर्यटन रहा है और महामारी के कारण यह उद्योग ठप पड़ा है। आश्चर्य है कि आवागमन और संपर्क के साधनों के विकास के दिनों में एक देश में अकाल जैसी स्थिति का निर्माण हो गया है।

तमिलनाडु, श्रीलंका से निकट है। तमिलनाडु से श्रीलंका अनाज शीघ्रता से भेजा जा सकता है। शायद भेजा जाना प्रारंभ हो चुका होगा। अमर्त्य सेन का कहना है कि भूख और अकाल जैसे हालात प्राय: मनुष्य द्वारा निर्मित होते हैं। हवाई जहाज से अनाज की बोरियां गिराई जा सकती हैं। ‘अकालेर संधाने’ नामक फिल्म में यही रेखांकित किया गया है कि सारी कमी के हालात मनुष्य का लोभ और लालच ही बनाता है।

विश्व में अनेक संस्थाएं मानवता की सेवा के लिए रची गई हैं और उनके पास साधनों का अभाव नहीं है। जब दूसरे विश्व युद्ध के पश्चात बर्लिन के एक हिस्से पर रूस का कब्जा था और दूसरे का उत्तरदायित्व अमेरिका का था। उस समय रूस ने अमेरिका के अधीन बर्लिन में पूर्ति के सभी मार्ग अवरुद्ध कर दिए थे।

अमेरिका की वायुसेना ने जीवन के लिए आवश्यक वस्तुएं हवाई मार्ग से भेजीं। इस घटना का पूरा विवरण लियोन यूरिस के उपन्यास ‘आर्मागेडन’ में दर्ज है। यहां तक कि बर्फ हटाने के बुलडोजर भी बर्लिन भेजे गए। बड़ी मशीन के पुर्जे बर्लिन में असेंबल करके बर्फ हटाई गई।

ऐसे ही श्रीलंका में भारतीय सेना को शांति स्थापित करने के लिए भेजा गया था। इस पूरे घटनाक्रम के विवरण का प्रमाण शूजित सिरकार की फिल्म ‘मद्रास कैफे’ में प्रस्तुत किया गया है। इस फिल्म में जॉन अब्राहम ने अभिनय किया था। इस दुखद घटनाक्रम का अंत राजीव गांधी की हत्या से हुआ था।

भारतीय गुप्तचर सेवा ने तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी को दक्षिण भारत जाकर भाषण देने के कार्यक्रम को रद्द करने का निवेदन किया था परंतु अपने वादे को निभाने की खातिर राजीव गांधी वहां गए थे। ज्ञातव्य है कि दीपा मेहता की ‘वाटर’ नामक फिल्म की शूटिंग बनारस की जानी थी परंतु हुड़दंगियों ने शूटिंग नहीं होने दी।

एक हुड़दंगी तो शूटिंग का विरोध करते हुए गंगा में डूब गया था और लापता घोषित हुआ। कालांतर में दीपा मेहता ने फिल्म ‘वाटर’ की शूटिंग श्रीलंका में की। वह व्यक्ति कुछ दिनों बाद दिल्ली में दीपा मेहता की पुत्री देवयानी को दिख गया। उसने बताया कि इस तरह के हुड़दंगी प्रयास करना उसका व्यवसाय है। यह सारी बातें दीपा मेहता की पुत्री ने अपनी किताब ‘शूटिंग वाटर’ में लिखीं।

एक प्राचीन ग्रंथ में वर्णित सोने की बनी श्रीलंका आज भूख से बेहाल है। सोने के बिस्कुट तस्करी किए गए हैं परंतु वे भूख नहीं मिटाते। हाजी मस्तान घड़ियों की तस्करी करता था। इस विषय पर फिल्म ‘वंस अपॉन ए टाइम इन मुंबई’ बनी थी। महबूब खान की फिल्म ‘रोटी’ में लोभी व्यापारी आवाम को लूट कर सोने से भरी बड़ी सी कार में भागता है।

यह गाड़ी दुर्घटना का शिकार होती है तो लोभी व्यक्ति का पूरा शरीर सोने के नीचे दब जाता है। वह केवल अपना हाथ बाहर निकाल पाता है और रोटी मांगता है। बाद में राजेश खन्ना और मुमताज की फिल्म ‘रोटी’ बनी थी परंतु उसकी कथा बहुत ही अलग थी। राज कपूर और ख्वाजा अहमद अब्बास की फिल्म ‘आवारा’ का नायक अपनी भूखी मां के लिए रोटी चुराते पकड़ा गया था। जेल में कैदी को मिली रोटी को उछाल कर वह कहता है-‘यह कमबख्त रोटी जेल के बाहर आम आदमी को मिल जाती तो वह अपराध करके जेल क्यों आता।’

धूमिल की एक कविता इस तरह है- ‘एक आदमी रोटी बेलता है, एक आदमी रोटी खाता है, तीसरा आदमी भी है जो न रोटी बेलता है और न खाता है, वह सिर्फ रोटी से खेलता है, मैं पूछता हूं तीसरा आदमी कौन है? मेरे देश की संसद मौन है।’ लंबे समय से किसान हड़ताल पर बैठे हैं परंतु सब मौन हैं।

जयप्रकाश चौकसे
(लेखक फिल्म समीक्षक हैं ये उनके निजी विचार हैं)

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