गीता सार

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जो मन को नियंत्रित नहीं करते उनके लिए मन शत्रु के समान कार्य करता है। अनियंत्रित मन व्यक्ति को कभी भी कहीं भी धोखा दे जाता है। जिससे मनुष्य लाचार, विवेकहीन और अपंगता का अनुभव करता है।

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