शास्त्रों व ऋषियों ने माना, मानव मन-मस्तिष्क की संभावनाएं अनंत, अपार व अज्ञात हैं। हर परिस्थिति में वह ढल जाता है। 19 वर्ष बाद वियना (ऑस्ट्रिया) की दूसरी यात्रा थी। 2020 (जनवरी) के बाद पहली विदेश यात्रा। प्रो. हरारी की बात कि कोविड-19 के बाद की दुनिया, पुरानी नहीं रहेगी, धरातल पर झलकती है। जीवन में कोरोना के बाद कुछेक आदतें, स्वाभाविक बन गई हैं। वियना, संगीत, कला व शिल्पों का खूबसूरत शहर। यहां इलेट्रिक वाहनों की संख्या बढ़ रही है। मानव समाज ने तीन विशिष्ट क्रांतियां देखी हैं। भाप की ताकत।यूरोपीय संघ ने इसे नियंत्रित करने की बात की है। पर एआई उद्योग का फैलाव-विकास अपरिहार्य माना जा रहा है। विशेषज्ञ बता रहे हैं कि चीन ने अमेरिका को इस क्षेत्र में 2014 में पीछे छोड़ा।
वह शीर्ष पर है। इस मुल्क में खेतों में ड्रोन, रोबोट व सेंसर प्रयोग हो रहे हैं। इसी मुल्क में नए-नए क्षेत्रों के लिए रोबोट बन रहे हैं। विशेषज्ञ बताते हैं कि जल्द रोबोट और एआई, मैनुफैचरिंग डिजाइन, डिलीवरी और चीजों की मार्केटिंग भी मामूली खर्च पर करेंगे। बच्चों के खिलौने ब्लॉक की तरह बहुमंजिली इमारत बनाएंगे। धीरे-धीरे स्वचालित सार्वजनिक यातायात होगा। इन युगांतकारी बदलावों को लोक जीवन में विकास का स्वभाविक क्रम मान लिया गया है। शायद कोविड अनुभवों के कारण भी। विचारक रॉबर्ट ओवेन (1771-1855) की बात याद आती है, परिस्थिति मनुष्य को बनाती है। विचारक विलियम गाडविन (1756-1836) ने माना कि मनुष्य की अच्छाई या बुराई, परिस्थिति के कारण पैदा होती है।
19 वर्षों पहले इसी वियना शहर में ‘मानव मन का दूसरा सामर्थ्य’ देखा था। न को समझने, जानने, तह में उतरने व अनुभव करने वाले इसी शहर में हुए, तो संगीत के अमर नाम भी हुए। मोजार्ट, बीथोवेन समेत अनेक वियना में फले-फूले। कोविड के बाद बदलती दुनिया की गति का एहसास इसी शहर में हुआ। भयंकर मानवीय यातनाओं के बीच भी जीवन के अर्थ की तलाश करते बचे रहना, फिर दुनिया को मन का रहस्य बताना दो दशकों पहले यहीं पाया। मानव मन की परतें व ताकत रहस्य ही हैं, तभी तो उपनिषद में कहा गया, ‘केनेषितं पतति प्रेषितं मन:’ यानी किन इच्छाओं से दिशा पाकर मस्तिष्क-मन अपने लक्ष्य में डूबते हैं? यह अज्ञात है, शायद एआई के दौर के बाद भी प्रकृति का यह रहस्य, गोपन ही रहे।
हरिवंश
(लेखक राज्यसभा के उपसभापति हैं ये उनके निजी विचार हैं)