लॉर्ड- अंग्रेजों के कल्चर में अगर आप लॉर्ड कहे जा रहे हैं तो मतलब आपके अंदर कुछ तो है। आप कम से कम उनकी नजऱ में तो बडिय़ार आदमी हैं ही। और ऐसे में अगर आपके लॉड्र्स, अरे वही लॉर्ड का बहुवचन के लॉर्ड बन जाएं तो? कमाल होगा ना? और क्या हो कि आपके पास लॉड्र्स के 11 लॉर्ड हों? अबहियौं नहीं बूझे? हम बात कर रहे इंडियन क्रिकेट टीम की। जिन्होंने बचपन की लकड़ी के गट्ठर वाली कहानी सच कर दी। एक लकड़ी आसानी से टूट जाती है, लेकिन यही लकडिय़ां अगर गट्ठर बन जाएं तो इन्हें तोडऩा आसान नहीं होता। और लाड्र्स में अंग्रेजों के सामने भारतीय क्रिकेट टीम ऐसे ही गट्ठर बनकर अड़ गई। एक वक्त हाथ से जा रहे और फिर ड्रॉ दिख रहे मैच को भारत ने 151 रन के भारी अंतर से जीत लिया। और ऐसा जीता कि आधुनिक चौपाल, बोले तो सोशल मीडिया रंगारंग हो गया। ऐसे में हमारा फजऱ् बनता है कि जो लोग जल्दी सो गए थे उन्हें इस जीत के हीरोज से मिलवाया जाए।
विराट कोहली: कैप्टन, लीडर, लेजेंड, ये तीन शद जिस भी कप्तान के साथ जुड़ जाएं, उसे भौकाली मान लिया जाता है और इस पैमाने पर कोहली अब भी भौकाली होने से दूर हैं। लोगों को मैदान पर उनका बर्ताव लीडर वाला नहीं लगता। लोग गिनाते हैं कि जब विकेट नहीं गिरते, स्थितियां प्रतिकूल होती हैं तब कोहली की बॉडी-लैंग्वेज बदल जाती है। और ये बदलाव साफ दिखता भी है लेकिन लोग ये नहीं देखते कि ऐसा कुछ वक्त के लिए ही होता है। बाकी के वक्त में कोहली जितनी एनर्जी कोई भी नहीं दिखा पाता अपनी कमाल की एनर्जी के साथ कोहली जब जैसे को तैसा वाले अंदाज में जवाब देते हैं, तो सामने वाली टीम वैसे ही दो कदम पीछे हट जाती है। लेकिन आज इसकी बात नहीं करेंगे। आज बात होगी विराट कोहली के साहस की। लॉड्र्स की पिच सूखती है, स्पिनर्स को मदद मिलेगी, अश्विन हमारे सबसे बड़े मैच विनर हैं । ये बातें, अंग्रेजी में कहें तो रैंट लगातार सुनाई दे रहे थे। लोग अश्विन को ना चुनने वाले कोहली की समझ पर सवाल उठा रहे थे लेकिन कोहली को पता था, ये नया भारत है यहां पेसर्स मैच जिताते हैं और मैच के अंत में कोहली की सोच ही सच साबित हुई।
रविंद्र जडेजा के रूप में इकलौते स्पिनर के साथ जाने का कोहली का फैसला एकदम सटीक बैठा। भारतीय पेस बोलर्स ने इंग्लैंड के 20 विकेट ले डाल। टीम इंडिया के इतिहास में यह सिर्फ तीसरी बार था जब स्पिनर्स के बिना विकेट लिए भारत टेस्ट जीता हो। इनमें से तीन बार कप्तान कोहली थे। राहुल ऑफिशल मैन ऑफ द मैच हैं। उन्होंने पहली पारी में कमाल की सेंचुरी मारी थी। राहुल के 129 रनों की बदौलत ही भारतीय टीम पहली पारी में 364 रन तक पहुंच पाई थी। बैटिंग के लिए मुश्किल विकेट पर राहुल ने कमाल का धैर्य दिखाया और 250 गेंदें खेल डाली। टेस्ट के पहले दिन ओपनिंग करने उतरे राहुल दूसरे दिन आउट हुए. लेकिन तब तक उन्होंने भारत को मजबूत स्थिति में पहुंचा दिया था। और राहुल की इस पारी के आगे रोहित के महत्वपूर्ण 83 रन छिप से गए। लेकिन रोहित की ये पारी राहुल जितनी ही महत्वपूर्ण थी। लंबे वक्त से इंडियन मिडिल ऑर्डर सही से परफॉर्म नहीं कर रहा।
विराट कोहली, चेतेश्वर पुजारा और अजिंक्य रहाणे बड़े स्कोर करने में लगातार फेल हो रहे हैं. लेकिन जब भी आलोचना होती है तो रहाणे और पुजारा जाने कैसे आगे आ जाते हैं। सब इन दोनों को टीम से बाहर करने की बातें करने लगते हैं। पर लाड्र्स में इन दोनों की बैटिंग का ही कमाल था कि मैच में बैकफुट पर जा चुकी टीम इंडिया ड्रॉ करने की रेस में लौटी। भई वाह! इस जोड़ी के बारे में क्या ही कहा जाए। टीम इंडिया की दोनों पारियां निपटने के बाद भी मैच का रिजल्ट इतना साफ नहीं दिख रहा था लेकिन फिर इन दोनों ने गेंद से कमाल कर दिया। इंग्लैंड के दोनों ओपनर खाता नहीं खोल पाए. और यह दोनों विकेट शमी-बुमराह ने आपस में बांट लिए।
इंग्लैंड ने सिर्फ एक रन के टोटल पर दोनों ओपनर्स गंवा दिए। और यहां से अंग्रेज एक बार जो बैकफुट पर गए, वहीं रह गए। सिराज को टीम इंडिया के साथ मियां भाई बुलाते हैं। इस टेस्ट की दूसरी पारी में चार विकेट निकाले। एक वक्त पर ड्रॉ की ओर जाते मैच को सिराज ने झकझोरकर भारत की ओर गिरा दिया। पहले तो उन्होंने धीमे-धीमे जम रहे मोईन अली को कैच कराया और फिर अगली ही गेंद पर सैम करन को बिना खाता खोले लौटा दिया। फिर अंत में जोस बटलर और जेम्स एंडरसन को निपटाकर जीत भारत की झोली में डाल दी। सिराज ने पहली पारी में भी चार विकेट निकाले थे। और मजे की बात ये है कि दोनों ही पारियों में वह सेकेंड चेंज यानी चौथे पसंदीदा बोलर थे।
सूरज पांडेय
(लेखक पत्रकार हैं ये उनके निजी विचार हैं)